असम के सीएम सरमा को खालिस्तानी संगठन SFJ की धमकी, कहा- हमारी लड़ाई भारत सरकार से है, बीच में पड़कर हिंसा का शिकार होने से बचें

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BP Shrivastava
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असम के सीएम सरमा को खालिस्तानी संगठन SFJ की धमकी, कहा- हमारी लड़ाई भारत सरकार से है, बीच में पड़कर हिंसा का शिकार होने से बचें

NEW DELHI. सरकार की भगोड़े अमृतपाल के खिलाफ कड़ी कार्रवाई से खालिस्तान समर्थक संगठन एसएफजे काफी नाराज हैं।  इस संगठन से जुड़े समर्थक और अमृतपाल के कुछ साथियों को असम की जेल में रखा गया है।  इस एक्शन से नाराज खालिस्तान समर्थकों ने अब असम के सीएम हिमंत बिस्वा सरमा को धमकाया है। सीएम सरमा को खालिस्तान समर्थक गुरपतवंत सिंह पन्नू ने धमकीभरा संदेश भेजा है। पत्र में कहा गया है कि खालिस्तान समर्थकों की लड़ाई भारत सरकार और पीएम नरेंद्र मोदी से है। इसलिए असम के सीएम इस मामले में ना पड़कर हिंसा का शिकार होने से बचें।



दर्जनभर पत्रकारों के पास आया फोन



असम के सीएम हिमंत बिस्वा सरमा को धमकी देने के लिए असम के करीब दर्जनभर पत्रकारों को फोन किया गया है। फोन करने वाले शख्स ने खुद को एसएफजे का सदस्य बताते हुए कहा है कि यह संदेश उन्हें गुरपतवंत सिंह पन्नू की तरफ से दिया जा रहा है। धमकी में कहा गया है कि असम में कैद खालिस्तान समर्थकों को प्रताड़ित किया गया है। सीएम सरमा इस बात को ध्यान से सुनें। खालिस्तान समर्थक सिखों की लड़ाई भारतीय शासन और मोदी से है। ऐसा न हो कि सरमा इस हिंसा का शिकार हो जाएं।



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एसएफजे की तरफ से किया गया कॉल



खालिस्तान अलगाववादियों ने यह भी कहा है कि अगर असम सरकार पंजाब से असम ले जाए गए अमृतपाल के समर्थकों को प्रताड़ित करने का सोच रही है तो इसकी जावबदेही हिमंत बिस्वा सरमा की ही होगी। उनका संगठन, एसएफजे जनमत संग्रह के जरिए पंजाब को अलग कराने की कोशिश कर रहा है।



सिख फॉर जस्टिस क्या है?



खालिस्तान की मांग को लेकर कई सारे संगठन बने हैं। इन्हीं में एक सिख फॉर जस्टिस भी है। इस संगठन की शुरुआत 2007 में अमेरिका से हुई थी। इसका सारा कामकाज गुरपतवंत सिंह पन्नू ही देखता है। इस संगठन का मकसद पंजाब को देश से अलग कर खालिस्तान बनाने का है। खालिस्तान यानी खालसाओं की भूमि। ऐसे आरोप लगते रहे हैं कि इस संगठन को पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई से फंडिंग होती है।



असम की डिब्रूगढ़ जेल में रखे गए कैदी



21 मार्च को अमृतपाल सिंह के चाचा हरजीत सिंह और ड्राइवर हरप्रीत सिंह ने सरेंडर कर दिया था। इसके बाद पुलिस ने उन्हें अरेस्ट कर असम के डिब्रूगढ़ सेंट्रल जेल पहुंचा दिया था। असम पुलिस की सुरक्षा में टीम गुवाहाटी से सड़क मार्ग से होते हुए जेल पहुंची थी। इसके अलावा अमृतपाल के चार करीबी सरबजीत सिंह कलसी, भगवंत सिंह, गुरमीत सिंह गिल और बसंत सिंह को भी डिब्रूगढ़ सेंट्रल जेल में ही रखा गया है।



300 से ज्यादा समर्थक पकड़े गए थे 



पंजाब पुलिस ने 18 मार्च को खालिस्तान समर्थक अमृतपाल के खिलाफ क्रैक डाउन की शुरुआत की थी। पुलिस के एक्शन में आते ही अमृतपाल फरार हो गया था। पुलिस ने कार्रवाई को आगे बढ़ाते हुए एक के बाद एक उसके 300 से ज्यादा समर्थकों को हिरासत में ले लिया था। हालांकि इनमें से ज्यादातर को पुलिस ने बाद में रिहा कर दिया था। पंजाब पुलिस अमृतपाल को पंजाब के अलावा, दिल्ली और हरियाणा में भी तलाश कर रही थी।



सरबत खालसा बुलाने की अपील की



जांच एजेंसी ने नेपाल में भी अमृतपाल की तलाश शुरू कर दी थी, लेकिन अमृतपाल ने वीडियो जारी कर दावा किया था कि वह कहीं नहीं भागा है, बल्कि पंजाब में ही है। इसके बाद अमृतपाल ने एक और वीडियो जारी किया था, जिसमें उसने जत्थेदारों से सरबत खालसा बुलाने की अपील की थी।



क्या है सरबत खालसा?



सरबत खालसा असल में एक सभा है, जिसमें दुनियाभर से सिख समुदाय के संगठनों को बुलाया जाता है। इसमें कुछ मसलों पर चर्चा होती है और फैसले लिए जाते हैं। इन फैसलों को सभी मानते हैं। सरबत का मतलब 'सभी' और खालसा का मतलब 'सिख' होता है यानी सभी सिखों की एक सभा। जरूरी नहीं कि सभी सिख खालसा हों, पर हर खालसा सिख होता है।


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