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जयपुर. राम मंदिर पर बेबाकी से बात करने वाले आचार्य धर्मेंद्र (Acharya dharmendra) का 19 सितंबर को निधन हो गया। वे विश्व हिंदू परिषद (VHP) से लंबे समय तक जुड़े थे। उनके निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, उत्तर प्रदेश के CM योगी आदित्यनाथ और विभिन्न हिंदू संगठन से जुड़े लोगों ने दुख जताया है।
आचार्य धर्मेंद्र हिंदी-हिंदुत्व के लिए काम करते रहे
आचार्य धर्मेंद्र विश्व हिन्दू परिषद के केंद्रीय मार्गदर्शक मंडल में रहे हैं। उनका पूरा जीवन हिंदी, हिंदुत्व और हिंदुस्थान के उत्कर्ष के लिए समर्पित रहा। आचार्य धर्मेंद्र का जन्म 9 जनवरी 1942 को गुजरात के मालवाडा में हुआ। आचार्य ने मात्र 13 साल की उम्र में वज्रांग नाम से एक समाचारपत्र निकाला। उन पर पिता महात्मा रामचन्द्र वीर महाराज के आदर्शों और व्यक्तित्व का प्रभाव पड़ा।
गांधी पर टिप्पणी करने के बाद सुर्खियों में रहे
2014 में अमरकंटक के मृत्युंजय आश्रम में आचार्य धर्मेंद्र ने सत्संग के दौरान कहा था- हम भारत को मां मानते हैं और ऐसे में महात्मा गांधी को राष्ट्रपिता कहना बिल्कुल गलत है। कोई डेढ़ पसली वाला देश का राष्ट्रपिता नहीं हो सकता। गांधीजी भारत मां के बेटे हो सकते हैं, लेकिन राष्ट्रपिता का ओहदा उन्हें नहीं दिया जा सकता। भारत देवताओं की भूमि है। महज 100 वर्षों के भीतर कोई इस महान देश का पिता कैसे हो सकता है। भारत की करेंसी में महात्मा गांधी के बजाय भगवान गणेश की फोटो छापी जानी चाहिए। अगर ऐसा किया जाएगा तो ये नोट नहीं, प्रसाद हो जाएंगे।
बाबरी मामले में खुद को आरोपी नंबर 1 बताया था
बाबरी विध्वंस मामले में लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, कल्याण सिंह, उमा भारती सहित आचार्य धर्मेंद्र को भी आरोपी माना गया था। आचार्य राम मंदिर मुद्दे पर खुलकर अपनी बात रखते थे। बाबरी विध्वंस मामले में उन्होंने बड़ा बयान दिया था। उन्होंने कहा था कि मैं आरोपी नंबर वन हूं। सजा से डरना क्या? जो किया सबके सामने चौड़े में किया।
गोरक्षा आंदोलन में किया 52 दिन तक अनशन
1966 में देश के सभी गोभक्त समुदायों, साधु-संतो और संस्थाओं ने मिलकर विराट सत्याग्रह आंदोलन छेड़ा। महात्मा रामचन्द्र वीर ने 1966 में अनशन करके स्वयं को नरकंकाल जैसा बनाकर अनशनों के सारे कीर्तिमान ध्वस्त कर दिए। जगद्गुरु शंकराचार्य श्री निरंजनदेव तीर्थ ने 72 दिन, संत प्रभुदत्त ब्रह्मचारी ने 65 दिन, महात्मा रामचंद्र के बेटे आचार्य श्री धर्मेंद्र महाराज ने 52 दिन और जैन मुनि सुशील कुमार जी ने 4 दिन अनशन किया था।