Indore.कनाडा का वर्क वीजा बनाने के नाम पर इंदौर के इंजीनियर से करीब सवा तेरह लाख रुपए ठगने वाले नकली पुलिस उपायुक्त (डीसीपी) को क्राइम ब्रांच ने गिरफ्तार किया है। वह दंपत्ति से आठ लाख रुपए और मांग रहा था। शिकायत के बाद एक ठग को पकड़ा गया। उसकी पत्नी फरार है।
पुलिस के मुताबिक इंजीनियर तरूण पायक की शिकायत पर पुलिस ने सूर्यप्रताप सिंह, ऋतिका और राहुल राजपूत के खिलाफ धोखाधड़ी का केस दर्ज किया था। तरुण ने पुलिस को बताया था कि करीब तीन साल पहले उन्होंने दिल्ली की फर्म टेलेंट एरा से कनाडा जाने के लिए संपर्क किया था। आरोपियों ने काम करवाने कि जिम्मेदारी ली और वर्क वीजा के नाम पर शुरू में ही 80 हजार रुपए ले लिए। कुछ दिन बाद दूतावास सत्यापन, चरित्र दस्तावेज, स्कूली शिक्षा आदि की कागजी कार्रवाई के नाम पर 12.44 लाख रुपए और ऐंठ लिए।
डीसीपी के नाम से मांगे आठ लाख
शुरुआती कार्रवाई होने के बाद लॉकडाऊन लग गया तो तरूण इंदौर आ गए। बाद में हालात सामान्य हुए तो उन्होंने एजेंसी से वीजा के लिए संपर्क किया। तब उन्हें कहा गया कि आपके चरित्र सत्यापन के लिए डीसीपी आठ लाख रुपए मांग रहे हैं। इस पर तरूण ने और रुपए देने से इंकार करते हुए कहा वो खुद डीसीपी से मिल लेगा।
ठगी के लिए स्पूफ कॉलिंग का उपयोग
जब तरुण ने खुद डीसीपी से मिलने की जिद की तो ठगों ने दूसरा रास्ता अपनाया। उन्होंने स्पूफ कॉलिंग (इंटरनेट एप) के जरिए तरुण को कॉल कर कहा कि-मैं डीसीपी बोल रहा हूं, एजेंट जो रुपए मांग रहे हैं, दे दो वर्ना फाइल रिजेक्ट कर दूंगा। इसके बाद परेशान तरुण ने पिता को पूरी बात बताई । वे तरुण को लेकर पुलिस उपायुक्त रजत सकलेचा के पास पहुंचे और सारी बात बताई। उन्होंने वो नंबर भी उपायुक्त को बताए जिनसे कॉल आ रहे थे। उसके बाद आरोपियों के खिलाफ केस दर्ज कर जांच शुरू की गई।
पति-पत्नी है ठग
पुलिस ने मामले में आरोपी सूर्यप्रताप चौहान निवासी उधम सिंह नगर (उत्तराखंड) को गिरफ्तार किया तो उसने बताया कि वो खुद ही दो नामों से कॉल कर रहा था। राहुल राजपूत नाम का कोई साथी नहीं है। दूसरी आरोपी ऋतिका उसकी पत्नी है, जिसका असली नाम मनमीत कौर है। वह अभी फरार है।
डीसीपी को भी कर दिया कॉल
आरोपी इतने शातिर और दुस्साहसी हैं कि जब उन्हें पता चला कि तरुण सीधे डीसीपी से मिल रहा है तो उन्होंने तरुण के पिता बनकर डीसीपी को भी कॉल कर दिया कि आपने क्राइम ब्रांच भेज दिया है लेकिन यहां पूरा दिन हो गया, हमारी सुनवाई नहीं हो रही है। इस कॉल पर डीसीपी को शक हुआ। उन्होंने फोन काटने के बाद तरुण के पिता को फोन लगाकर पूछा कि आपने अभी यह कहने के लिए कॉल किया था क्या कि आपकी क्राइम ब्रांच में सुनवाई नहीं हो रही है। तरुण के पिता ने इससे इनकार किया तो डीसीपी का शक पुख्ता हो गया कि आरोपी ही आवाज और तकनीक बदलकर कॉल कर रहे हैं ।