कोरोना काल ने कोरोना के लक्षण दिखने पर बिना डॉक्टर की सलाह के लोगों ने कई दवाएं ली है, जिससे उनका स्वास्थ्य बेहतर नहीं होता बस बेहतर होता हुआ महसूस होता है। इन्हीं में से एक दवा है, एजिथ्रोमाइसिन। यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया और स्टेनफोर्ड यूनिवर्सिटी ने रिसर्च में बताया है कि इस दवा से किसी को कोई फायदा नहीं होता है।
डॉक्टर की सलाह के बिना बिकती दवाएं
कोरोना के दौरान लोगों ने एजिथ्रोमाइसिन को एंटीबायोटिक की तरह खूब इस्तेमाल किया है। गले में खराब या इंफेक्शन महसूस करने पर लोग खुद ही मेडिकल स्टोर से ये दवा ले आते हैं और बिना किसी डॉक्टर की सलाह के खा लेते हैं। देश ऐसी मेडिकल स्टोर से भरा है जो बिना प्रिस्क्रिप्शन के धडल्ले से दवा बेचते हैं। एजिथ्रोमाइसिन शेड्यूल H की दवा है जिसे डॉक्टर की इजाजत के बिना नहीं दिया जा सकता।
डॉक्टर की सलाह के बिना धडल्ले से बिकती दवाएं
कोरोना के दौरान लोगों ने एजिथ्रोमाइसिन को एंटीबायोटिक की तरह खूब इस्तेमाल किया है। गले में खराश या इंफेक्शन महसूस करने पर लोग खुद ही मेडिकल स्टोर से ये दवा ले आते हैं और बिना डॉक्टर की सलाह के खा लेते हैं। देश ऐसी मेडिकल स्टोर से भरा है जो बिना प्रिस्क्रिप्शन देखे धडल्ले से दवा बेचते हैं। एजिथ्रोमाइसिन शेड्यूल H की दवा है जिसे डॉक्टर की इजाजत के बिना नहीं दिया जा सकता।
स्वास्थ्य मंत्रालय ने सिफारिश से हटाया
देश में महामारी की शुरूआत से ही एंटीवायरल ड्रग को बेअसर बताया है। उस समय सरकार ने एजिथ्रोमाइसिन और हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन के इमरजेंसी इस्तेमाल की इजाजत दी थी। सरकार ने तीन महीने पहले ही होम आइसोलेशन में लोगों को एजिथ्रोमाइसिन के इस्तेमाल की इजाजत दी थी, लेकिन बाद में इसे क्लिनिकल मैनेजमेंट प्रोटोकॉल ने सलाह सूची से निकाल दिया।