लोकसभा चुनाव की इस बेला में मुस्लिम समुदाय ( Muslim candidates ) फिर चर्चा में है। मुसलमानों को लेकर हर तरफ से बयानबाजी का दौर जारी है। BJP और कांग्रेस के साथ ही दूसरे दलों के भी तमाम शीर्षस्थ नेता अपने बयानों में मुस्लिमों का जिक्र कर रहे हैं। इस बीच 'द सूत्र' ने मुस्लिम समुदाय की लोकसभा चुनाव में भागीदारी को लेकर पड़ताल की है। इसमें पता चलता है कि मध्यप्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और गुजरात में एनडीए तथा इंडिया गठबंधन का एक भी मुस्लिम उम्मीदवार नहीं है। वहीं, महाराष्ट्र में एमवीए के कांग्रेस-एनसीपी (शरद), शिवसेना (उद्धव) और सत्तारूढ़ महायुती के भाजपा, शिवेसना और एनसीपी ने एक भी मुस्लिम प्रत्याशी को टिकट नहीं दिया है। ( Lok Sabha Chunav 2024 )
पढ़िए ये खास रिपोर्ट...
पहले चुनाव में 21 मुस्लिम सांसद
चुनाव में मुस्लिम समुदाय की भागीदारी को समझने के लिए हमें शुरुआत यानी सात दशक पीछे जाना होगा। वर्ष 1952 में देश में हुए पहले चुनाव में 21 सांसद संसद की दहलीज तक पहुंचे थे। फिर 1957 में 24 सांसद चुने गए। धीरे- धीरे मुस्लिम समुदाय की भागीदारी बढ़ती गई। फिर 1980 के चुनाव में मुस्लिम सांसदों की संख्या 49 तक पहुंच गई। यहां से आंकड़ा फिर गिरना शुरू हुआ और 2019 आते- आते सिर्फ 27 मुस्लिम सांसद संसद तक पहुंचे।
कांग्रेस ने 19, बीजेपी ने एक सीट पर उतारा प्रत्याशी
अब आते हैं 2024 के लोकसभा चुनाव पर। तो आंकड़े ऐसे हैं कि देश के 11 प्रमुख राजनीतिक दलों ने इस चुनाव में अपने 1490 प्रत्याशी मैदान में उतारे हैं। इसमें मुस्लिम प्रत्याशियों की संख्या महज 80 है। यानी सिर्फ 80 मुस्लिम उम्मीदवारों को ही पार्टियों ने टिकट दिया है। कांग्रेस ने 19 तो बीजेपी ने सिर्फ एक सीट पर मुस्लिम प्रत्याशी को टिकट दिया है।
बीजेपी ने केरल में उतारा उम्मीदवार
वहीं, एनडीए गठबंधन में इस बार मुस्लिमों को चार टिकट दिए गए हैं। बीते चुनाव में तीन सीटों पर मुस्लिम उम्मीदवार उतारने वाली भाजपा ने इस बार सिर्फ केरल के मल्लपुरम से इकलौते मुस्लिम उम्मीदवार को टिकट दिया है। एनडीए के सहयोगियों ने तीन मुस्लिम प्रत्याशी उतारे हैं। वहीं, इंडिया गठबंधन ने भी मुस्लिम प्रत्याशियों को टिकट देने में कंजूसी बरती है।
आबादी 14 प्रतिशत, प्रतिनिधित्व 5 फीसदी
जानकारी के अनुसार, अस्सी के दशक में देश में 11 प्रतिशत मुस्लिम आबादी थी। तब उस संसद में मुस्लिमों का प्रतिनिधित्व करीब 9 प्रतिशत था। आज देश में मुसलमानों की आबादी 14 फीसदी हो गई है, पर लोकसभा में प्रतिनिधित्व करीब 5 प्रतिशत ही है।
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