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New Delhi. शहरों में स्वच्छता बनाए रखने के लिए 2016 में शुरू किए गए स्वच्छता सर्वेक्षण का 8वां सीजन 1 जुलाई से शुरू हो रहा है। इस बार 4500 से ज्यादा शहरों को लिस्ट में रखा गया है। आज यानि एक जुलाई से 3000 कर्मचारी इन शहरों में स्वच्छता का मूल्यांकन करेंगे। कौन सा शहर कितना स्वच्छ है, इसका आंकलन इस बार 46 पैरामीटर पर किया जाएगा। यह काम एक महीने में पूरा होगा, जिसके बाद रिपोर्ट तैयार की जाएगी और साल के अंत तक रिजल्ट घोषित किया जाएगा। इस बार की थीम वेस्ट टू वेल्थ रखी गई है।
पिछले साल- राज्यों में मप्र और शहरों में इंदौर बना था नंबर वन
पिछले साल जारी स्वच्छता सर्वेक्षण में मध्यप्रदेश देश का सबसे स्वच्छ राज्य बना था। 100 से अधिक शहरों वाले राज्य में मध्यप्रदेश नंबर-1 पर आया था, वहीं इंदौर छठी बार सबसे साफ शहर चुना गया था।
शहरी स्वच्छता सर्वेक्षण के लिए जारी रैंकिंग के पैरामीटर
साफ और गंदगी मुक्त शहरों को रैंकिंग तय करने के लिए कई पैरामीटर इस्तेमाल किए जाते हैं। इसमें घर-घर कूड़ा इकठ्ठा करने से लेकर प्लास्टिक वाले कचरे का मैनेजमेंट तक शामिल है। इस बार 'मैनहोल' को 'मशीन होल ' में बदलने पर जोर देते हुए सफाईमित्र सुरक्षा को प्राथमिकता दी गई है। इसके लिए दोगुने अंक बढ़ाए गए हैं। वेस्ट टू वंडर पार्क का नया पैरामीटर जोड़ा गया है। जो भी शहर यह पूरा करेगा उसे नंबरों में 2% वेटेज दिया जाएगा। शहरों से निकले कूड़े का तकनीक की मदद से कितना और क्या उपयोग कियस जा रहा है। इस पर 40% वेटेज मिलता है।
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कुल 9,500 अंकों पर होगा मूल्यांकन
साफ-सुथरे शहर की पहचान करने के लिए अलग-अलग पैरामीटर होते हैं। इस बार शहरों को मूल्यांकन कुल 9,500 अंकों पर होगा। जिसमें शहर के नागरिकों से भी राय ली जाती है।
- 53% वेटेज कूड़े से जुड़ी सर्विस को लेकर दिए जाते हैं।