कोरोना की दूसरी लहर अब कमजोर होती नजर आ रही है, लेकिन मौत के आंकड़ों में कोई बदलाव नहीं हो रहा है। 30 जून को देशभर में कोरोना के 48 हजार मामले दर्ज किए गए थे। वहीं, 1002 लोगों की जान कोरोना की वजह से गई। पहली लहर में रोज होने वाली मौतों का प्रतिशत 1.3 था। । जबकि दूसरी लहर में यह 5 % तक पहुंच गया। 9 जून को तो ये आंकड़ा 6.5% हो गया।
नए केस 1.24 प्रतिशत
भारत में पहली लहर का पीक 16 सितंबर 2020 को आया था। 2 सितंबर को 82 हजार 865 मामले दर्ज किए गए और मौतों की संख्या 1 हजार 26 थी। यानि नए केस का प्रतिशत 1.24 था। 16 सितंबर तक 97 हजार 860 मामले दर्ज किए गए और 1 हजार 140 लोगों की मौत हुई। दूसरी लहर का पीक दो हफ्ते पहले यानी 22 अप्रैल को आया था। उस वक्त 3 लाख 32 हजार 531 मामलों के साथ 2 हजार 57 संक्रमितों की मौत हुई थी। 6 मई को दूसरी लहर का पीक आया था। देशभर में 4 लाख 14 हजार 280 नए केस आए और 3 हजार 923 की जान गई।
मौत के आंकड़े
महाराष्ट्र और दिल्ली दो ऐसे राज्य है, जिन्होंने 2020 और 2021 में हुई मौतों का आंकड़ा सम्मिलित रूप से बताया था। महाराष्ट्र ने 16 मई 2020 को 1 हजार 409 मौतें रिपोर्ट की थीं। 16 मई को 81 मौतें हुई थी। बाकी 1 हजार 328 पुरानी मौतों को जोड़ा गया था।वहीं, दिल्ली में 16 मई 2020 को 437 मौतें रिपोर्ट हुई थीं। इनमें से 344 मौतें लेट रिपोर्ट की गई थीं। महाराष्ट्र मई 2020 से लगातार पुरानी मौतें जोड़ता रहा है। ऐसा नहीं है कि ये सिर्फ भारत में हो रहा है। कोरोना में ऐसा पहले भी हुआ है, जब केस और मौतों के ट्रेंड अलग-अलग रहे हों।
केस का ट्रेंड
डॉक्टरों के मुताबिक, बेहतर रिपोर्टिंग के कारण लोग मौतों का सही आंकड़ा जान पाए हैं। राज्यों में 14 दिन के बाद केस कम जरूर हो रहे है, लेकिन मौत के आंकड़ो में गिरावट नहीं आ रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि कई राज्यों द्वारा मौत के मामले रिपोर्ट किए जाने के देरी की गई। इसलिए मौतों की संख्या में इजाफा दिख रहा है।