JAGDALPUR. मध्यप्रदेश से अलग हुए अभी महज 22 साल ही हुए कि छत्तीसगढ़ में ही अलग राज्य बनाने की बात शुरू हो गई है। दरअसल, अब बस्तर को अलग राज्य के तौर पर देखने का सपना सजाया जाने लगा है। यह बात इसलिए कही जा रही हैं क्योंकि पूर्व केंद्रीय मंत्री और आदिवासी समाज के नेता अरविंद नेताम ने एक बार फिर ऐसी बात कही है,जिससे इस बात का अनुमान लगाया जा सकता है। नेताम ने कहा कि बस्तर के हालात चिंताजनक हैं, इसलिए छत्तीसगढ़ से अलग बस्तर राज्य बनाने की मांग जोर पकड़ सकती है।
बस्तर के हालात हैं चिंताजनक- नेताम
आदिवासी नेता नेताम ने सरकार पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि बस्तर के हालात चिंताजनक हैं। साथ ही उन्होंने रावघाट में पत्रकारों और सामाजिक कार्यकर्ताओं से दुर्व्यवहार के मामले में भी कार्रवाई की मांग की। उन्होंने कहा कि बस्तर संभाग के विभिन्न क्षेत्रों में आंदोलन धरना रैलियां हो रही हैं और इन्हें दबाने की कोशिश की जा रही है। वहीं आदिवासी मुख्यमंत्री की मांग को लेकर भी पूर्व मंत्री ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस की सरकार तब तक राज्य में रहेंगे, जब तक आदिवासी चेहरे को मुख्यमंत्री बनने का मौका कभी नहीं मिल सकता। उन्होंने दोनों ही पार्टियों पर आदिवासी हितों की अनदेखी करने का आरोप लगाया। उन्होंने यह भी कहा कि हालात बस्तर में इस कदर चिंताजनक है कि अलग राज्य की मांग स्थानीय लोगों में जोर पकड़ सकती है।
2000 में छत्तीसगढ़ बना था अलग राज्य
गौरतलब है कि नवंबर 2000 में मध्यप्रदेश से अलग होकर छत्तीसगढ़ अलग राज्य बना था। उस समय भी छत्तीसगढ़ को आदिवासी बाहुल्य राज्य के तौर पर ही अलग किया गया था। मध्यप्रदेश के समय भी ऐसे आरोप लगते रहे कि राजधानी भोपाल द्वारा छत्तीसगढ़ की तरफ विकास का ध्यान नहीं रहता है, इस क्षेत्र की हमेशा से अनदेखी की गई। यह बात सच भी साबित हुई और अलग राज्य बनने के बाद छत्तीसगढ़ दो कई गुना रफ्तार से विकास किया।