Mumbai. शिवसेना के बागी नेता एकनाथ शिंदे को भले ही महाराष्ट्र की कमान सौंप दी गई लेकिन राज्य में सियासी बवंडर अभी भी थमा नहीं है। शिवसेना(Shiv sena) में उठा बगावत का तूफान अभी शांत होने का नाम नहीं ले रहे हैं इसी वजह है कि एकनाथ शिंदे और उद्धव ठाकरे((Uddhav Thackeray)) में लगातार शह और मात के खेल जारी है। जिससे शिवसेना खेमे में खलबली मची है। अब लड़ाई संगठन पर कब्जाने की है दोनों ही गुट शिवसेना पर अपना दावा ठोक रहे हैं। दोनों गुट अपने आप को शिवसेना बता रहे हैं। फिलहाल विधायकों की बगावत(Revolt of MLAs) के बाद शिवसेना को एक और झटके लगने जा रहा है। बीजेपी के एक बड़े नेता ने दावा किया है कि शिवसेना के संसदीय दल में भी समानांतर बग़ावत होगी। उन्होंने कहा कि इसके लिए राष्ट्रपति पद के मतदान का इंतज़ार करिए। कम से कम 14 सांसद शिवसेना से बगावत कर सकते हैं। शिवसेना सांसद और मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के बेटे श्रिकांत शिंदे (Shrikant shinde) के साथ कुछ और सांसद शिवसेना में बगावत कर सकते हैं। श्रीकांत शिंदे पहले ही अपने अपने पिता के गुट के साथ शिवसेना से अलग हो चुके हैं। बीजेपी के एक बड़े नेता ने बताया कि राष्ट्रपति चुनाव के मतदान के दिन कम से कम 14 सांसद शिवसेना के रुख़ से अलग एनडीए उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू के पक्ष में मतदान कर सकते हैं. साथ ही इसके ये सांसद शिवसेना से अलग होने का एलान भी कर सकते हैं। अभी शिवसेना के लोकसभा में 19 और राज्यसभा में 3 सदस्य हैं। माना जा रहा है कि शिवसेना के विधायकों की बगावत के बाद हुए विभाजन का असर लोकसभा में भी देखने को मिलेगा और कम से कम 14 सांसद शिवसेना से बग़ावत कर सकते हैं।
विधायकों के समर्थन में ठाकरे को लिखा था पत्र
कल्याण से शिवसेना सांसद श्रीकांत शिंदे तो खुलकर अपने पिता के साथ हैं। इसके अलावा यवतमाल से सांसद भावना गवली ने भी बाग़ी विधायकों के समर्थन में उद्धव ठाकरे को पत्र लिख था। गवली ने अपने पत्र में बाग़ी विधायकों की हिंदुत्व के सम्बंध में शिकायतों का निवारण करने की बात तत्कालीन मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे से की थी, थाने से सांसद राजन विचारे फ़िलहाल शिंदे के साथ ही दिखाई दे रहे हैं लेकिन बीजेपी सूत्रों का कहना है कि जल्द शिवसेना के संसदीय दल में भी बड़ी बग़ावत होने वाली हैं.
उद्धव ने शिंदे को शिवसेना से निकाला
दूसरी ओर शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने महाराष्ट्र के नए मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे पर बड़ी कार्रवाई की है। उन्होंने शिंदे को शिवसेना के सभी पदों से मुक्त करने के साथ पार्टी से भी निकाल दिया है। उद्धव ने शिंदे के पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल होने को कार्रवाई की वजह बताया है। शिंदे ने बीते दिन ही महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री के रूप में कार्यभार संभाला था। उनके साथ भाजपा नेता देवेंद्र फडणवीस ने उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी। हालांकि, उद्धव ठाकरे के इस फैसले को शिंदे के उन दावों पर हमला बताया जा रहा है, जिसके जरिए वे शिवसेना के संस्थापक बाल ठाकरे की विरासत पर दावा कर रहे हैं।
शिंदे सरकार का चार जुलाई को शक्ति परीक्षण
शिवसेना-भाजपा गठबंधन सरकार चार जुलाई को विधानसभा में शक्ति परीक्षण का सामना करेगी। इससे पहले भाजपा विधायक राहुल नार्वेकर ने शुक्रवार को विधानसभा अध्यक्ष पद के लिए नामांकन दाखिल किया। आवश्यकता पड़ने पर इस पद के लिए तीन जुलाई को चुनाव कराया जाएगा। तीन जुलाई से ही दो दिवसीय विशेष सत्र शुरू हो रहा है। कांग्रेस के नाना पटोले के पिछले साल फरवरी में इस्तीफा देने के बाद से यह पद खाली था।
फडणवीस ने की बैठक
महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने मंत्रालय, मुंबई में ओबीसी आरक्षण को लेकर बैठक की। महाराष्ट्र के मुख्य सचिव मनुकुमार श्रीवास्तव, भाजपा नेता प्रवीण दारेकर और डॉ. संजय कुटे भी इस दौरान उपस्थित रहे।
समय आने पर उद्धव से बात करेंगे। महाराष्ट्र शिवसेना विधायक दीपक केसरकर ने कहा कि उद्धव ठाकरे बड़े कद के नेता हैं और हम उनके खिलाफ नहीं बोलेंगे। हम उनसे सही समय पर बात करेंगे। सभी गलतफहमियों को सुलझा लिया जाएगा। राकांपा प्रमुख शरद पवार ने सीएम एकनाथ शिंदे को फोन कर बधाई दी। उन्होंने यह भी कहा कि आप सतारा के हैं इसलिए सतारा के लिए मैं आपसे बहुत सी चीजों की अपेक्षा करता हूं। अभी ईडी का शासन है, लेकिन यहां ईडी का मतलब एकनाथ शिंदे के लिए 'ई' और देवेंद्र फडणवीस के लिए 'डी' है।