याज्ञवल्क्य मिश्रा, Raipur. अनिल टूटेजा और सौम्या चौरसिया को लेकर तीस हजारी अदालत में दायर परिवाद में कोर्ट के फैसले पर ऊपरी अदालत ने कार्यवाही से अगली तारीख तक अस्थाई रोक लगाई है और आयकर विभाग से जवाब तलब किया है। इससे अनिल टूटेजा और सौम्या चौरसिया को राहत तो है, लेकिन यह राहत स्थाई रूप की फिलहाल नहीं है।
क्या है मसला
तीस हजारी कोर्ट में आयकर विभाग ने परिवाद पेश किया था। इस परिवाद में आयकर विभाग की ओर से छत्तीसगढ़ में विभिन्न जगहों पर मारे गए छापों से मिले अभिलेखों और डिजिटल प्रमाणों के आधार पर अपराधिक मामला दर्ज किए जाने की मांग है। इस परिवाद सके केंद्र में बतौर अभियुक्त अनिल टूटेजा और सौम्या चौरसिया को विशेष रूप से उल्लेखित किया गया है। इस मामले में तीस हजारी कोर्ट ने केवल उतने मामले का संज्ञान लिया, जो उसके न्यायालय के क्षेत्राधिकार में था। परिवाद के शेष हिस्सों को अन्य राज्यों के अदालत का विषय बताते हुए डायरेक्शन दे दिया कि वह संबंधित क्षेत्र के अदालत में परिवाद पेश करे। तीस हजारी ने जो परिवाद का अंश स्वीकारा उसमें धारा 277 (आयकर विभाग एक्ट) और आईपीसी की धारा 191 के तहत परिवाद पंजीबद्ध करने की कार्यवाही शुरू कर दी। यह आदेश बीते 6 अप्रैल को हुआ था।
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तीस हजारी कोर्ट द्वारा पंजीबद्ध परिवाद ईडी के शेड्यूल धारा में नहीं
तीस हजारी कोर्ट ने परिवाद के जिस अंश को स्वीकारा और जो धाराएं प्रभावी की। वह ईडी के शेड्यूल धारा में नहीं है। लेकिन कोर्ट ने जो अन्य अदालतों में जाने का निर्देश दिया, उन जगहों पर परिवाद पंजीबद्ध हुआ तो जो धाराएं लगेंगी, उनमें ईडी को कार्यवाही के लिए आधार मिल जाएगा। इसलिए तीस हजारी कोर्ट के परिवाद से ईडी के राडार से परिवाद में उल्लेखित आरोपी बाहर हैं, लेकिन कानूनी पेंच में उलझ जरूर गए हैं, लेकिन अन्य अदालतों में भी ऐसा ही होगा, यह जरूरी नहीं है।
ऊपरी अदालत ने अस्थाई रोक लगाई
तीस हजारी कोर्ट के आदेश को चुनौती देते हुए एक पिटीशन तीस हजारी कोर्ट के ASG 2 धीरज मोर की अदालत में दायर की गई। इस याचिका में निचली अदालत के फैसले को रद्द करने की मांग की गई है।अदालत ने यह मांग स्वीकार नहीं की है, लेकिन निचली अदालत के आदेश पर आगामी पेशी 13 जुलाई तक रोक लगा दी है। साथ ही आयकर विभाग को नोटिस जारी कर जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए हैं।