नई दिल्ली. कोरोना वैक्सीनेशन में मिक्स डोज को शामिल करने के लिए सरकार ने साइंटिफिक स्टडी की अनुमति दे दी है। इसके साथ ही अब एक व्यक्ति को दो अलग-अलग वैक्सीन की खुराक दी जा सकेंगी। अब तक सामने आई मेडिकल रिसर्च में पॉजिटिव रिजल्ट्स सामने आए हैं।
जल्द ही शोध शुरू होगा
29 जुलाई को देर रात तक चली सब्जेक्ट एक्सपर्ट कमेटी (SEC) की बैठक में कोवीशील्ड और कोवैक्सिन, इनके अलावा नाक से दी जाने वाली भारत बायोटेक की वैक्सीन और सिरिंज से दी जाने वाली कोवैक्सिन की मिक्स डोज पर अध्ययन की अनुमति दी गई है। जल्द ही देशभर के अस्पतालों में यह शोध शुरू होगा।
कोवीशील्ड और कोवैक्सिन की मिक्स डोज का टेस्ट
SEC के एक वरिष्ठ सदस्य ने बताया कि एक ही व्यक्ति को दो अलग-अलग वैक्सीन कई देशों में दी जा रही है। भारत में पिछले दिनों उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश में ऐसी एक व्यक्ति को दो अलग-अलग वैक्सीन डोज देने के मामले सामने आए थे। इसे लापरवाही माना गया। क्योंकि वैक्सीनेशन में अभी हमने मिक्स्ड डोज को शामिल नहीं किया है। उन्होंने बताया कि वैल्लोर के क्रिश्चियन मेडिकल कॉलेज के एक्सपर्ट्स भी से मिक्स्ड डोज को लेकर प्रस्ताव भी मिला है। फिलहाल इस पर अध्ययन की अनुमति दी गई है। उम्मीद है कि आने वाले दिनों में बेहतर परिणाम मिलने के बाद इसे वैक्सीनेशन में शामिल कर लिया जाएगा। पूरी प्रक्रिया में कम से कम 3 से 4 महीने का समय लग सकता है।
मिक्स्ड डोज का कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं दिखा
कमेटी के मेंबर ने ये भी कहा कि कोवीशील्ड और कोवैक्सिन की मिक्स्ड डोज देने से कोई प्रतिकूल असर सामने नहीं आया। पूरी संभावना है कि वैज्ञानिक अध्ययन में कोरोनावायरस और एडिनो वायरस से बनीं दो अलग-अलग वैक्सीन एक शरीर में जाकर समान असर दिखाएंगीं।