फैमिली को खत्म करने वाले ज्वेलर के भाई के आरोप, केस लड़ते-लड़ते भाई ने जान दे दी

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Sootr Desk rajput
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फैमिली को खत्म करने वाले ज्वेलर के भाई के आरोप, केस लड़ते-लड़ते भाई ने जान दे दी

RAISEN. रायसेन में सर्राफा व्यापारी की फैमिली के साथ आत्महत्या के मामले में बड़ा खुलासा हुआ। जितेंद्र ने आर्थिक तंगी से परेशान होकर बेटे और पत्नी को जहर दिया और फिर फांसी लगा ली। जितेंद्र के भाई पंकज ने सरकार पर बड़ा आरोप लगाया है। उन्होंने बताया कि परिवार की जमीन पर सरकार ने अपना दफ्तर बना लिया। जिस वजह से उनका भाई काफी परेशानी था, और हताश होकर यह कदम उठा लिया।





जितेंद्र सोनी के भाई पंकज का खुलासा



व्यापारी जितेंद्र सोनी ने बताया, बाड़ी में सड़क के नजदीक 6 एकड़ 25 डेसीमल जमीन है। यहां दो एकड़ से ज्यादा जमीन पर सरकार ने अतिक्रमण करके जनपद ऑफिस, एसडीओपी दफ्तर सहित दूसरे सरकारी विभागों के ऑफिस बना लिया। बाकी बची चार एकड़ जमीन पर सरकार ने पट्‌टे बांटकर झुग्गी बस्ती बसा दी है। जबकि सरकार को जमीन का लगान हम चुकाते हैं। यह जमीन पुरखों ने कभी भी शासन को दान में नहीं दी। न ही इस जमीन का कोई मुआवजा लिया है। निजी पैत्रक जमीन पर शासन के कब्जे के खिलाफ तहसील दफ्तर से लेकर हाईकोर्ट तक केस लगाया है। सभी जगह से अब तक तारीख पर तारीख ही मिल रही है। फैसला किसी भी कोर्ट ने नहीं हुआ। कोर्ट में केस लड़ते-लड़ते 25 साल से ज्यादा हो गए।



जमीन पर से शासन के अतिक्रमण को हटवाने के लिए कलेक्टर से लेकर सीएम हेल्पलाइन तक कई बार शिकायत कर चुके हैं। लेकिन, कहीं सुनवाई नहीं हुई। इधर कोरोना में कारोबार पूरी तरह से बंद हो गया। इसके चलते भैय्या (जीतेंद्र सोनी) कोर्ट में चल रहे मामले की हर पेशी पर जाते थे। जमीन पर कब्जा मिलने पर प्रॉपर्टी की कीमत की 25 प्रतिशत राशि एडवोकेट कंसलटेशन फीस के रुप में देने की शर्त पर बाड़ी के ही धाकड़ वकील को केस दिया था। 



वह पिछले एक महीने से भैय्या से 10 लाख रूपए की मांग कर रहे थे। यह रुपए वह कोर्ट में केस की पैरवी करने की फीस बताकर मांग रहे थे। जमीन की किताब, नक्शे, खतौनी भी एडवोकेट धाकड़ के पास ही रखी है। इससे भी वह खासे परेशान थे। इसी आर्थिक तंगी और कोर्ट केस से परेशान होकर भैय्या ने पत्नी, बच्चे के साथ खुदकुशी कर ली।



पैत्रक जमीन पर झुग्गी के बंटे हुए पट्टे कैंसिल कराने के लिए कई बार एसडीएम, तहसीलदार से भैय्या ने गुहार लगाई। यह अफसर पांच-पांच और 10-10 लाख रुपए मांगते हैं। इतना रुपया अब नहीं बचा। 25 साल से केस लड़ रहे हैं। आर्थिक स्थिति इतनी बिगड़ गई है कि अब कोर्ट में तय तारीख को पेशी पर जाने तक के लिए पैसे नहीं बचे हैं।



भ‌ैय्या , इस केस में काफी रुपए खर्च कर चुके थे। लेकिन, केस का निपटारा होता नहीं दिख रहा था। भ‌ैय्या ने परिवार सहित सुसाइड कर लिया है। एक भतीजा अस्पताल में मौत से जिंदगी की लड़ाई लड़ रहा है। अगर सीएम शिवराज सिंह चौहान ने हमारी बात चार दिन में नहीं सुनी, तो मैं भी परिवार सहित सुसाइड करूंगा।


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