इंटरनेशनल डेस्क. ईरान की शिया मस्जिद में पिछले साल अक्टूबर में हमला करने वाले दो आतंकियों को शनिवार (8 जुलाई) को सार्वजनिक फांसी दी गई। स्टेट मीडिया आईआरएनए के मुताबिक, शिराज शहर में सुबह-सुबह फांसी दी गई। सुनवाई के दौरान आरोपियों ने कबूल किया था कि वो अफगानिस्तान में आतंकी संगठन आईएसआईएस के संपर्क में थे। उन्होंने शाह चेराग मस्जिद पर हमला करने में आतंकियों की मदद की थी।
दोनों आरोपियों को 16 मार्च को सुनाई गई थी सजा
आईआरएनए ने बताया कि दोनों आरोपियों का नाम मोहम्मद रमेज रशीदी और नईम हशेम घोटाली है। दोनों को ईरान के सुप्रीम कोर्ट ने 16 मार्च को फांसी की सजा सुनाई थी। बता दें कि पिछले साल 26 अक्टूबर को शिया मस्जिद पर हुए हमले में 13 लोगों की मौत हुई थी, वहीं 30 से ज्यादा लोग घायल हुए थे। इनमें कई महिलाएं और बच्चे भी शामिल थे। आतंकी संगठन ISIS ने इस हमले की जिम्मेदारी ली थी।
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3 आतंकवादियों ने किया था हमला, एक की अस्पताल में मौत
मस्जिद में अटैक का सीसीटीवी फुटेज भी सामने आया था। पुलिस की रिपोर्ट के मुताबिक, तीन हथियारबंद आतंकियों ने मस्जिद में दाखिल होते से ही फायरिंग शुरू कर दी थी। पुलिस ने इस दौरान दो आतंकियों को गिरफ्तार कर लिया था, जबकि एक वहां से भागने में कामयाब हो गया था। हालांकि, बाद में उसे भी गिरफ्तार कर लिया गया था। इसके बाद इनमें से मुख्य आतंकी की अस्पताल में मौत हो गई थी।
पिछले साल पुलिस अधिकारी के हत्यारे को दी गई थी फांसी
इससे पहले ईरान में 24 जुलाई 2022 को एक मुजरिम को सार्वजनिक तौर पर फांसी की सजा दी गई थी। ईरान ह्यूमन राइट्स के मुताबिक, एक पुलिस अधिकारी की हत्या के मामले में दोषी ठहराए गए इमान सब्जीकार को घटनास्थल पर ही फांसी दी गई थी। 2020 के बाद ये पहला मामला था जब ईरान में किसी को सार्वजनिक फांसी दी गई थी।
2022 में कुल 582 लोगों को मिली सजा-ए-मौत
ईरान में साल 2023 में अभी तक 354 लोगों को फांसी दी जा चुकी है। पिछले साल की तुलना में इस साल फांसी की संख्या में बढ़ोतरी दर्ज की गई है। ईरान ने साल 2022 में 582 लोगों को फांसी की सजा दी थी। वहीं, तब शुरुआती 6 महीनों में सिर्फ 261 लोगों को ही सजा-ए-मौत दी गई थी। फांसी की सजा में आई तेजी को ध्यान में रखते हुए नॉर्वे स्थित ईरान ह्यूमन राइट्स ने एक चेतावनी भी जारी की।