Mumbai. लॉ के क्षेत्र में एक कहावत है कि जस्टिस डिले इज जस्टिस डिनाई, यानि की यदि न्याय मिलने देरी होती है तो वह भी एक प्रकार का अन्याय है। कुछ ऐसा ही हुआ मुंबई की 93 साल की बुजुर्ग महिला के साथ। उसे 8 दशक तक कानूनी लड़ाई लड़ने के बाद उसके फ्लैट्स पर कब्जा मिल पाया। बॉम्बे हाईकोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार को इस बाबत आदेश दिया है कि महिला को उसके फ्लैट्स में कब्जा दिलाया जाए। दक्षिणी मुंबई में स्थिति रूबी मैंशन में यह फ्लैट्स पहले माले पर स्थित हैं। एक फ्लैट 5 सौ वर्गफीट का है तो दूसरा 6 सौ वर्गफीट एरिया का।
1942 में हुआ था निर्माण
दरअसल ये फ्लैट्स 1942 में बनाए गए थे। उस दौरान इनका निर्माण डिफेंस ऑफ इंडिया एक्ट के तहत कराया गया था। जिसके मुताबिक ब्रिटिश शासनकर्ता प्राइवेट प्रॉपर्टी का पजेशन लेने का अधिकार रखते थे। मामले में सुनवाई करते हुए जस्टिस आर डी धनुका और एमएम सत्हाए ने 4 मई को इस पर दायर परिवाद का निराकरण करते हुए फैसला दिया। जिसके मुताबिक 1946 में नियमों में बदलाव हो गए थे, लेकिन इन फ्लैट्स को उनकी मालकिन एलिस डिसूजा को कभी वापस नहीं किया गया।
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याचिका में दी थी यह दलील
एलिस डिसूजा ने अपनी याचिका में महाराष्ट्र सरकार और मुंबई के डीएम से जुलाई 1946 के आदेश को लागू करने की अपील की थी। साथ ही फ्लैट खुद को वापस सौंपे जाने की बात कही थी। फ्लैट में रहने वाले डीएस लॉड के कानूनी उत्तराधिकारी ने 93 वर्षीय महिला की याचिका का विरोध किया था। डीएस लॉड को 1940 के दशक में अधिग्रहण आदेश के तहत इस कैंपस में जगह मिली थी। लॉड उस समय सिविल सेवा विभाग में एक सरकारी अधिकारी थे। डिसूजा ने अपनी याचिका में दावा किया कि मांग आदेश वापस ले लिया गया था, लेकिन फिर भी कब्जा सही मालिक को नहीं सौंपा गया था। याचिका में कहा गया है कि इमारत के अन्य फ्लैट्स पर कब्जा उसके मालिकों को वापस सौंप दिया गया है।
अदालत ने लंबी कानूनी लड़ाई के बाद याचिककर्ता एलिस डिसूजा के पक्ष में फैसला देते हुए सरकार को उन्हें पजेशन देने के निर्देश दिए हैं।