BHOPAL. एमपी के दो बड़े शहरों भोपाल और इंदौर में कमिश्नर सिस्टम को लागू हुए सवा साल बीत गया है। अपराधों पर लगाम लगाने के लिए 9 दिसंबर 2021 को कमिश्नर सिस्टम इन दोनों शहरों में लागू किया गया। सरकार ने विधानसभा में अपराध के आंकड़े पेश किए हैं। कांग्रेस विधायक जीतू पटवारी,आरिफ अकील और सज्जन सिंह वर्मा के अलग-अलग सवालों के लिखित जवाब में गृहमंत्री नरोत्त्म मिश्रा ने माना है कि इंदौर में कमिश्नर सिस्टम लागू होने के बाद अपराधों में करीब चार फीसदी का इजाफा हुआ है। लेकिन सरकार दावा करती है कि भोपाल में अपराधों में 16 फीसदी की कमी आई है। एक साल के अपराध देखें तो जबलपुर नंबर एक पर और इंदौर नंबर दो पर है।
कमिश्नर सिस्टम का असर
इंदौर में 9 दिसंबर 2020 से 9 दिसंबर 2021 तक 14 हजार 699 अपराध दर्ज किए गए। इसके बाद कमिश्नर सिस्टम लागू हो गया। 9 दिसंबर 2021 से 9 दिसंबर 2022 यानी एक साल बाद अपराधों की संख्या 15 हजार 240 हो गई। यानी अपराधों में औसतन चार फीसदी का इजाफा हुआ। यानी यहां पर कमिश्नर सिस्टम बेअसर रहा। गंभीर अपराधों में वृद्धि हुई तो कुछ अपराधों में कमी भी आई। लूट, लूट का प्रयास, चोरी और बलवा जैसे अपराधों में कमी आई।
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इंदौर में हत्या तो भोपाल में बढ़ी लूट
इंदौर में सबसे ज्यादा हत्या के मामले बढ़े तो भोपाल में लूट के मामलों में बड़ा इजाफा हुआ। 9 दिसंबर 2020 से 9 दिसंबर 2021 तक भोपाल में 18 हजार 654 अपराध दर्ज किए गए। वहीं कमिश्नर सिस्टम लागू होने के बाद 9 दिसंबर 2021 से 9 दिसंबर 2022 तक 15 हजार 516 अपराध दर्ज किए गए। यहां पर औसतन 16.8 फीसदी की कमी आई। यहां पर डकैती, बलवा, नकबजनी उल्लेखनीय कमी दर्ज की गई।
इंदौर : अपराधों में इतना इजाफा
- हत्या- 27 फीसदी
भोपाल : अपराधों में बढ़ोतरी
- लूट- 72 फीसदी
एक साल में हुए अपराधों में जबलपुर अव्वल
1 जनवरी 2022 से 31 दिसंबर 2022 तक के अपराधों के आंकड़े देखें तो प्रदेश की संस्कारधानी जबलपुर अव्वल है। वहीं इंदौर का नंबर दूसरा है। इस अवधि में जबलपुर में 23 हजार 3 अपराध हुए तो इंदौर में 19 हजार 875 अपराध दर्ज किए गए। भोपाल में 19 हजार 798 तो ग्वालियर में 12 हजार 292 प्रकरण दर्ज हुए।
10 साल में 60 हजार महिलाओं से बलात्कार
पिछले दस सालों में बलात्कार के मामलों में लगातार इजाफा हुआ है। 1 जनवरी 2012 से 31 दिसंबर 2022 तक यानी दस सालों में 60 हजार 170 महिलाओं के साथ बलात्कार हुआ है। इनमें अनुसूचित जाति की 15 हजार 433, अनुसूचित जनजाति की 15 हजार 383, ओबीसी वर्ग की 18 हजार 484 और अल्पसंख्यक वर्ग की 3 हजार 3 महिलाओं के साथ बलात्कार हुआ।