PRAYAGRAJ. दिल्ली से सटे उत्तरप्रदेश के नोएडा में देश भर में सुर्खियों मे रहने वाले सनसनीखेज निठारी कांड में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने अपना फैसला सुना दिया है। उच्च न्यायालय ने मामले में 12 केसों में आरोपी सुरेंद्र कोली और दो केस में मनिंदर पंढेर को बरी कर दिया है। बता दें कि निचली अदालत ने इन सभी मामलों में दोनों को फांसी की सजा सुनाई थी।
पुलिस ने दर्ज किए थे 16 मामले
दरअसल पुलिस ने बड़ी संख्या में बच्चों और महिलाओं के अंग नाले में मिलने और नरकंकाल बरामद होने के बाद कुल 16 मामले दर्ज किए थे। सुरेंद्र कोली पर दर्ज 14 मामलों में उसे फांसी की सजा सुनाई गई थी जबकि मनिंदर पंढेर को 6 मामलों में आरोपी बनाया गया था, जिसमें से उसे 3 केस में फांसी की सजा निचली अदालत से मिली थी। पंढेर 6 में से 4 मामलों में पहले ही बरी हो चुका है, अब उसे बाकी के 2 मामलों में भी बरी किया गया है।
अदालत में चश्मदीद गवाह के अभाव को बनाया ढाल
अदालत में आरोपियों की ओर से सजा को यह कहकर चुनौती दी गई थी कि सभी मामलों में कोई चश्मदीद गवाह मौजूद नहीं था, केवल परिस्थितिजन्य साक्ष्यों और साइंटिफिक एविडेंस के आधार पर उनके केस को विरलतम मानते हुए फांसी की सजा सुनाई गई। जस्टिस अश्वनी कुमार मिश्र और जस्टिस एसएच ए रिजवी की डबल बेंच ने अपील पर सुनवाई कर यह फैसला दिया है। खास बात यह है कि अदालत ने फांसी की सजा को नहीं किया बल्कि आरोपियों को बरी किया है। फांसी की सजा से आरोपियों को सीधे बरी किए जाने से पीड़ित परिवारों में निराशा फैल चुकी है।
तो फिर किसने कीं इतनी हत्याएं?
हाई कोर्ट का फैसला आने के बाद सबसे बड़ा सवाल यह है कि निठारी के नाले में मिली दर्जनों बच्चों और महिलाओं के शवों के अवशेष का गुनहगार कौन था? आखिर किसने इतनी बड़ी तादाद में हत्याएं की थीं। दूसरी तरफ यह भी देखने वाली बात होगी कि इस सनसनीखेज मामले में हाई कोर्ट के फैसले को उत्तरप्रदेश सरकार सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देती है या नहीं।