पहली नेजल वैक्सीन: जनवरी में आ सकती है, कैसे काम करती है,कितनी फायदेमंद, जानें सबकुछ

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पहली नेजल वैक्सीन: जनवरी में आ सकती है, कैसे काम करती है,कितनी फायदेमंद, जानें सबकुछ

कोरोना महामारी में वैक्सीन को हथियार के तौर पर देखा जा रहा है। अभी तक जो वैक्सीन बाजार में मौजूद हैं उन्हें इंजेक्शन के जरिए इंजेक्ट किया जा रहा है। लेकिन जल्द ही नेजल वैक्सीन (Nasal Vaccine) भी आम लोगों को बीच उपलब्ध होगा। नेजल वैक्सीन यानी नाक से दी जानी वाली वैक्सीन। ओमिक्रॉन पर इसके कितना असर होगा इसपर रिसर्च की जा रही है।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में देश को संबोधित करते हुए भारत में नेजल वैक्सीन लाने की बात कही। माना जा रहा है कि जनवरी तक देश में नेजल वैक्सीन आ सकती है।आइए जानते हैं क्या होती है नेजल वैक्सीन, ये बाकी वैक्सीन से कैसे अलग है,सब कुछ।




क्या है नेजल वैक्सीन ?



नेजल वैक्सीन को नाक के जरिए शरीर में डाला जाता है। इसे इंट्रानेजल वैक्सीन कहा जाता है। यह एक तरह से नेजल स्प्रे जैसी है। 




नेजल वैक्सीन के फायदे



वायरस को नाक में खत्म किया जा सकेगा, इससे फेफड़ों को इंफेक्ट नहीं करेगा।

नेजल स्प्रे की तरह नाक में बूंद डालकर दी जा सकेगी, हेल्थ वर्कर को ट्रेनिंग नहीं देनी होगी।

प्रोडक्शन और स्टोरेज आसान होगा, इससे वैक्सीन के वेस्टेज की समस्या खत्म होगी।

दर्दभरे इंजेक्शन से छुटकारा मिलेगा, इसलिए बच्चों को आसानी से दी जा सकेगी।

ये सिंगल डोज वैक्सीन है। नेजल वैक्सीन 14 दिन में ही असर दिखाने लगती है।

इफेक्टिव नेजल डोज न केवल कोरोनावायरस से बचाएगी, बल्कि बीमारी फैलने से भी रोकेगी। मरीज में माइल्ड लक्षण भी नजर नहीं आएंगे। वायरस भी शरीर के अन्य अंगों को नुकसान नहीं पहुंचा सकेगा।

इसका एक और बड़ा फायदा यह है कि सुई और सीरिंज का कचरा भी कम होगा।




इंडिया में उपलब्ध होगी ये नेजल वैक्सीन



भारत में जो वैक्सीन मिल सकती है उसे BBV154 नाम दिया गया है। इस वैक्सीन को भारत बायोटेक और वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन (WUSM) मिलकर बना रहे हैं। भारत बायोटेक ने कहा है कि वो 2022 में वैक्सीन के 100 करोड़ डोज के प्रोडक्शन का टार्गेट लेकर चल रही है।




नेजल स्प्रे बाकी वैक्सीन से कितनी अलग होगी



अभी देश में स्पूतनिक, कोवीशील्ड और कोवैक्सीन लगाई जा रही है। ये तीनों वैक्सीन डबल डोज वैक्सीन हैं। देश में अब तक 8 वैक्सीन को मंजूरी मिल चुकी है। अगर BBV154 इंट्रानेजल को मंजूरी मिलती है, तो ये देश की पहली इंट्रानेजल वैक्सीन होगी। इसे केवल एक बार ही दिया जाएगा।




नेजल वैक्सीन काम कैसे करती है?




कोरोनावायरस समेत कई माइक्रोब्स (सूक्ष्म वायरस) म्युकोसा (गीला, चिपचिपा पदार्थ जो नाक, मुंह, फेफड़ों और पाचन तंत्र में होता है) के जरिए शरीर में जाते हैं। नेजल वैक्सीन सीधे म्युकोसा में ही इम्यून रिस्पॉन्स पैदा करती है। नेजल वैक्सीन वहां लड़ने के लिए सैनिक खड़े करती है जहां से वायरस शरीर में घुसपैठ करता है। नेजल वैक्सीन आपके शरीर में इम्युनोग्लोबुलिन A (igA) प्रोड्यूस करती है। माना जाता है कि igA इंफेक्शन को अर्ली स्टेज में रोकने में ज्यादा कारगर होता है। ये इंफेक्शन रोकने के साथ-साथ ट्रांसमिशन को भी रोकता है।



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