INDORE: डिप्टी रेंजर के पीछे कुल्हाड़ी लेकर दौड़ा ग्रामीण, अतिक्रमण रोकने पर विवाद

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Sootr Desk rajput
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INDORE: डिप्टी रेंजर के पीछे कुल्हाड़ी लेकर दौड़ा ग्रामीण, अतिक्रमण रोकने पर विवाद

Indore. इंदौर के रसकुड़िया में अतिक्रमण विरोधी कार्रवाई को लेकर उठे विवाद के बाद चोरल की एक और घटना सामने आई है। जहां अतिक्रमण रोकने पर ग्रामीण ने डिप्टी रेंजर पर हमला कर दिया है। घटना का वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है। मामले में वरिष्ठ अधिकारियों ने पूरी जानकारी मांगी है। 





यह है पूरा मामला



दरअसल गुरुवार को चोरल रेंज में पदस्थ डिप्टी रेंजर राकेश जारवाल और एक वनकर्मी ने आशापुर वनक्षेत्र में ग्रामीण सुरेश को अतिक्रमण कर खेती करते पाया। ग्रामीण और डिप्टी रेंजर के बीच तीखी बहस हुई। इस बीच सुरेश की पत्नी भी वहां पहुंच गई और डिप्टी रेंजर का डंडा छीनने लगी। इस दौरान ग्रामीण ने कुल्हाड़ी पकड़ रखी थी। दो-तीन बार उसने हवा में घुमाई और फिर डिप्टी रेंजर के पीछे दौड़ पड़ा। घटना का वनकर्मी ने वीडियो बना लिया। यह इंदौर वनमंडल के वरिष्ठ अधिकारियों को भेजा गया। यह वीडियो सभी जगह वायरल होने लगा। मामले में जांच शुरू हो चुकी है।





16 बार मांगा पुलिस बल



रसकुड़िया में अतिक्रमण की कार्रवाई के बाद ग्रामीण की शिकायत पर चोरल रेंजर रविकांत जैन सहित दो अन्य वनकर्मियों पर एफआइआर दर्ज हो चुकी है। घटनाक्रम से नाराज वनकर्मियों ने एपीसीसीएफ सीएच मोहंता और सीसीएफ नरेंद्र पंडवा से कहा है कि चोरल रेंज की तरफ से अतिक्रमण रोकने-अवैध कटाई, वनकर्मियों से मारपीट जैसे 16 अलग-अलग मामलों में थाने में शिकायत कर पुलिस बल मांगा था। ये शिकायतें सालभर में की गई हैं।



उमठ, बेका, रसकुड़िया, राजपुरा, सेंडल-मेंडल, आशापुरा सहित कई स्थानों से अतिक्रमण की कार्रवाई की गई, लेकिन पुलिस बल नहीं दिया गया। मजबूरन विभाग को महू-मानपुर रेंज और उड़नदस्ता दल भेजना पड़ता है। मामले डीएफओ पंडवा ने कहा कि पुलिस कमिश्नर और वरिष्ठ अधिकारियों से चर्चा कर दोनों विभागों में तालमेल बैठाया जाएगा।





सीधे दर्ज नहीं कर सकते केस



ग्रामीण की शिकायत पर रेंजर पर एफआइआर दर्ज हो चुकी है। मगर शिकायत पर सीधे कार्रवाई करना गलत है। 2012 में गृह विभाग से एक आदेश निकला था, जिसमें स्पष्ट रूप से पुलिस को निर्देश दिए थे कि अतिक्रमण हटाने, अवैध कटाई रोकने के लिए कार्रवाई से नाराज व्यक्तियों द्वारा ज्ञापन और शिकायत के आधार पर वन अफसर-कर्मचारी पर प्रकरण दर्ज नहीं किया जा सकता है। पूरे मामले में वन विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों से चर्चा के बाद प्रकरण बनाने पर जोर दिया है।


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