Washington. खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की कनाडा में हुई हत्या के मामले में भारत-कनाडा के बीच तल्खी अंतरराष्ट्रीय समस्या का रुख अख्तियार कर चुका है। दोनों देश एक-दूसरे के एक-एक राजनयिक को हटा चुके हैं। दोनों ही देशों की सरकारों ने अपने-अपने नागरिकों के लिए एडवाइजरी भी जारी कर चुकी है। हालांकि अमेरिकी अखबार ‘वॉशिंगटन पोस्ट’ की एक स्पेशल रिपोर्ट में अहम खुलासा कर मामले को और गंभीर कर दिया है। रिपोर्ट के मुताबिक, नई दिल्ली में 9 और 10 सितंबर को हुई जी20 समिट से पहले कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो इस मुद्दे को उठाना चाहते थे। उन्होंने अमेरिका, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया के हेड ऑफ द गवर्नमेंट्स से बातचीत भी की थी, लेकिन कोई भी ट्रूडो का साथ देने को कोई तैयार नहीं था। कोई भी देश भारत की निंदा तक नहीं करना चाहता था। यह भारत के सुकून की बात है कि कोई भी बड़े देश भारत से अपनी दोस्ती खराब नहीं करना चाहता है।
ट्रूडो की अपील को अमेरिका ने खारिज किया
‘वॉशिंगटन पोस्ट’ की रिपोर्ट के मुताबिक, 18 सितंबर को संसद में भारत पर निज्जर की हत्या में कथित तौर पर शामिल होने का आरोप लगाने से पहले जस्टिन ट्रूडो ने अपने खास सहयोगी अमेरिका से भी बातचीत की थी। ट्रूडो चाहते थे कि अमेरिका निज्जर की हत्या को जनता के सामने गलत ठहराए। एक अमेरिकी अफसर के हवाले से रिपोर्ट में कहा गया है कि अमेरिका ने कनाडा के पीएम की इस अपील को सिरे से खारिज कर दिया। हालांकि कनाडा की फॉरेन मिनिस्ट्री इस रिपोर्ट को गलत बता रही है।
मोदी सरकार को नाराज करना पश्चिमी देशों के बहुत भारी पड़ेगा
दरअसल, अमेरिका और उसके सहयोगी बहुत अच्छी तरह से जानते हैं कि अगर चीन का कोई मुकाबला कर सकता है तो वो सिर्फ भारत है और मोदी सरकार को नाराज करना पश्चिमी देशों के लिए बहुत भारी पड़ेगा। रिपोर्ट कहती है- ट्रूडो ने भारत पर गंभीर आरोप ऐसे वक्त लगाए हैं, जब प्रेसिडेंट जो बाइडेन की सरकार भारत को सबसे बड़ा जियोपॉलिटिकल और ट्रेड पार्टनर बना रही है। दोनों ही चीन को काबू करना चाहते हैं। ऐसे में बाइडेन कभी नहीं चाहेंगे कि प्रधानमंत्री मोदी को नाराज किया जाए।
ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया के पीएम ने भी साथ देने से मना किया
ट्रूडो ने ब्रिटेन के पीएम ऋषि सुनक और ऑस्ट्रेलिया के पीएम एंथनी अल्बनीज से भी बातचीत की। हालांकि दोनों ने ही भारत के खिलाफ कोई बयान नहीं दिया। ऑस्ट्रेलिया ने सिर्फ इस मुद्दे पर चिंता जताई। ब्रिटेन के फॉरेन सेक्रेटरी जेम्स क्लेवरली तो चिंता भी नहीं जता सके।
अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और ब्रिटेन ने चेताया था कनाडा को
रिपोर्ट के मुताबिक, कनाडा के पीएम ट्रूडो चाहते थे कि नई दिल्ली में हुई जी20 समिट से पहले ही निज्जर की हत्या के मामले को उठाया जाए। हालांकि वो ऐसा नहीं कर पाए क्योंकि अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और ब्रिटेन ने उन्हें साफ बता दिया था कि इसके गंभीर नतीजे हो सकते हैं।
भारत ने पहले ही कर दिया था अलर्ट
भारतीय विदेश मंत्रालय ने इन चारों देशों को काफी पहले बता दिया था कि भारत विरोधियों की हरकतों की वजह से इन देशों की इमेज खराब हो रही है। इसके बाद अमेरिका, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया ने भारत को भरोसा दिलाया कि उसके डिप्लोमैट्स और बाकी जगहों की सिक्योरिटी से कोई समझौता नहीं किया जाएगा।
कैनेडियन गवर्नमेंट पर चीन भी लगा चुका है यह आरोप
इस मामले एक चीज बहुत गौर करने लायक है। दरअसल, भारत के अलावा चीन और ईरान भी कैनेडियन गवर्नमेंट पर ये आरोप लगाते रहे हैं कि उनके नागरिकों और डिप्लोमैट्स को कनाडा में परेशान किया जाता है और वहां की सरकार आरोपियों के खिलाफ कोई एक्शन नहीं लेतीं।
बाइडेन दोहरी मुश्किल में, किसका दे साथ?
मशहूर स्ट्रैटजिक एक्सपर्ट और कई किताबों के लेखक माइकल कुग्लमैन ने वॉशिंगटन पोस्ट से कहा- बाइडेन दोहरी मुश्किल में हैं। उन्हें समझ नहीं आ रहा है कि वो कनाडा का साथ दें या भारत का। सच्चाई यह है कि अमेरिका के लिए ये वक्त ऊंचाई पर बंधी रस्सी पर चलने जैसा है। कनाडा उनके लिए पुराना साथी है, लेकिन अब कोई देश भारत से सीधा टकराव मोल नहीं लेना चाहता।
कनाडा के पीएम न घर के रहे ना घाट के
माइकल के अनुसार, पिछले साल तक कैनेडियन गवर्नमेंट भारत की मदद से चीन पर लगाम कसना चाहती थी। उसने एक स्ट्रैटजिक प्लान भी जारी किया था। ट्रूडो और शी जिनपिंग की पिछले साल बाली में डिनर के दौरान हुई बहस दुनिया ने देखी है। अब वो मोदी की नाराजगी भी मोल ले चुके हैं। अमेरिका और उसके सहयोगी देश इस काम में कभी ट्रूडो का साथ नहीं देंगे। ट्रूडो अब अपने घर यानी कनाडा में विपक्षी नेताओं के सामने घिरते जा रहे हैं। अब उनके हालात ऐसे हो गए हैं, जैसे अब घर के बचे, ना ही घाट के।
दोनों देशों के बीच तनाव का मुद्दा सुलझाना जरूरी
भारत-कनाडा के रिश्तों पर नजर रखने वाले सिंगापुर यूनिवर्सिटी के स्कॉलर कार्तिक नाचिप्पन ने कहा- काफी लंबे वक्त से दोनों देशों के बीच यह तनाव का मुद्दा है। इसे सुलझाया नहीं गया तो हालात बहुत ज्यादा खराब हो सकते हैं।
कनाडा की पूर्व इंटेलिजेंस चीफ जेसिका डेविस ने कहा- कोई भी देश दूसरे देश में सीधे टारगेट किलिंग नहीं कर सकता। हमारी इन्वेस्टिगेशन और सिक्योरिटी एजेंसियां क्या कर रहीं थीं? सबसे पहला सवाल तो उनसे किया जाना चाहिए।