29 जून को सरकार ने डेल्टा वैरिएंट और कोरोना की तीसरी लहर को लेकर कुछ अहम बातें कहीं। कोविड टास्क फोर्स के चीफ डॉ. वीके पॉल ने कहा कि तीसरी लहर का आना या ना आना हमारे हाथ में है। इसमें ओवरऑल डिसिप्लिन रखने की जरुरत है। देश में मौजूद डेल्टा वैरिएंट का अप्रत्याशित व्यवहार भी महामारी की तस्वीर को बदल सकता है।
नए वैरिएंट पर वैक्सीन का असर
देश के 12 राज्यों में डेल्टा+ वैरिएंट के मामले सामने आए हैं। अभी तक ऐसा कोई साइंटिफिक डाटा नहीं आया है, जिससे यह साबित हो सके कि डेल्टा+ वैरिएंट वैक्सीन की क्षमता को कम करता हो। डेल्टा+ वैरिएंट अभी आया है और इसीलिए इसके बारे में वैज्ञानिकों की जानकारी शुरुआती चरण में है। वैक्सीन पर इसके असर और संक्रमण की रफ्तार के बारे में पूरी जानकारी की जरूरत है।
कोवैक्सिन और कोवीशील्ड
इंडियन काउंसिल फॉर मेडिकल रिसर्च के परीक्षण में सीरम इंस्टिट्यूट की कोवीशील्ड और भारत बायोटेक की कोवैक्सिन कोरोनावायरस के खिलाफ प्रभावी हैं। दोनो वैक्सीन देश में मौजूद डेल्टा वैरिएंट पर भी असरदार हैं।
तीसरी लहर
तीसरी लहर को लेकर कोई तारीख तय करना ठीक नहीं। ये सभी के अनुशासन और हमारी प्रतिक्रिया पर निर्भर करता है। अनुशासन के जरिए हम किसी अप्रत्याशित कोरोना आउटब्रेक से देश को बचा सकते हैं। कोई लहर कितनी बड़ी होगी, ये टेस्टिंग और कंटेनमेंट स्ट्रैटजी, वैक्सीनेशन की रफ्तार और हमारे व्यवहार पर निर्भर करता है।