छग में नशीली गोलियां बनाने वाली कंपनी का संचालक गुजरात से गिरफ्तार, मप्र समेत कई राज्यों में खपाता था दवाइयां

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The Sootr CG
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छग में नशीली गोलियां बनाने वाली कंपनी का संचालक गुजरात से गिरफ्तार, मप्र समेत कई राज्यों में खपाता था दवाइयां

RAIPUR. छत्तीसगढ़ में नशीली दवाओं की सप्लाई रोकने के लिए पुलिस लगातार कार्रवाई कर रही है। इस बीच, रायपुर पुलिस को बड़ी सफलता मिली है। पुलिस ने छत्तीसगढ़ में नशे में प्रयुक्त की जाने वाली गोलियां बनाने वाली गुजरात की वी-केयर हेल्थ केयर कंपनी के संचालक विरल मुकेश भाई पटेल को गुजरात के गांधी नगर से गिरफ्तार किया है। दरअसल, थाना आजाद चौक क्षेत्र में पुलिस ने 11 अक्टूबर 2022 को छह आरोपियों को बड़ी मात्रा में नशे में प्रयुक्त की जाने वाली गोलियों के साथ गिरफ्तार किया गया था, लेकिन मुख्य सरगना फरार था। 





मप्र में भी थी गोलियों की सप्लाई 





एएसपी सिटी अभिषेक माहेश्वरी और एएसपी पश्चिम देवचरण पटेल ने बताया कि मुख्य आरोपी विरल मुकेश भाई पटेल जबलपुर के दवा कारोबारी आकाश विश्वकर्मा के माध्यम से छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश और ओडिशा में नशे में प्रयुक्त की जाने वाली गोलियों को खपाता था। वह कुल उत्पादन की 80 प्रतिशत गोलियां जबलपुर के मां नर्मदा कंपनी को देता था। साथ ही गोलियों व सिरप का उत्पादन वह हिमाचल प्रदेश में कर सप्लाई लगातार कर रहा था। आकाश माल खपाने के लिए अलग-अलग शहरों में गोलियां भेजकर पैसा कलेक्शन करने का काम भी करता था। 





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2022 में पूरे प्रदेश से 50 लाख से अधिक नशीली दवाएं हुई थीं जब्त





बता दें कि प्रदेश में खपाई जाने वाली नशे में प्रयुक्त होने वाली गोलियां और सिरप के लगभग 95 प्रतिशत बाजार पर गुजरात की वी-केयर हेल्थ कंपनी का ही कब्जा है। पिछले एक वर्ष में प्रदेश भर से 50 लाख से अधिक ऐसी गोलियां व सिरप जब्त किए गए हैं। विरल मुकेश के कार्यालय को गुजरात के मेहशाणा में खोला गया, लेकिन पुलिस को वहां कोई ऑफिस मिला ही नहीं था।





ऐसे चलता था कीमत बढ़ाने का खेल





जानकारी के अनुसार नशे में प्रयुक्त की जाने वाली गोलियों स्पासमो और अल्प्राजोलम को और ज्यादा असरदार बनाने के लिए विरल मुकेश इसमें पेट दर्द में दी जाने वाली दवा ट्रामाडोल का कंटेंट मिलवाता था। ट्रामाडोल ज्यादा मात्रा में लेने पर नशे का काम करती है। बताया जाता है कि इन गोलियों की लागत प्रति गोली बमुश्किल 50 पैसे पड़ती है, जिन्हें थोक कारोबारी दो रुपए में बेचता है। रायपुर पहुंचते तक इसकी कीमत तीन से चार रुपए पड़ती है। दवा कारोबारी बिचौलियों के माध्यम से प्रति गोली 50 रुपए में बेचते हैं।



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