एड़समेटा गोलीकांड की 10वीं बरसी पर बस्तर घेरने की चेतावनी, ग्रामीण बोले- ना दोषियों पर कारवाई, ना सरकार से मिला मुआवजा

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The Sootr CG
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एड़समेटा गोलीकांड की 10वीं बरसी पर बस्तर घेरने की चेतावनी, ग्रामीण बोले- ना दोषियों पर कारवाई, ना सरकार से मिला मुआवजा

BIJAPUR. बस्तर के ग्रामीण एक बार फिर सड़क पर उतरे हैं। दरअसल, इस बार मामला दोषियों पर कार्रवाई का है। बीजापुर जिले के एड़समेंटा गांव में एक साथ 8 निर्दोष ग्रामीणों को पुलिसकर्मियों ने गोलियों से भून दिया गया था। इस घटना को हुए 10 साल बीत चुके हैं, लेकिन अब तक इस मामले में ना ही दोषियों पर कार्रवाई हुई और ना ही मारे गए निर्दोष ग्रामीणों के परिवार वालों को सरकार से कोई मुआवजा राशि मिली। इससे आक्रोशित ग्रामीणों ने न्याय की मांग को लेकर घटना की 10वीं बरसी पर सैकड़ों ग्रामीणों ने इकट्ठा होकर आंदोलन किया और विशाल रैली निकालकर सरकार से दोषियों पर कार्रवाई की मांग की।



ग्रामीणों ने दी श्रद्धांजलि



आक्रोशित ग्रामीणों के धरना प्रदर्शन में सुकमा ,बीजापुर, दंतेवाड़ा और नारायणपुर से भी सैकड़ों ग्रामीण इकट्ठा हुए और मारे गए ग्रामीणों को याद कर उन्हें श्रद्धांजलि दी। बीजापुर जिले के बुर्जी गांव में हुए एक दिवसीय धरना में ग्रामीण मूलनिवासी बचाओ मंच के बैनर तले पहुंचे और न्याय की गुहार लगाई। इसके साथ ही आदिवासियों ने दोषियों पर कार्रवाई नहीं होने पर पूरे बस्तर को घेरने की चेतावनी भी दी है।



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लिस और नक्सलियों के बीच में पिस रहे ग्रामीण 



जानकारी के अनुसार बीजापुर जिले के बुर्जी गांव में एड़समेटा घटना की 10वीं बरसी पर सैकड़ों की संख्या में ग्रामीणों ने इकट्ठा होकर मारे गए ग्रामीणों को श्रद्धांजलि देते हुए एक बार फिर राज्य सरकार से न्याय की गुहार लगाई है। बुर्जी गांव में दंतेवाड़ा, बीजापुर, सुकमा और नारायणपुर के सैकड़ों ग्रामीण इकट्ठा हुए और मूलनिवासी बचाओ मंच के तहत धरना प्रदर्शन किया और इलाके में रैली भी निकाली। रैली में शामिल हुए ग्रामीणों ने कहा कि घटना को लेकर न्यायिक जांच आयोग की रिपोर्ट आ चुकी है और जांच में भी इस मुठभेड़ को फर्जी पाया गया है। इसके बावजूद घटना में शामिल दोषी पुलिसकर्मियों को अब तक सजा नहीं दी गई है और ना ही परिवारवालों को मुआवजा राशि मिली है। ग्रामीणों ने कहा कि बस्तर संभाग के नक्सल प्रभावित जिलों में स्थानीय ग्रामीण पुलिस और नक्सली दोनों ही तरफ से मुसीबत झेल रहे हैं। कभी नक्सली पुलिस मुखबिर का आरोप लगाकर निर्दोष ग्रामीणों की हत्या कर रहे हैं तो कभी नक्सली बताकर जवान उन्हें मुठभेड़ में मार गिरा रहे हैं। उन्होंने कहा कि एड़समेटा जैसी और कई ऐसी घटनाएं हैं, जिनमें फर्जी मुठभेड़ के प्रमाण मिले हैं लेकिन दोषियों पर कोई कार्यवाही नहीं की जा रही है। 



ये है पूरा मामला 



बीजापुर जिले के एड़समेंटा गांव में 17 मई 2013 को पांरपरिक बीज पंडुम त्योहार मनाने ग्रामीण इकट्ठे हुए थे। तभी जवानों ने उन्हें नक्सली समझकर ग्रामीणों पर अंधाधुंध गोली चलाई थीं। जिससे मौके पर ही 8 ग्रामीणों की मौत हो गई थी। मृतकों में 4 नाबालिग भी शामिल थे। इस घटना के बाद लगातार हफ्तेभर तक ग्रामीणों ने दोषियों पर कार्रवाई करने की मांग को लेकर आंदोलन किया और इस घटना की जांच की मांग की। न्यायिक जांच आयोग बनाकर इस घटना की जांच हुई और जांच में इस घटना को फर्जी मुठभेड़ पाया गया, लेकिन घटना के 10 साल बीत जाने के बाद भी आज तक दोषी पुलिस जवानों को सजा नहीं दी गई है। इससे गुस्साए सैकड़ों ग्रामीणों ने जिले के बुर्जी गांव में इकट्ठा होकर पुलिस की फर्जी मुठभेड़ में मारे गए ग्रामीणों को श्रद्धांजलि देते हुए न्याय की मांग की। वहीं उन्होंने एड़समेटा के साथ बस्तर में हुई तमाम फर्जी मुठभेड़ों पर दोषियों पर कार्रवाई करने की मांग के साथ मारे गए ग्रामीणों के परिजनों को 40- 40 लाख रुपए मुआवजा दिए जाने की मांग की है।


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