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Delhi. राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने देश के सबसे बड़े व्यापारी मुकेश अंबानी के बंगले एंटीलिया के पास जिलेटिन से भरी स्कॉर्पियो मिली थी। यह स्कॉर्पियो मनसुख हिरेन नाम के व्यापारी की थी। जब इस मामले की जांच हुई तब पता चला की हिरेन की हत्या हो चुकी है। हिरेन की हत्या और एंटीलिया के पास विस्फोटक से मिली गाड़ी की जांच एनआईए (NIA) को भेज दी गई, जिसमें उसने हिरेन की हत्या और एंटीलिया कांड मामले में अन्य अभियुक्तों के साथ पूर्व एनकाउंटर स्पेशलिस्ट प्रदीप शर्मा को गिरफ्तार कर लिया। इस मामले में प्रदीप शर्मा ने अपनी जमानत याचिका मुंबई हाई कोर्ट में दायर की थी। मनसुख हिरेन हत्याकांड मामले में NIA ने बॉम्बे हाई कोर्ट में अपना हलफनामा दायर किया है। उस हलफनामे के जरिए शर्मा की जमानत का विरोध किया गया है। उन्हें इस पूरे मामले का मुख्य साजिशकर्ता बताया गया है।
प्रदीश शर्मा ने सबूत मिटाए
हलफनामे में इस बात पर भी जोर दिया गया है कि प्रदीप शर्मा द्वारा लगातार जांच एजेंसियों को गुमराह करने का काम किया गया था। जब इस मामले की शुरुआत की ही गई थी, तब प्रदीप ने खुद को निर्दोष बताया था। उस समय उनकी तरफ से हर सवाल के झूठे और गलत जवाब भी दिए गए थे। आरोप तो ये भी लगा है कि प्रदीप ने अपने साथियों के साथ मिलकर इस मामले से जुड़े कई जरूरी सबूत नष्ट कर दिए थे।
साजिश रचने, हत्या और आतंकी गतिविधियों में शामिल होने के हैं आरोप
जमानत याचिका खारिज करने का आधार इस बात को भी बनाया जा रहा है कि प्रदीप शर्मा उस गैंग के सक्रिय सदस्य थे जिसके जरिए लोगों को आतंकित किया जाता था, डराया जाता था। इसी गैंग ने अंबानी परिवार को भी धमकाया था। NIA स्पष्ट कह रही है कि प्रदीप शर्मा निर्दोष नहीं हैं और वे साजिश रचने, हत्या और आतंकी गतिविधियों में शामिल हैं। हलफनामे में इस बात का भी जिक्र हुआ है कि मनसुख हिरेन को प्रदीप और वाजे की इस साजिश के बारे में पहले ही पता चल गया था। लेकिन क्योंकि उस समय प्रदीप शर्मा और सचिन वाजे को अपने आप को बचाना था, ऐसे में उन्होंने हिरेन की हत्या की प्लानिंग की।
5 मार्च को मिला था मनसुख हिरेन का शव
बता दें कि, 25 फरवरी, 2021 को देश के बड़े उद्योगपति मुकेश अंबानी के आवास ‘एंटीलिया’ के पास विस्फोटकों से लदी एक एसयूवी मिली थी। जिसके मालिक व्यवसायी मनसुख हिरन थे। उनकी हत्या कर दी गई थी। जो पिछले साल 5 मार्च को ठाणे में एक नाले में मृत पाए गए थे। इस मामले की जांच एनआईए कर रही थी। जिसमें कई नामचीन पुलिस अधिकारियों का नाम सामने आया था।