एयर इंडिया का सरकार को ‘टाटा’: 69 साल बाद प्राइवेट हुई एयरलाइंस, जानें सबकुछ

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Pooja Kumari
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एयर इंडिया का सरकार को ‘टाटा’: 69 साल बाद प्राइवेट हुई एयरलाइंस, जानें सबकुछ

आखिरकार एयर इंडिया को टाटा के हाथों में सौंपने का समय आ गया है। सरकारी कंपनी एअर इंडिया आज(27 जनवरी, 202) से प्राइवेट हो जाएगी। एयर इंडिया को खरीदने के बाद टाटा देश की दूसरी बड़ी एयरलाइन बन जाएगी। एयर इंडिया के हैंडओवर से पहले टाटा संस के चेयरमैन PM मोदी से मिले।





69 साल बाद एयर इंडिया की 'घर वापसी': 69 साल बाद दोबारा मालिकाना हक पाने के बाद एयर इंडिया में कई बदलाव देखने को मिल सकते हैं। एयर इंडिया के पास घरेलू और अंतरराष्ट्रीय रूट्स पर कई महत्वपूर्ण उड़ानें हैं। ऐसे में कहा जा सकता है कि नए मैनेजमेंट के साथ डोमेस्टिक और इंटरनेशनल ट्रैवल करने वाले यात्रियों को बेहतर सुविधाएं मिल सकती हैं।





एयरलाइन में ये होंगे बदलाव:







  • टाटा ग्रुप ने कहा है कि शुरू में वह 5 फ्लाइट्स में फ्री में खाना उपलब्ध कराएगी। 



  • एयरलाइन को पटरी पर लाने के लिए टाटा का जोर ऑनटाइम परफॉरमेंस पर भी है। 


  • जिन फ्लाइट्स में फ्री खाना मिलेगा, उसमें मुंबई-दिल्ली की दो फ्लाइट्स AI864 और AI687, AI945 मुंबई से अबूधाबी और AI639 मुंबई से बंगलुरू शामिल हैं। इसके अलावा मुंबई-न्यूयॉर्क के रूट पर चलने वाली फ्लाइट में भी फ्री खाना मिलेगा। 


  • रिपोर्ट में कहा गया है कि विमान के दरवाजे फ्लाइट टाइम से 10 मिनट पहले बंद हो जाएंगे। 


  • टाटा ग्रुप के संदीप वर्मा और मेघा सिंघानिया इनफ्लाइट सर्विस को देखेंगे।  इनके मुताबिक विमान में टाटा ग्रुप के चेयरमैन एमिरेटस रतन टाटा का पहले से रिकॉर्ड किया हुआ संदेश भी सुनाया जा सकता है। 






  • 1932 में शुरू हुई थी एअर इंडिया: एअर इंडिया के इतिहास की बात करें तो इसकी शुरुआत अप्रैल 1932 में हुई थी। इसकी स्थापना उद्योगपति JRD टाटा ने की थी। उस वक्त नाम टाटा एयरलाइंस हुआ करता था। JRD टाटा ने महज 15 की उम्र में साल 1919 में पहली बार शौकिया तौर पर हवाई जहाज उड़ाया था, लेकिन शौक जुनून बन गया और JRD टाटा ने अपना पायलट का लाइसेंस ले लिया। एयरलाइन की पहली कॉमर्शियल उड़ान 15 अक्टूबर 1932 को भरी गई थी।





    यहां से शुरू हुआ डाउनफॉल: 1954 में जब इसका राष्ट्रीयकरण हुआ, उसके बाद सरकार ने दो कंपनियां बनाईं। इंडियन एअरलाइंस घरेलू सेवा के लिए और एअर इंडिया विदेशी रूट के लिए तय की गई। साल 2000 तक यह कंपनी मुनाफे में रही। पहली बार 2001 में इसे 57 करोड़ रुपए का घाटा हुआ। तब विमानन मंत्रालय ने इसके लिए उस समय के एमडी माइकल मास्केयरनहास को दोषी मानते हुए पद से हटा दिया था। साल 2009-10 में इसका घाटा बढ़कर 12 हजार करोड के पार पहुंचा।





    ये निर्णय भी, जिससे कंपनी घाटे में गई:







    • अक्सर यह कंपनी लेटलतीफी के लिए जानी जाती है। निजी कंपनियों के विमान एक दिन में कम से कम 14 घंटे उड़ान भरते थे, जबकि एअर इंडिया का विमान 10 घंटे उड़ान भरता था। 



  • दूसरी ओर जिस रूट पर प्राइवेट कंपनियां सेवा देने से कतराती थीं, वहां एअर इंडिया को चलाया गया, जो घाटे का रूट हुआ करता था।


  • घाटे की एक वजह यह भी बताई गई कि 2005 में 111 विमानों की खरीद का फैसला एअर इंडिया के लिए संकट बना।


  •  जिस रूट पर प्राइवेट कंपनियां सेवा देने से कतराती थीं, वहां एअर इंडिया को चलाया गया, जो घाटे का रूट हुआ करता था।






  • एअर इंडिया की खासियत: एअर इंडिया की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह अभी भी फाइव स्टार होटल ताज से ही खाना मंगाती है। प्लेन में खाना देने के लिए यह ताज की कैटरिंग सर्विस ताज सैट्स से इसे ऑर्डर करती है। अब जबकि सभी विमानन कंपनियां केवल पानी फ्री में देती हैं, एअर इंडिया अभी भी खाना और नाश्ता फ्री में देती है।



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