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Mumbai. मुंबई में आयोजित महाराष्ट्र भूषण पुरस्कार समारोह में एक के एक लोगों की तबीयत खराब होने की घटना ने पूरे आयोजन पर दाग लगा दिया है। बताया जा रहा है कि समारोह में शामिल 11 लोगों की गर्मी की वजह से मौत हुई है, वहीं 120 लोग अस्पताल में भर्ती हैं। वहीं करीब 3 सौ लोगों को डिहाइड्रेशन, हाई ब्लड प्रेशर और थकावट की शिकायत देखने को मिली। जबकि आयोजन के समय वहां का तापमान महज 38 डिग्री सेल्सियस ही दर्ज किया गया है।
महीना अप्रैल का है और अभी और भीषण गर्मी पड़ना है, मुंबई में हुई इस घटना ने सभी के जेहन में यह सवाल उठा दिया है कि क्या गर्मी या तेज धूप में निकलना इतना भारी पड़ सकता है कि लोगों की जान चली जाए। विशेषज्ञ बताते हैं कि हीट स्ट्रोक या लू लगना वह कहलाता है कि जब शरीर अपने तापमान को नियंत्रित नहीं कर पाता। इसमें शरीर का तापमान तेजी से बढ़ता है और फिर कम नहीं होता। लू लगने पर स्वेटिंग मैकेनिज्म काम करना बंद कर देता है। जिससे शरीर का बढ़ा तापमान कम नहीं हो पाता। समय रहते इलाज न मिलने पर व्यक्ति की मौत भी हो सकती है या कई अंग काम करना बंद कर सकते हैं।
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दूसरी तरफ हीट एग्जॉशन का सीधा मतलब है कि शरीर से पानी और नमक दोनों पसीने के जरिए निकल जाते हैं। सीधी भाषा में कहें कि शरीर से काफी मात्रा में तरल निकल जाता है। यह काफी गंभीर समस्या है, इसमें आपातकालीन चिकित्सकीय उपचार की जरूरत होती है। इसके पीछे की सबसे बड़ी वजह ज्यादा गर्म जगह पर देर तक रहना, ठंडे स्थान से अचानक गर्म स्थान पर जाना, गर्मी में ज्यादा मेहनत करना, ज्यादा पसीना आने पर पानी नहीं पीना, शराब का सेवन, जंक फूड का रोजाना सेवन करना, ऐसे कपड़े पहनना जिनसे पसीना और हवा पास न हो आदि हैं।
बीमार लोगों के लिए सबसे खतरनाक है हीट एग्जॉशन
गर्मी में किसी बीमारी से पीड़ित लोगों के लिए हीट एग्जॉशन बेहद खतरनाक है। किडनी रोगी अगर बहुत कम पानी पीते हैं तो डिहाइड्रेशन का खतरा रहता है। अगर ज्यादा पानी पीते हैं तो फ्लूइड ओवरलोड हो सकता है। इसलिए शरीर में पानी नियंत्रित रखना चाहिए। किसी भी प्रकार के रोगी जब तक जरूरी न हो धूप में न निकलें। अगर धूप में निकल रहे हैं तो अपने साथ स्प्रे बॉटल और नींबू पानी साथ रखें। मुंह सूखने या प्यास लगने पर थोड़ा पानी पीते रहें। इसी तरह ब्लड प्रेशर की समस्या वाले रोगियों को भी धूप से बचना चाहिए।