ऑक्सफोर्ड कंपनी का दावा है कि एस्ट्राजेनेका की खुराकों के बीच अंतराल 8 से 12 हफ्ते होने के बजाय 44-45 हफ्ते यानी दस महीने होने पर एंटीबॉडी चार गुना बनती है। ऑक्सफोर्ड ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि वैक्सीनेशन के बाद करीब एक साल तक शरीर में एंटीबॉडी का लेवल हाई रहता है।
दो खुराकों के बीच का अंतराल
वैक्सीन की दो खुराकों के बीच अंतराल बढ़ाने के दो फायदे होंगे। पहला जहां वैक्सीन पहुंचने में परेशानी हैं वहां अंतर बढ़ने से अधिक लोगों को वैक्सीन लग सकेगी। दूसरा, डोज के बीच दस महीने के अंतर से एंटीबॉडी बढ़ेगी जिससे लंबे समय तक कोरोना का खतरा टलेगा।
बूस्टर डोज से बढ़ेगी इम्युनिटी
रिसर्च में पाया गया कि अगर एस्ट्राजेनेका के वैक्सीन की तीसरी और बूस्टर डोज दी जाए तो यह इम्यून सिस्टम को दो गुना तक मजबूत करेगी। अभी शोधकर्ताओं ने इस बारे में कोई रिपोर्ट पेश नही की है कि बूस्टर डोज कितनी जरूरी है और इसे कब लगवाना चाहिए।
स्पेशल वैक्सीनेशन प्रोग्राम
शोध में पाया गया कि तीसरी डोज लगने से एंटीबॉडी और टी सेल प्रतिरोधक क्षमता दूसरी खुराक के मुकाबले ज्यादा बढ़ी है। यह ज्यादा लंबे टाइम तक असर करेगी। ब्रिटेन सरकार के मुताबिक, वह अपने यहां दोनों खुराक लगवा चुकी आबादी के लिए एक स्पेशल वैक्सीनेशन प्रोग्राम शुरू करने की प्लानिंग कर रही है।