Delhi. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने (PM Modi) सिख गुरु तेग बहादुर के 400 वें प्रकाश पर्व के अवसर (Guru Tegh Bahadur Parkash Purab) पर लाल किले पर आयोजित एक समारोह में शिरकत करने के बाद देश को संबोधित किया। इस मौके पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि लाल किला इस बात का गवाह है कि औरंगजेब, उसके जैसे आताताइयों ने कई लोगों का सिर कलम किया हो लेकिन वह हमारी आस्था को हमसे अलग नहीं कर सका। उस समय भारत को अपनी पहचान बचाने के लिए एक बड़ी उम्मीद गुरु तेगबहादुर साहब के रूप में दिखी थी। औरंगजेब की आततायी सोच के सामने उस समय गुरु तेगबहादुर जी, हिन्द दी चादर बनकर, एक चट्टान बनकर खड़े हो गए थे।
Prime Minister Narendra Modi releases a commemorative coin and postage stamp on the occasion of the 400th Parkash Purab celebrations at Red Fort, Delhi. pic.twitter.com/voE4KWRO5Q
— ANI (@ANI) April 21, 2022
भारत आज भी अमर खड़ा है
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि ये लालकिला कितने ही अहम कालखण्डों का साक्षी रहा है। इस किले ने गुरु तेग बहादुर जी की शहादत को भी देखा है और देश के लिए मर-मिटने वाले लोगों के हौसले को भी परखा है। गुरु तेग बहादुर जी के बलिदान ने भारत की अनेक पीढ़ियों को अपनी संस्कृति की मर्यादा की रक्षा के लिए उसके मान-सम्मान के लिए जीने और मर-मिट जाने की प्रेरणा दी। बड़ी-बड़ी सत्ता मिट गई, बड़े-बड़े तूफान शांत हो गए पर भारत आज भी अमर खड़ा है, आगे बढ़ रहा है।
भारत ने कभी किसी देश या समाज के लिए खतरा पैदा नहीं किया
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि भारत ने कभी किसी देश या समाज के लिए खतरा पैदा नहीं किया। आज भी हम पूरे विश्व के कल्याण के लिए सोचते हैं। एक ही कामना करते हैं। हम आत्मनिर्भर भारत की बात करते हैं, तो उसमें पूरे विश्व की प्रगति लक्ष्य को सामने रखकर करते हैं। उन्होंने कहा कि पिछले वर्ष ही हमारी सरकार ने साहिबजादों के महान बलिदान की स्मृति में 26 दिसंबर को वीर बाल दिवस मनाने का निर्णय लिया।
हमें अपनी पहचान पर गर्व करना है
सिख परंपरा के तीर्थों को जोड़ने के लिए भी हमारी सरकार निरंतर प्रयास कर रही है। नई सोच, सतत परिश्रम और शत प्रतिशत समर्पण, ये आज भी हमारे सिख समाज की पहचान है। आजादी के अमृत महोत्सव में आज देश का भी यही संकल्प है। हमें अपनी पहचान पर गर्व करना है। हमें लोकल पर गर्व करना है, आत्मनिर्भर भारत का निर्माण करना है।
लाल किले को आयोजन स्थल के रूप में चुने जाने के पीछे अधिकारियों ने कहा कि इसे इसलिए चुना गया क्योंकि यहीं से 1675 में मुगल शासक औरंगजेब ने सिखों के नौवें गुरु, गुरु तेग बहादुर की जान लेने का आदेश दिया था। इस समारोह में प्रधानमंत्री करीब एक घंटे रहे और देश के विभिन्न हिस्सों से आए रागी और बच्चों द्वारा प्रस्तुत शबद कीर्तन को बड़े ही गौर से सुना। प्रधानमंत्री मोदी ने विशेष स्मारक सिक्काऔर डाक टिकट भी जारी किया।