HYDERABAD. तेलंगाना स्टेट पब्लिक सर्विस कमीशन (TSPSC) के पेपर लीक केस देश का पहला केस हो सकता है जिसमें AI ChatGPT से नकल की गई है। परीक्षा को देने वालों ने ChatGPT के माध्यम से रीयल टाइम में उत्तर पता किए।
पेपर लीक केस की जांच कर रही SIT ने पाया कि जिन लोगों को परीक्षा का पेपर मिला था उनमें से एक ने ChatGPT की मदद से उसे सॉल्व किया और फिर परीक्षा दे रहे लोगों को ब्लू टूथ ईयर बड्स की मदद से उत्तर लिखने में मदद की। यह परीक्षा असिस्टेंट एग्जीक्यूटिव इंजीनियर के पद के लिए हुई थी।
SIT को इसकी जानकारी तेलंगाना स्टेट नॉर्थ पावर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी लिमिटेड के डिवीजनल इंजीनियर पूला रमेश से मिली है। पुलिस ने उसे पेपर लीक के मामले में उठा लिया था। पुलिस से मिली जानकारी के अनुसार रमेश को परीक्षा के तीन पेपर मिल गए थे। इन में से दो पेपर्स को सॉल्व करने के लिए उसने चैट जीपीटी का इस्तेमाल किया। केस की जांच कर रहे उच्च स्तर के अधिकारियों ने कहा कि रमेश ने इसके बाद परीक्षा में बैठ रहे 7 कैंडिडेट्स को नकल कराने का डीटेल प्लान बनाया। ये परीक्षाएं 22 जनवरी और 26 फरवरी को हुई थीं। इसके लिए उसने सातों के कान में माइक्रो इयर पीस डलवाए और उनको उत्तर बताए।
कैसे मिले पेपर
कहा जा रहा है कि एक एग्जाम सेंटर के प्रिंसिपल ने परीक्षा शुरू होने के 10 मिनट पहले पेपर्स के फोटो लेकर रमेश को भेजे थे। रमेश ने पेपर सॉल्व करने की पहले से ही तैयारी कर ली थी। वह पेपर्स के इंतजार में अपने चार साथियों के साथ बैठा था और उसने पेपर मिलते ही ChatGPT की मदद से उसे सॉल्व किया और सातों परीक्षार्थियों तक सही उत्तर पहुंचा दिए। कहा जा रहा है कि सातों ने उसे पेपर में चीटिंग कराने के लिए 40-40 लाख रुपए दिए थे।
दस करोड़ कमाना चाहता था
वहीं, असिस्टेंट इंजीनियर के 5 मार्च को हुए एग्जाम में रमेश ने चैटजी जीपीटी का उपयोग नहीं किया, क्योंकि इस परीक्षा का पेपर उसे काफी पहले एडवांस में मिल गया था। यह पेपर डिपार्टमेंट में काम कर रहे उसके रिश्तेदार पूला रवि किशोर ने दिलवाया था। पुलिस के अनुसार रमेश ने यह पेपर 30 से ज्यादा कैंडिडेट्स को 25 से 30 लाख रुपए में बेच दिया था। रमेश पेपर बेच कर 10 करोड़ रुपए कमाना चाहता था। उससे पेपर खरीदने वालों में तेलंगाना के सरकारी कर्मचारी भी थे।
मार्च में पेपर लीक केस के खुलने से पहले रमेश ने तेलंगाना में 1.1 करोड़ रुपए कमा लिए थे।