जम्मू-कश्मीर. 26 जुलाई 1999 को भारत ने कारगिल की 18 हजार फीट की ऊंचाई पर तिरंगा लहराया था, आज इस जीत को पूरे 22 साल हो गए हैं। उन दिनों जम्मू कश्मीर के कारगिल की ऊंची चोटियों पर पाकिस्तानी सैनिकों और घुसपैठियों ने चौकियां बना ली थी, जिसका भारत के सैनिकों ने मुंहतोड़ जवाब दिया था, यह युद्ध 60 दिनों तक चला था। आज राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने बारामूला के डैगर युद्ध स्मारक पर शहीद सैनिकों को श्रद्धांजलि दी।
परवेज मुशर्रफ ने प्रधानमंत्री को से छिपकर लिया था फैसला
जनरल परवेज मुशर्रफ जो उस समय पाकिस्तान के सेना प्रमुख थे, उन्होंने ही इस घुसपैठ को अंजाम दिया था। बताया जाता है कि तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को इसकी खबर नहीं दी गयी थी। पाकिस्तान के घुसपैठ की जानकारी मिलने के बाद भारतीय सेना ने 3 मई को ऑपरेशन विजय शुरू किया था, जिसमें भारतीय वायुसेना के लड़ाकू विमान मिराज, मिग-21, मिग 27 और हैलिकॉप्टर भी शामिल हुए।
सैकड़ों सैनिक हुए थे शहीद
कारगिल की 18 हजार फीट ऊंचाई पर चले इस युद्ध में देश के 527 वीर सैनिक कुर्बान हो गए थे। साथ ही 1300 से ज्यादा सैनिक इस जंग में घायल हुए। दूसरी तरफ पाकिस्तान के 1000 से 1200 सैनिकों की मौत हुई थी। इतनी विषम परिस्थितियों में सैनिकों ने भारत को जीत दिलाई थी और यह ऑपरेशन विजय 26 जुलाई को ही खत्म हुआ था।
राष्ट्रपति गुलमर्ग में मिलेंगे जवानों से
राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने बारामूला के डैगर युद्ध स्मारक पर पुष्पांजलि अर्पित कर शहीद सैनिकों को श्रद्धांजलि दी। राष्ट्रपति कोविंद जवानों से मिलने गुलमर्ग जाएंगे, पहले उनके द्रास जाने का कार्यक्रम था लेकिन खराब मौसम के कारण उनका ये कार्यक्रम रद्द हो गया है।