Damoh. दमोह के कोतवाली थाना क्षेत्र के कछियाना मोहल्ला में दो पक्षों के बीच किसी बात को लेकर विवाद हो गया जिसमें एक पक्ष घायल होकर जिला अस्पताल पहंुचा। जहां अस्पताल के कर्मचारियों द्वारा उनका इलाज किया जा रहा था इसी दौरान दूसरे पक्ष के लोग वहां पहंुच गए और उन्होंने घायलों के साथ मारपीट की और रोकने पर कर्मचारियों और सुरक्षा गार्ड को भी मारा। यह पूरी घटना वहां लगे सीसीटीवी कैमरे में कैद हो गया। जब तक पुलिस मौके पर पहंुची घायल भाग चुके थे।
अस्पताल स्टाफ में मची भगदड़
दोनों पक्ष जिला अस्पताल की कैजुअल्टी में जब गुत्थमगुत्थ हुए तो शुरूआत में तो लोगों ने बीचबचाव करने का प्रयास किया लेकिन जैसे ही मामला बढ़ने लगा तो ड्यूटी पर तैनात डॉक्टर और स्टाफ में खलबली मच गई। जैसे ही आरोपी बीचबचाव करने वालों से मारपीट करने लगे तो हो हल्ले के बीच कई कर्मचारी मौके से खिसक लिए।
ये है मामला
जिला अस्पताल में भर्ती घायल ब्रजेश सैनी ने बताया कि वह कछियाना मोहल्ला के नजदीक रहता है। शुक्रवार की रात आकाश रजक और एक अन्य व्यक्ति का किसी से विवाद चल रहा था तो वह बीच बचाव करने चला गया तो उन्होंने मारपीट कर दी जिससे वह घायल होकर जमीन पर गिर पड़ा। इसी दौरान उसका साथी बंटी रजक भी वहां खड़ा था तो आरोपितों ने उनके साथ भी मारपीट की और मौके से भाग गए। स्वजन दोनों घायलों को इलाज के लिए जिला अस्पताल लेकर आए जहां उनका
इलाज चल रही था इसी दौरान दोनों आरोपित अपने साथियों के साथ अस्पताल पहंुच गए और मारपीट शुरू कर दी। जिसके हाथ में जो आया वह उठाकर मारता गया। स्वास्थ्य कर्मियों और सुरक्षा गार्ड ने बचाया तो उनके साथ भी मारपीट की गई।
पुलिस ने दर्ज किया मामला
पुलिस में इस बात की शिकायत दर्ज कराई है। वहीं दूसरे पक्ष से घायल हुए लोगों ने बताया कि उन पर ब्रजेश सैनी और बंटी रजक ने हमला किया है। वह अपनी जान बचाकर पुलिस से मदद मांगने अस्पताल चौकी पहंुचे, लेकिन वहां कोई भी पुलिसकर्मी मौजूद नहीं था। एक घंटे तक यह हंगामा चलता रहा। एक पक्ष के लोग अस्पताल में भर्ती हैं। पुलिस ने पूरे मामले की जांच शुरू कर दी है।
जबलपुर में भी हो चुकी है ऐसी घटना
जिला अस्पतालों में विवाद के बाद मुलाहजे के दौरान तनातनी होती रहती है लेकिन 1 घंटे तक मारपीट हो और पुलिस न पहुंचे तो बात गंभीर हो जाती है। डेढ़ माह पूर्व जबलपुर जिला अस्पताल में भी दो पक्षों द्वारा मुलाहजे के दौरान इस प्रकार का बलवा किया जा चुका है। जिला अस्पतालों में तैनात स्वास्थ्य कर्मी अनेकों बार सुरक्षा की मांग कर चुके हैं लेकिन हर बार आश्वासन ही दिया जाता है।