NEW DELHI. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जन्मदिन (17 सितंबर) से पूरे देश में विश्वकर्मा योजना लॉन्च होगी। इसकी तैयारियां बड़े स्तर पर की गईं हैं। योजना के लॉन्चिंग कार्यक्रम के लिए देश के चुनिंदा 70 स्थानों पर 70 केंद्रीय मंत्री मौजूद रहेंगे। यानी सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशें में केंद्रीय मंत्रियों की मौजूदगी के बीच योजना शुरू की जाएगी। इसके लिए भोपाल में नरेंद्र सिंह तोमर और जयपुर में भूपेंद्र यादव मौजूद रहेंगे।
3 लाख से ज्यादा कामगारों को मिलेगा लाभ
इस योजना को तीन मंत्रालयों-एमएसएमई, कौशल विकास और वित्त मंत्रालय मिल कर लागू करेंगे। इस योजना के सफल क्रियान्वयन के लिए अगले पांच साल में 13 हजार करोड़ रुपए खर्च होंगे। मौजूदा वित्तिय वर्ष 2023-24 में 3 लाख से ज्यादा कामगारों को लाभ पहुंचाने का लक्ष्य मोदी सरकार ने रखा है। इस योजना में 18 तरह के विभिन्न काम में लगे लोगों को शामिल किया गया है।वित्त वर्ष 2023-24 से लेकर 2027-28 तक की अवधि में30 लाख कारीगरों को इसमें शामिल किया जाएगा।
देश के चुनिंदा स्थानों पर केंद्रीय मंत्रियों की मौजूदगी में शुरू होगी योजना
जानकारी के मुताबिक 17 सितंबर के कार्यक्रम के लिए अमित शाह अहमदाबाद, राजनाथ सिंह लखनऊ, महेंद्र नाथ पांडे वाराणसी, स्मृति ईरानी झांसी, गजेंद्र सिंह शेखावत चेन्नई, भूपेंद्र यादव जयपुर, नरेंद्र सिंह तोमर भोपाल में रहेंगे। विदेश मंत्री जयशंकर तिरुवनंथपुरम में, नागपुर में नीतिन गडकरी, अश्विनी वैष्णव भुवनेश्वर में रहेंगे। यानी सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में केंद्रीय मंत्रियों की मौजूदगी के बीच यह योजना शुरू की जाएगी।
मोदी ने 15 अगस्त को किया था योजना का ऐलान
पीएम नरेंद्र मोदी ने स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले से अपने भाषण में विश्वकर्मा योजना की घोषणा की थी। केन्द्र सरकार ने छोटे कामगारों, कौशल वाले लोगों की आर्थिक मदद के लिए पीएम विश्वकर्मा योजना को मंजूरी दी है। इस योजना को तीन मंत्रालयों एमएसएमई, कौशल विकास और वित्त मंत्रालय मिल कर लागू करेंगे। इस योजना के सफल क्रियान्वयन के लिए अगले पांच साल में 13 हजार करोड़ रुपए खर्च होंगे । मौजूदा वित्तिय वर्ष 2023-24 में 3 लाख से ज्यादा कामगारों को लाभ पहुंचाने का टारगेट मोदी सरकार ने रखा है। इस योजना में 18 तरह के विभिन्न काम में लगे लोगों को शामिल किया गया है। वित्त वर्ष 2023-24 से लेकर 2027-28 तक की अवधि में 30 लाख कारीगरों को इसमें शामिल किया जाएगा।
पिछड़े समुदायों की इन जातियों को मिलेगा लाभ
भारतीय अर्थव्यवस्थआ में बहुत बड़ी संख्या में कारीगर और शिल्पकार हैं, जो हाथों और औजारों से काम करते हैं जिन्हें अनौपचारिक तौर पर असंगठित क्षेत्र माना जाता है। ये सोनार, लोहार, कुम्हार, बढई, मूर्तिकार जैसे कारीगरों और शिल्पकारों को विश्वकर्मा कहा जाता है। ऐसे ही 18 किस्म के व्यवसायों को इस योजना में कवर किया गया है। ये जातियां हैं बढई, नाव निर्माता, अस्त्रकार, लोहार, हथौड़ा और टूलकिट निर्माता, ताला बनाने वाले, सुनार, कुम्हार, मूर्तिकार, पत्थर तोड़ने वाला, मोची, राजमिस्त्री, टोकरी, चटाई, झाडू बनाने वाले, बुनकर, गुड़िया और खिलौना निर्माता, नाई, मालाकार, धोबी, दर्जी और पिशिंग नेट निर्माता। ये तमाम कारीगर जिनकी उम्र 18 साल की हो वो अब पंजिकरण के लिए पात्र हो जाएंगे। इस स्कीम से मिलने वाले लाभों को प्रति परिवार एक सदस्य तक ही सीमित रखा जाएगा। सरकारी सेवा में कार्यरत कोई भी व्यक्ति या उसका रिश्तेदार इसका पात्र नहीं होगा।
क्या है विश्वकर्मा योजना
पीएम मोदी ने लाल किले की प्राचीर से ऐलान किया था कि ये योजना समाज के पिछड़े वर्ग के कामगरों के लिए लाई जा रही है। इनमें मोची, धोबी, बढ़ई जातियों के कारीगरों को पहले चरण में पांच प्रतिशत की दर से एक लाख रुपए, जिसके लिए कोई कोलैटरल नहीं लगेगा और दूसरे चरण में दो लाख रुपए का कर्ज दिया जाएगा। पीएम विश्वकर्मा योजना के तहत शिल्पकारों और कामगरों को ट्रेनिंग भी दी जाएगी और ट्रेनिंग लेने वालों को हर दिन 500 रुपए का स्टाईपेंड भी दिया जाएगा। सफल पंजीकरण के बाद इन लाभार्थियों को पीएम विश्वकर्मा प्रमाण पत्र और पहचान पत्र दिया जाएगा। कौशल सत्यापन के बाद हर लाभार्थी को 15 हजार रुपए का टूलकिट दिया जाएगा। इस योजना के लाभार्थियों को गुणवत्ता प्रमाणन, ब्रांडिंग, ई-कॉमर्स और जेएएम प्लेटफार्म पर विज्ञापन, प्रचार और अन्य कार्यों के रूप में विपणन सहायता दी जाएगी, ताकि घरेलु और वैश्विक मुल्य श्रृंखलाओं के साथ संपर्क को और बेहतर बनाया जा सके।
इस योजना से बड़े वोट बैंक पर होगा असर
जानकारों का मानना है कि इस योजना के मार्फत मोदी सरकार पिछड़े समुदायों की तमाम जातियों को रिझाने और बीजेपी का वोट बैंक पक्का किया जा सकेगा। इस योजना से सीधे तौर पर तो 30 लाख कामगारों को जोड़ा जाना है, लेकिन इसका इम्पैक्ट करोड़ों लोगों तक पहुंचेगा। साथ ही बताया जा रहा है कि इनकी हैंड होल्डिंग कर पीएम मोदी ने भी सुनिश्चित कर लिया है कि 2024 में ये तबका उनका बड़ा वोट बैंक बन सकता है।