7 जुलाई 1896 को मुंबई के वॉटसन होटल में 6 फिल्में दिखाई गईं। टिकट की कीमत एक रुपए थी। फिल्म जैसे ही शुरू हुई और पर्दे पर चलती ट्रेन देख चीख-पुकार मच गई। फिल्म देख रहे लोगों को लगा, सच में ट्रेन उनकी ओर आ रही है। वो मारे जाएंगे। थिएटर में जितनी औरतें थीं, वो डर के मारे बेहोश हो गईं। ज्यादातर पुरुष दर्शक थिएटर छोड़कर भाग निकले। कुछ इस अंदाज में भारत में सिनेमा दिखाए जाने की शुरुआत हुई। हालांकि, ये कोई पहले से तय प्लानिंग के हिसाब से नहीं हुआ था। फिल्म का शो ऑस्ट्रेलिया में होना था लेकिन जो लूमियर ब्रदर्स ये फिल्म लेकर ऑस्ट्रेलिया जा रहे थे, उनका प्रोग्राम कैंसिल हो गया। फिर उन्होंने सोचा क्यों ना भारत में ही फिल्में दिखाई जाएं। बस यहीं से भारत में फिल्में दिखाने का सिलसिला शुरू हुआ। इस घटना को भारतीय सिनेमा का जन्म माना जाता है।
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