अजमेर में बारिश के कारण 10 हजार लोग फंसे, वॉक पर निकले RPSC अफसर की मौत, लोगों के बेडरूम तक पहुंचा पानी

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BP Shrivastava
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अजमेर में बारिश के कारण 10 हजार लोग फंसे, वॉक पर निकले RPSC अफसर की मौत, लोगों के बेडरूम तक पहुंचा पानी

AJMER. देश की टॉप 24वें नंबर की स्मार्ट सिटी अजमेर शहर के विकास की पोल इस बारिश में खुल गई। शहर को डूबने से बचाने के लिए मतलब बारिश का पानी शहर में ना भरे इसके लिए 200 करोड़ रूपए खर्च किए गए हैं, लेकिन नतीजा सबके सामने है। पूरा शहर टापू में तब्दील हो गया है। बारिश और सीवेज का गंदा पानी लोगों के बेडरूम पहुंच गया है। शहर की कॉलोनियों के हजारों लोग बारिश के कारण खुद को बंधक महसूस करने लगते हैं। वहीं अजमेर के करीब 10 हजार लोग बारिश के कारण फंस हुए हैं। इधर, RPSC के सेक्शन ऑफिसर दिलीप सिंह की नाले में बहने से मौत की खबर है। 







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अजमेर में बारिश से लोगों के घरों में भरा पानी।







अधिकांश कॉलोनियों में 4-4 फीट पानी भरा





अजमेर में अधिकांश कॉलोनियों में 4-4 फीट तक पानी भर गया है। ना तो बच्चे स्कूल जा पाए और ना काम करने वाले ऑफिस पहुंच सके। लोग बता रहे हैं कि इतना खौफ में हैं, घर के अंदर भी डर लगने लगा है। सब तरफ गंदा पानी देख हालत खराब हो रही है। संभाग के सबसे बड़े अस्पताल के वार्ड भी जलमग्न हो गए हैं।  कई रातों से लोग सोए ही नहीं। लोगों में खौफ है कि कहीं रात में तेज बारिश आई तो उनके बच्चे और परिवार वाले कहीं उसमें बह ना जाएं।





पानी की निकासी के लिए 200 करोड़ खर्च फिर भी हालात बदतर





सामान्य बारिश से शहर के हालात इतने बुरे कैसे हो गए? कौन जिम्मेदार हैं और क्यों 200 करोड़ खर्च करने के बावजूद पूरा शहर तीन रातों से जागने को मजबूर हैं? लोगों का कहना है कि इतना पैसा खर्च करने के बावजूद भी यह हालात हैं तो काम पर सवाल उठना लाजमी है।





तीन रात से नहीं सोए लोग





शनिवार-रविवार की रात अचानक बादलों ने बरसना शुरू किया। ये रात का वक्त था और जब सुबह लोग उठे तो घर के अंदर का नजारा देखकर हैरान थे। किसी ने सोचा नहीं था कि इतनी भारी बारिश होगी और पानी उनके बेडरूम तक पहुंच जाएगा। यहां के लोगों ने बताया कि बारिश को लेकर अलर्ट था, मगर उन्हें नहीं लगता था कि वे इस तरह से घरों में ट्रैप हो जाएंगे। कई लोग ऐसे हैं जो पिछली तीन रातों से सोए ही नहीं हैं। घर में घुसे बारिश के पानी को निकालने की जद्दोजहद में लगे हैं।





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आम का तालाब, शक्ति नगर की सड़कें लबालब





बरसात के आने के बाद यहां की गलियां पानी से लबालब हो जाती हैं। बरसात अगर तेज हो तो घरों में पानी घुसता है। बिपरजॉय तूफान के दौरान घरों में पानी घुस गया। अब जो बरसात आई है, वो भी तेज थी तो घरों में पानी घुसा। यहां लोगों का सड़कों से आवाजाही बीते दिनों से मुश्किल हो रही है। इसका कारण यहां पर पानी की निकासी के कोई उचित प्रबन्ध नहीं है। लोगों ने बताया कि यहां पानी खाली पड़े प्लॉट, नालियों और सड़कों पर भरा रहता है। इस पानी के निकासी का प्रबन्ध किया जाना चाहिए। मच्छर पनप रहे हैं। पानी निकासी के कोई इंतजाम नहीं है।





