कोरोना का नया वैरिएंट ओमिक्रॉन एक बार फिर डरा रहा है। चारों तरफ इसकी दहशत देखने को मिल रही है। एक्सपर्ट भी कह रहे हैं कि तीसरी लहर आ सकती है। मध्यप्रदेश सरकार भी अलर्ट पर है। लेकिन ग्वालियर में प्रशासन जुलाई माह से बार-बार यह दावा कर रहा था कि कोरोना से निपटने के लिए पूरे इंतजाम कर लिए गए हैं, लेकिन ये दावे हकीकत में नहीं बदल पाए।
आधी-अधूरी तैयारी
जयारोग्य चिकित्सालय के अलावा और किसी अस्पताल में पीडियाट्रिक ICU शुरू नहीं हो पाया है। सिविल अस्पताल हजीरा में में प्लांट लग गया है लेकिन पीडियाट्रिक ICU बना ही नहीं है। उधर जयारोग्य चिकित्सालय परिसर में बन रहे 1000 बिस्तर के अस्पताल का सी-ब्लॉक का काम भी पूरा नहीं हो पाया है।
डेंगू-वायरल से फुल पीडियाट्रिक ICU
जयारोग्य चिकित्सालय में डेंगू-वायरल के कारण इस ICU में 36 से बढ़ाकर 56 बेड किए गए हैं, जो फुल हैं। अब यदि काेराेना से बच्चे बीमार हुए तो उन्हें भर्ती करना मुश्किल हाेगा। यहां कम से कम 150 बेड का इंतजाम करना हाेगा। जेएएच में 4 ऑक्सीजन प्लांट चल रहे हैं लेकिन सन फार्मा का प्लांट काम नहीं कर रहा था। जिला अस्पताल मुरार में ऑक्सीजन प्लांट लग गया है और मेडिसिन ICU भी शुरू हो गया है, लेकिन न सीटी स्कैन मशीन लगी है और न बेड बढ़ाए गए हैं।
जेएएस में सी-ब्लॉक का काम अटका
जेएएच परिसर में ही 1 हजार बेड का अस्पताल के सी ब्लॉक का काम स्टाफ की कमी के साथ ही संसाधनों की कमी के चलते धीमी गति से चल रहा है। सरकार का दावा था कि कोरोना की तीसरी लहर में इस सी-ब्लॉक का अहम रॉल रहेगा। इससे लोगों को अच्छा इलाज मिलेगा। लेकिन मामला अटका हुआ है।
दावे की हकीकत कुछ और ही
CMHO का दावा है कि सब कुछ तैयार है और स्टाफ को ट्रेनिंग दी जा रही है। जल्द इसे शुरू कर लिया जाएगा। हजीरा सिविल अस्पताल में भी आईसीयू बनने की बात कही है, लेकिन पीडियाट्रिक ICU पर कुछ नहीं कह सके हैं। दावा तो यह किया जा रहा है कि वह पूरी तरह तैयार है, लेकिन हकीकत कुछ और ही है।
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