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JAIPUR. राजस्थान के सुप्रसिद्ध कृष्ण धाम सांवलिया सेठ मंदिर में एक माह में 10 करोड़ से ज्यादा का कैश का चढ़ावा आया है। साथ ही भक्तों के चढ़ावे में सोना चांदी भी आया है। दान पात्र से निकाली गई राशि की गणना 3 से 4 चली। गिनती में भंडारे से 9 करोड़ 72 लाख 17 हजार 300 रुपए की राशि निकली है, वहीं भेंट कक्ष कार्यालय में एक करोड़ 54 लाख रुपए आए हैं। साथ ही बड़ी मात्रा में सोना चांदी भी निकाला गया है।
मंदिर में हर माह आता है करोड़ों रुपए का चढ़ावा
चित्तौड़गढ़ जिले के मंडफिया स्थित कृष्ण धाम सांवलिया सेठ मंदिर सभी आस्था का केंद्र हैं। यहां रोजाना दूर-दूर से बड़ी संख्या में भक्त आते हैं और चढ़ावा चढ़ते हैं, इस मंदिर में हर माह करोड़ों रुपए का दान आता है और यहां हर माह भंडारे में चढ़ावे की गिनती भी होती है, जहां हर माह अमावस्या से पहले वाली चतुर्दशी पर भंडारा खोला जाता है। चढ़ावे में आई राशि और अन्य सामान की गणना 3 - 4 दिन तक चलती है। मंदिर कर्मचारियों द्वारा गणना का नजारा आम तौर पर भक्तों के लिए बंद होता है, लेकिन सभी के लिए आकर्षण और जिज्ञासा का केंद्र भी बना रहता है। यहां हर माह चढ़ावे में आम तौर पर इतनी राशि आ ही जाती है। इसके अलावा लोग अपनी ओर से कई तरह की चीजें भी भेंट कर के जाते हैं। यह राजस्थान के सबसे ज्यादा चढ़ावा प्राप्त करने वाले मंदिरों में है। यहां चढ़ावे की गणना होली और दीवाली वाले महीने को छोड़ कर हर माह होती है। हर बार की तरह इस बार भी सांवलिया सेठ मंदिर में चौंकाने वाला चढ़ावा आया है।
चढ़ावे में 10 करोड़ से ज्यादा का कैश और सोना चांदी
बता दे कि सांवलिया सेठ मंदिर राजस्थान के प्रमुख मंदिरों में से है। और इस बार की गणना में चढ़ावे में 10 करोड़ से ज्यादा की राशि आई है। कैश राशि की बात करें तो भंडार से 9 करोड़ 72 लाख 17 हजार 300 रुपए की राशि निकली है, इसके साथ भक्तों ने भेंट कक्ष कार्यालय में भी दान दिया था। वह राशि एक करोड़ 54 लाख रुपए प्राप्त हुई है। इसके अलावा भंडार में 12 किलो 900 ग्राम चांदी और एक किलो 86 ग्राम सोना भी आया है। साथ कार्यालय में 26 किलो 800 ग्राम चांदी और 30 ग्राम सोना आया है। चिल्लर की गणना अभी बाकी है।
सांवलिया सेठ को अपना बिजनेस पार्टनर बनाते हैं व्यापारी
मान्यता है कि जो भक्त खजाने में जितना देते हैं सांवलिया सेठ उससे कई गुना ज्यादा भक्तों को वापस लौटाते हैं। व्यापार जगत में उनकी ख्याति इतनी है कि लोग अपने व्यापार को बढ़ाने के लिए उन्हें अपना बिजनेस पार्टनर बनाते हैं। यह मान्यता पूरे देश के व्यापारियों में है। राजस्थान के पड़ोसी राज्य गुजरात मध्य प्रदेश और अन्य राज्यों से बड़ी संख्या में लोग विशेष कर व्यापारी यहां आते हैं। यह व्यापारी यहां के श्रीकृष्ण के विग्रह को अपने व्यापार में साझेदार तक बनाते हैं और भगवान लाभ का हिस्सेदार बना कर उनके हिस्से की राशि यहां चढ़ा कर जाते है। आपको बता दें कि भगवान सांवरिया सेठ की महिमा मेवाड़ और मालवा के साथ-साथ अब पूरे देश में फैल गई है। अब गुजरात, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक और पश्चिम बंगाल तक से लोग अपनी कामनाओं को लेकर भगवान सांवरिया सेठ के दर्शन के लिए पहुंचते हैं। प्रतिदिन हजारों लोग भगवान के दरबार में हाजिरी लगाने पहुंचते हैं। उसी का नतीजा है कि आज मंदिर मंडल की प्रतिमाह दान राशि लगभग 10 करोड़ रुपये तक पहुंच गई। इस राशि को मंदिर के विस्तार विकास और मेंटेनेंस के साथ आसपास के 16 गांव के विकास कार्यों पर खर्च किया जाता है।
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सांवलिया सेठ की 3 प्रतिमाओं के उद्गम का इतिहास
श्री सांवलिया जी प्राकट्य स्थल नाम से प्रसिद्ध इस स्थान से सांवलिया सेठ की 3 प्रतिमाओं के उद्गम का भी अपना इतिहास है। सन 1840 में तत्कालीन मेवाड़ राज्य में उदयपुर से चित्तौड़ जाने के लिए बनने वाली सड़क के निर्माण में बागुन्ड गांव में बाधा बन रहे बबूल के पेड़ को काटकर खोदने पर वहां से भगवान कृष्ण की सांवलिया स्वरूप 3 प्रतिमाएं निकली थीं। 1978 में विशाल जनसमूह की उपस्थिति में मंदिर पर ध्वजारोहण किया गया था। इस स्थल पर अब एक अत्यंत ही नयनाभिराम एवं विशाल मंदिर बन चुका है। 36 फुट ऊंचा एक विशाल शिखर बनाया गया है जिस पर फरवरी 2011 में स्वर्णजड़ित कलश व ध्वजारोहण किया गया। बता दे कि सांवलिया सेठ मंदिर चित्तौड़गढ़ सॆ उदयपुर की ओर राष्ट्रीय राजमार्ग पर 28 किमी दूरी पर भादसोड़ा ग्राम में स्थित है। यह मंदिर चित्तौड़गढ़ रेलवे स्टेशन से 41 किमी और डबोक एयरपोर्ट से 65 किमी की दूरी पर है। प्रसिद्ध सांवलिया सेठ मंदिर अपनी सुन्दरता और वैशिष्ट्य के कारण हर साल लाखों भक्तों को अपनी ओर आकर्षित करता है।