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NEW DELHI. एक रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि देश में 70 प्रतिशत कर्मचारी अपनी नौकरी से खुश नहीं है। यानी 10 में से 7 लोग अपनी जॉब से नाखुश हैं, वहीं आधे से ज्यादा लोग नौकरी छोड़ना चाहते हैं। यह रिपोर्ट ऐसे समय सामने आई है जब पुणे में 26 साल की कर्मचारी एना सेबेस्टियन की मौत की चर्चा हर जगह है। मां का आरोप है कि काम के दबाव के कारण बेटी की मौत हुई है।
हैप्पीनेस रिसर्च अकादमी के सहयोग से हैप्पीएस्ट प्लेस टू वर्क द्वारा किए गए सर्वे में वर्कप्लेस को लेकर चिंताजनक तस्वीर पेश की गई है। कार्यस्थल पर खुशी - भारत का कार्यबल कितना खुश है? शीषर्क से जारी रिपोर्ट में सामने आया है कि 70 फीसदी भारतीय कर्मचारी अपनी नौकरी से असंतुष्ट नहीं हैं और इनमें से 54 फीसदी कर्मचारी इस्तीफा देने की प्लानिंग कर रहे हैं। इसकी बड़ी वजह काम को लेकर असंतोष है।
फिनटेक सेक्टर को सबसे खुशहाल इंडस्ट्री
नवीनतम रिपोर्ट के अनुसार अलग-अलग सेक्टर्स में महिला-पुरुष कर्मचारियों के बीच नौकरी के हैप्पीनेस में काफी अंतर है। रिपोर्ट से पता चलता है कि फिनटेक सेक्टर में 40 प्रतिशत कर्मचारी अपने काम से खुश हैं। इसके बाद बायो टेक्नोलॉजी 39 प्रतिशत और आईटी 38 प्रतिशत सेक्टर के एम्पलॉई की स्थिति है। बैंकिंग, इंश्योरेंस, फाइनेशियल सर्विसेज सेक्टर में 10 में से 7 कर्मचारी अपने काम से खुश नहीं है। इस सेक्टर में खुश रहने वाले एम्पलॉई महज 30 प्रतिशत ही हैं।
इस सेक्टर के कर्मचारी सबसे नाखुश
रियल एस्टेट और कंस्ट्रक्शन सेक्टर की बात करें तो यहां महज 20 प्रतिशत कर्मचारी ही अपनी नौकरी से संतुष्ट हैं। काम करने वाले स्थान पर कर्मचारियों की खुशी कई वजहों से जरूरी है। वो जो काम करते हैं उसमें उन्हें संतुष्टि का अनुभव होना चाहिए अगर ऐसा नहीं होता है तो उत्पादकता प्रभावित होती है।
अपनी बात नहीं रख पाते 62% कर्मचारी
रिपोर्ट बताती है कि देश में ज्यादातर कर्मचारी अपने वर्कप्लेस को लेकर खुश नहीं हैं। 63 प्रतिशत कर्मचारियों का मानना है कि वर्कप्लेस पर कनफ्लिक्ट उनकी काम की क्षमता को प्रभावित करते हैं। जबकि 62 प्रतिशत कर्मचारी ऐसे हैं जो ऑफिस में अपनी बात नहीं रख पाते हैं। रिचर्स में पाया गया कि वर्कफोर्स की खुशी का स्तर उनकी उम्र पर भी निर्भर करता है। इस मामले में 25 साल के व्यक्ति का अनुभव और समस्याएं 30 साल या 40 साल कर्मचारी से अलग हो सकती हैं।
ये छोड़ना चाहते हैं नौकरी
सर्वेक्षण के आधार पर निष्कर्ष खुशी के स्तर में असमानताएं हैं, विशेष रूप से मिलेनियल्स के बीच जो जॉब की संतुष्टि के साथ संघर्ष करते दिखते हैं। सबसे दिलचस्प बात ये है कि 59 प्रतिशत 28-44 उम्र के लोग सबसे ज्यादा नौकरी छोड़ने का इरादा रखते हैं। 80 प्रतिशत मिलेनियल्स अक्सर कनफ्लिक्ट के चलते जॉबमेट्स के साथ काम करने से बचते हैं। 63 प्रतिशत कर्मचारी को काम को लेकर उनके योगदान के लिए सराहना और सम्मान नहीं दिया जाता है। 59 प्रतिशत मिलेनियल्स अपनी रुचि के लिए समय नहीं निकाल पाते।
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