Ambikapur। कोयला खदान और उत्खनन के खिलाफ दस बरसाें से लड़ रहे परसा के ग्रामीणाें ने माटी पूजन दिवस पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के संदेश का वाचन किया, और धरना स्थल पर ही सीएम बघेल ने जैसी शपथ दिलाई, वही शपथ ग्रामीणाें ने ले ली।यह गौरतलब है कि, परसा के ग्रामीण इस शपथ को बीते बरसाें से जी रहे हैं। जल जंगल जमीन को बचाने की उनकी जद्दोजहद को अब दस बरस का समय हो चुका है। हालिया दिनों भूपेश बघेल सरकार ने जिस परसा और परसा केते एक्सटेंशन को बचाने की आंदोलनात्मक जंग ग्रामीण लड़ रहे हैं,उस आंदोलन के बीच परसा और परसा केते एक्सटेंशन में उत्खनन को मंजूरी दे दी है, हालांकि तब भी ग्रामीण अपने आंदोलन पर अडिग हैं।
अक्षय तृतीया के अवसर पर राजधानी में मुख्यमंत्री बघेल ने शपथ दिलाई थी,जिसमें कहा गया था − हमारी माटी जिसे हम माता भूइयां कहते हैं,उसकी रक्षा करेंगे।हम ऐसा कोई काम नहीं करेंगे, जिससे मिट्टी जल और पर्यावरण की सेहत खराब हो। परसा के ग्रामीणाें ने आंदोलन स्थल पर वही शपथ दोहरा दी है। मुख्यमंत्री बघेल जिस कांग्रेस सरकार का नेतृत्व करते हैं, उसी कांग्रेस के शीर्षस्थ नेता राहुल गांधी हसदेव अरण्य के ग्रामीणाें से मिलकर उन्हे उनके जंगल जमीन से बेदखल ना करने का आश्वासन दे चुके हैं, जबकि प्रदेश में कांग्रेस विपक्ष में थी। कांग्रेस सरकार बनने के बाद हालिया दिनाें भूपेश बघेल की सरकार ने उत्खनन के लिए अनुमति दे दी है।
अपने जल जंगल जमीन को बचाने के लिए अडिग परसा के ग्रामीणाें ने मुस्कुराते हुए उन्ही मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की पर्यावरण मिट्टी और जल को बचाने की शपथ को दोहराया है,जिन्होने उत्खनन को मंजूरी दी है।अपने आंदोलन पर अडिग रहने की उनकी मानसिकता इस शपथ के बाद और मजबूत है,हालांकि इस आंदोलन को समाप्त करने के लिए जो कोशिशें हो रही हैं, उनमें ग्रामीण उंगलियां सरकार और उसके तंत्र पर ही उठाते हैं,वे कहने से नही चूकते कि, पूरा तंत्र खनन कंपनी के इशारे पर संचालित है। वही ग्रामीण यह भी कहते हैं अब हमारे मुख्यमंत्री कहेंगे धरती पर्यावरण बचाने की कसम खाओ तो फिर तो बचाने की लड़ाई और मजबूती से लड़ेंगे ही, हम जंगल जल जमीन को बचाने की लड़ाई लड़ते रहेंगे।