indore. वो तस्कर था। उसने खुद को 'मार' दिया था। पुलिस ने फाइल भी बंद कर दी थी। फिर पता चला मामला कुछ गड़बड़ है तो न केवल मृतक की फाइल खुल गई, बल्कि पोल भी खुल गई । अब वो जीता-जागता पुलिस गिरफ्त में है।
मामला तस्कर अभिषेक जैन (आलीराजपुर) का है। उसके करीब 11 साल पहले पुलिस ने उसे 830 ग्राम प्रतिबंधित रसायन के साथ गिरफ्तार किया था। मामला अदालत में गया तो बात सही साबित हुई और उसे 12 साल की सजा सुनाई गई। वो कई साल से इंदौर की सेंट्रल जेल के अंदर था और इधर बाहर कोरोना फैल गया। 2020 में जब कोरोना के कारण कई अपराधियों को पैरोल पर छोड़ा गया तो अभिषेक को भी उसका लाभ मिला।
कोरोना में मर गया, लापरवाही से जिंदा हुआ
जेल से जाने के बाद वो तो नहीं लौटा उसके रिश्तेदार जरूर उसका मृत्यु प्रमाण पत्र लेकर जेल पहुंचे । कागजात देख देख जेल प्रशासन ने भी मान लिया कि वो नहीं रहा। उसकी फाइल बंद हो गई। यह सिलसिला कुछ महीनों तक चला लेकिन फिर पोल खुल गई। दरअसल दो दिन पहले वड़ोदरा पुलिस ने एनसीबी को सूचना दी कि जिस अभिषेक जैन को मृत मानकर आपने फाइल बंद कर दी है वो जिंदा है और लोगों को लोन दिलाने का धंधा कर रहा है। इसके बाद फाइल फिर खुली। जिंदा व्यक्ति की तस्दीक हुई तो पता चला ये वही है जो 'मर' गया था। पुलिस ने उसे फिर गिरफ्तार कर जेल प्रशासन को सूचना भेज दी है। पूछताछ में पता चला कि कोरोना के पैरोल के दौरान उसने वड़ोदरा से मृत्यु का फर्जी प्रमाण पत्र बनवाकर जेल प्रशासन के सामने प्रस्तुत करवा दिया ।