कई इलाकों में है पानी भराव की समस्या





अजमेर के आम का तालाब शक्ति नगर, तानाजी नगर, आम का तालाब व बिहारी गंज क्षेत्र के अतिरिक्त अन्य क्षेत्रों में भी पानी भराव की समस्या है।इसमें नगरा, जौंसगंज, प्रकाश रोड, धोलाभाटा, सुभाषनगर, गढ़ी मालियान, सागरविहार कॉलोनी सहित ब्रह्मपुरी, चौपाटी, क्रिश्चियनगंज, शास्त्री नगर, तोपदड़ा, जीआरपी, अलवर गेट, लोहार बस्ती, रामगंज क्षेत्रों में भी पानी भर जाता है। यहां सड़कों पर पानी भरना तो आम बात है। घरों में भी पानी घुस जाता है।





200 करोड़ खर्च, फिर भी स्मार्ट सिटी के यह हालात





पानी भराव का सबसे बड़ा कारण कचरे से अटे पडे़ नाले, नाले नालियों का निर्माण पर्याप्त नहीं होना और नालों पर अतिक्रमण भी है। यही कारण है कि यहां बरसात के दौरान पानी भर जाता है। पानी निकासी के समुचित प्रबन्ध नहीं होने से ऐसा हर बरसात में होता है। शहर के ड्रेनेज सीवेज पर पांच सालों में 180 करोड़ रुपए खर्च हुए। इस राशि से 250 किमी लंबी सीवेज लाइन बिछाई गई। ड्रेनेज सिस्टम के लिए 1244.44 लाख रुपए (लगभग 125 करोड़) खर्च किए गए। इस राशि से एस्केप चैनल और नाले में अलग-अलग जगह काम करवाए गए हैं। मॉनसून से पहले तकरीबन 45 लाख रुपए खर्च करके ड्रेनेज को सही करने और नाले साफ करवाने के टेंडर जारी किया गया। सीवेज सिस्टम पर हर साल पांच लाख रुपए केवल देखरेख पर खर्च होते हैं।





पानी भरने से फसलें बर्बाद, 48 साल का रिकॉर्ड टूटा





आनासागर से छोड़ा जा रहा पानी खानपुरा आदि क्षेत्रों में जाता है। यहां खेत पानी से लबालब हैं। किसानों का कहना रहा कि यहां आनासागर का नहीं बल्कि पर्वतपुरा इंडस्ट्रियल एरिया, सुभाष नगर, रामगंज, आदेश नगर का पानी नाले के जरिए आता हैं। निकासी नहीं होने के कारण यह पानी खेतों में भर जाता है। यहां निकासी के लिए नाला बनवाने का आश्वासन दे रहे हैं, लेकिन आज तक काम नहीं किया। यहां मॉनसून सीजन में औसत बरसात 550 एमएम होती है, लेकिन एक जून से अब तक महज 500 एमएम से ज्यादा बरसात हो चुकी है। यह आंकड़ा वर्ष 2021 में हुई 92 एमएम बारिश से 5 गुना है। करीब 48 साल बाद रिकॉर्ड तोड़ते हुए फायसागर झील की चादर चली है। आनासागर का पानी छलक कर सड़कों और कॉलोनियों तक घुस चुका है।





संभाग के सबसे बड़े अस्पताल में दूसरी बार भरा पानी





अजमेर संभाग का सबसे बड़ा जवाहर लाल नेहरू अस्पताल है। यह दूसरी बार है जब अस्पताल के वार्डों तक बारिश का पानी पहुंच गया। इससे वहां भर्ती मरीजों में अफरा-तफरी का महौल हो गया। अस्पताल के अधीक्षक डॉ. नीरज गुप्ता ने बताया कि बरसात के दौरान पानी भरने का कारण रोड से वार्ड का लेवल नीचा होना है। अस्पताल की बिल्डिंग करीब 45 साल पुरानी है। पहले अस्पताल का लेवल सड़क से ऊंचा था। लेकिन अब रोड ऊंचे हो गए हैं। ऐसे में ग्राउंड लेवल पर पानी भर जाता है।





वॉक पर निकले RPSC का सेक्शन ऑफिसर की नाले में बहने से मौत





अजमेर में बारिश का मंजर ऐसा है कि शहर के सभी नदी-नाले उफान पर हैं। रविवार (9 जुलाई) की रात यहां RPSC के सेक्शन ऑफिसर दिलीप सिंह की नाले में बहने से मौत हो गई। हादसा उस वक्त हुआ जब वे बरसात से बचने के लिए नाले के पास रुके थे। इस दौरान वे नाले में गिर गए और बहने लगे। लोगों ने उनको बचाने की कोशिश भी की, लेकिन बचा नहीं पाए। रात को उनको घर वालों ने तलाश की तो बाइक मिली, लेकिन वे नहीं। पुलिस और रेस्क्यू टीम ने तलाश शुरू की और दोपहर को उनकी बॉडी मिली। मामले की जांच की जा रही है। 



 



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