LUCKNOW. उत्तर प्रदेश में इन दिनों शीत लहर का प्रकोप तेजी से बढ़ रहा है, बर्फीली हवाओं के कारण कड़ाके की ठंड पड़ रही है। ठंड बढ़ने के साथ ही पूरे देश के कई बड़े शहरों से हार्ट अटैक के केस बढ़ने के मामले सामने आ रहे हैं। उत्तर प्रदेश के कानपुर के एक अस्पताल में एक दिन के अंदर 723 दिल के मरीजों को भर्ती किया गया। इनमें 40 से ज्यादा मरीजों की हालत गंभीर थी।
एक दिन में 723 मरीज हुए भर्ती
मिली जानकारी के अनुसार बीते दिन 723 मरीजों के शहर के अस्पतालों में भर्ती किया गया जिसमें से 39 मरीजों का ऑपरेशन करना पड़ा, वहीं, सात लोगों ने इलाज के दौरान दम तोड़ दिया। साथ ही हार्ट और ब्रेन अटैक से शहर में एक दिन में 25 लोगों की मौत हुई। इनमें 17 रोगी तो कार्डियोलॉजी की इमरजेंसी तक भी नहीं पहुंच पाए, उन्हें चक्कर आया, बेहोश हुए और मौत हो गई।
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आखिर ठंड में क्यों बढ़ जाते हैं हार्ट अटैक के मामले
ठंड के मौसम में हर साल हार्ट अटैक के मामलों में बढ़ोतरी होती है, डॉक्टरों का कहना है कि ठंड में अचानक ब्लड प्रेशर बढ़ने से नसों में ब्लड क्लॉटिंग यानी खून का थक्का जमने लगता है। इसी वजह से हार्ट अटैक और ब्रेन अटैक आता है। इस सीजन में ब्लड वेसल्स सिकुड़ने के कारण शरीर में ब्लड का आवागमन सही नहीं रह पाता है, इस वजह से दिल पर अधिक दवाब पड़ता है और हार्ट अटैक की स्थिति बनती है। ठंड के मौसम में नसें ज्यादा सिकुड़ती हैं और सख्त बन जाती हैं, इससे नसों को गर्म और एक्टिव करने के लिए ब्लड का फ्लो बढ़ जाता है जिससे ब्लड प्रेशर भी बढ़ जाता है, ब्लड प्रेशर बढ़ने से हार्ट अटैक होने का खतरा भी बढ़ जाता है।
हृदय रोगी ठंड में इन बातों का रखें ध्यान
ठंडी के दौरान आमतौर पर हर किसी की फिजिकल एक्टिविटी कम हो जाती है जो कि गलत है, खासकर दिल के मरीजों को सर्दियों में जरूर एक्टिव रहना चाहिए।अगर आप हर दिन 30 से 40 मिनट वॉक करेंगे तो इससे आपकी हार्ट हेल्थ बेहतर होगी और हार्ट अटैक का खतरा कम हो जाएगा। ऐसे बुजुर्ग जो पहले से दिल की बीमारी से जूझ रहे हैं, उन्हें इस मौसम में खासतौर पर अपनी हेल्थ का ध्यान रखना चाहिए।
हृदय रोगी इन बातों का रखें ध्यान
- पोटेशियम युक्त फल और सब्जियों जैसे खट्टे फल और हरी पत्तेदार सब्जियां आपके ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करने में मदद कर सकती हैं, इनसे आपको फाइबर भी मिलता है जो कि कॉलेस्ट्रॉल को कम करने में मदद करता है। इससे हृदय संबंधी रोग का खतरा कम होता है।
रात के समय ही आखिर क्यों आता है हार्ट अटैक
देश में हार्ट डिसीस और हार्ट अटैक के मामले तेजी से बढ़े हैं, हार्ट की बामीरी संबंध काफी हद तक हमारी लाइफस्टाइल से है। ज्यादातर लोगों को सोते समय हार्ट अटैक आने का खतरा अधिक होता है, पिछले कुछ समय में ऐसे ढेरों मामले सामने आए जिसमें लोगों की मौत नींद में हार्ट अटैक से हुई है। इनमें भी ज्यादातर लोगों को सुबह चार से छह बजे के बीच हार्ट अटैक आया था।
रिसर्च में हुआ खुलासा
दिल के मामले में हुई एक रिसर्च बताती है कि सुबह तीन-चार बजे और उसके बाद होने वाले हार्ट अटैक का कारण यह हो सकता है कि इस अवधि में शरीर में PAI-1 कोशिकाएं अधिक सक्रिय हो जाती हैं जो रक्त के थक्कों को टूटने से रोकती हैं। ब्लड में जितनी अधिक PAI-1 कोशिकाएं होती हैं, रक्त के थक्के बनने का जोखिम उतना ही अधिक होता है जिससे दिल का दौरा पड़ता है। हार्ट पूरी बॉडी को ब्लड सप्लाई करने का काम करता है, इसके अलावा इन सेल्स से भी निपटता है। इसी कारण हार्ट पर बहुत अधिक दबाव पड़ जाता है।