हवा में ही दिखेगी चीतों की झलक, एमपी के लिए उड़ान भरने को तैयार रंग-बिरंगा कार्गो विमान, जयपुर से कूनो पहुंचेंगे चीते

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Praveen Sharma
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हवा में ही दिखेगी चीतों की झलक, एमपी के लिए उड़ान भरने को तैयार रंग-बिरंगा कार्गो विमान, जयपुर से कूनो पहुंचेंगे चीते

BHOPAL. टाइगर स्टेट मध्यप्रदेश अब देश में चीतों लेकर बना 75 साल का सूखा मिटाने की फाइनल तैयारियां तेज हो गई है। दक्षिण अफ्रीका के नामीबिया से आठ  चीते जयपुर होते हुए श्योपुर पहुंचेंगे। ये चीते शुक्रवार सुबह भारत के लिए उड़ान भर देंगे। इनके लिए विशेष विशाल मालवाहक (cargo) विमान को भी चीते की आकृति में तैयार किया गया है। जो नामीबिया से उड़ान भरते हुए हवा में भी चीतों की झलक दिखाएगा। ये स्पेशल कार्गो विमान चीतों को लेकर जयपुर विमानतल पर पहुंचेगा। एमपी के जिले श्योपुर में स्थित कूनो पालपुर अभयारण्य में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इन चीतों को पिंजरे से निकालकर जंगल में छोड़ेंगे। 





जानकारी के अनुसार नामीबिया से ये 8 चीते 17 सितंबर को जयपुर होते हुए सुबह करीब 9 बजे श्योपुर के कूनो के समीप पहुंचेंगे। श्योपुर से दूरी कम होने के कारण जयपुर को चुना गया है। करीब दो घंटे बाद 11 बजे पीएम मोदी यहां आयोजित कार्यक्रम में चीतों को जंगल में छोड़ने के लिए पिंजरों से आजाद करेंगे। मध्यप्रदेश के सीएम शिवराज सिंह चौहान ने गुरूवार सुबह आला अधिकारियों के साथ इस कार्यक्रम की तैयारियों को परखा। साथ ही एक उस विमान की तस्वीर ट्वीट की है, जिससे इन चीतों को भारत लाया जाएगा। यह विमान नामीबिया पहुंच चुका है। सीएम ने इसे आजादी के अमृत महोत्सव की सौगात बताते हुए मध्यप्रदेश के लिए गौरव का पल बताया है। सीएम ने अपने ट्वीट में लिखा है कि बाघों की दहाड़ से गूंजने वाला टाइगर स्टेट अपने परिवार में नए सदस्य का स्वागत करने के लिए आतुर है। 







— Chief Minister, MP (@CMMadhyaPradesh) September 15, 2022





चीते के चेहरे वाला विमान 





बताया जाता है कि चीतों को लेने के लिए  विशाल विमान बी 747 नामीबिया पहुंच चुका है। इस पूरे विमान पर चीते की चि़त्रकारी की गई है। नामीबिया में भारतीय दूतावास ने इस विमान की तस्वीर ट्वीट की है। विमान के फ्रंट पर ही चीते का चेहरा बनाया गया है तो पीछे तक चीते की झलक मिलती है। विमान कंपनी ने इसे स्पेशल फ्लैग नंबर 118 भी दिया है। कंपनी दुनिया में पहली बार चीतों को शिफ्ट करने के लिए फ्लाइट का संचालन कर रही है। इस विमान में 8 चीतों को भारत लाया जाएगा। बताया जाता है कि ग्वालियर तक चीतों को इसी विमान से लाया जाएगा। जो नामीबिया से भारत तक हवा में भी चीतों की झलक देता रहेगा। ग्वालियर से सेना के चितूक विमान के जरिए श्योपुर लाया जाएगा। इसके लिए श्योपुर में स्टेडियम में पांच हवाई पट्टियां बनाई गई हैं।  





पांच चिकित्सकों की टीम तैनात





पालपुर कूनो में चीतों के लिए स्पेशल बाड़ा बनाया गया है। प्रधानमंत्री मोदी मचान पर चढ़कर रिमोट के जरिए इन आठों चीतों को पिंजरों से बाहर निकालेंगे। बताया जाता है कि नामीबिया में पिछले पंद्रह दिनों से भारत भेजे जाने वाले इन चीतों को आइसोलेट कर दिया गया है। यहां भी अभयारण्य में छोड़े जाने के बाद आठों चीतों को अलग रखा जाएगा, ताकि वे यहां के वातावरण में घुलमिल सकें। करीब दो महीने बाद चीतों को दर्शकों के लिए खोला जाएगा। इन चीतों की देखभाल के लिए पांच वाईल्ड लाईफ चिकित्सकों की टीम तैनात की गई है। इसके अलावा प्रदेश के अन्य नेशनल टाइगर रिजर्व के चिकित्सकों को भी दो दिन के लिए श्योपुर बुलाया गया है। 





12 साल की मेहनत का परिणाम हैं 8 चीते





भारत में करीब 75 साल पहले चीते खत्म हो गए थे। माना जाता है कि सरगुजा के महाराज द्वारा 1947 एक साथ तीनों चीतों का शिकार किया गया था। देश में यही तीनों आखिरी एशियन चीते थे। इनके बाद कभी चीता नजर नहीं आया और देश में चीता प्रजाति विलुप्त हो गई। लंबे अध्ययन और प्रयासों के बाद भारत सरकार ने 2010 में अफ्रीकन चीतों को भारत लाने का प्रस्ताव दिया था। मगर इसे लेकर काफी बहस चलती रही। वन संरक्षण विशेषज्ञों और चीता संरक्षण के दिशा में काम करने वाले वैज्ञानिकों की रिपोर्ट के बाद चीतों को भारत लाने पर सहमति बन सकी है। अब 17 सितंबर को नामीबिया से 8 चीते भारत लाये जा रहे हैं।





इसलिए चुने गए अफ्रीकन चीते





करीब 26 घंटे की हवाई यात्रा कर 8 चीते दक्षिण अफ्रीका के नामीबिया से भारत आएंगे। वाईल्ड विशेषज्ञों का मानना है कि अफ्रीकन और एशियन चीते अनुवांशिक रूप से लगभग समान प्रजाति के हैं। वे बड़ी आसानी से भारत के माहौल में घुल मिल सकते हैं। इससे भारत में फिर से चीतों को बसाया जा सकता है। इन चीतों के आते ही भारत में बिग कैट की सभी छह प्रजाति हो जाएंगी। इनके जरिए पर्यटन को बढ़ावा देकर चीतों पर होने वाले खर्च की भरपाई भी आसानी से हो जाएगी। वन्य जीव विशेषज्ञों का मानना है कि चीता वैसे भी विदेशी नहीं देशी नस्ल वाला जानवर है। इन तर्कों को अध्ययन के जरिए प्रमाणित करने के बाद वन विभाग के प्रस्ताव को गति मिल सकी।





तेंदुए और भालुओं के बीच रहेंगे चीते





नामीबिया से लाए जा रहे चीतों के साथ ही तेंदुए और भालुओं के झूंड भी रहेंगे। दोनों की संख्या सौ से अधिक बताई जा रही है। हालांकि इससे तेंदुओं और चीतों के बीच फाइट की भी संभावना है। वहीं चीतों के लिए शिकार की व्यवस्था भी की गई है। अध्ययन रिपोर्ट के मुताबिक चीता सप्ताह में एक बार ही शिकार करता है। इसलिए उसके शिकार की व्यवस्था भी बाड़े में की गई है। 



 



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