नई दिल्ली. इंडिया गेट पर स्थापित अमर जवान ज्योति मशाल (Amar Jawan Jyoti Torch) की लौ नेशनल वॉर मेमोरियल की लौ में मिला दी जाएगी। कांग्रेस समेत विपक्ष (Opposition) का आरोप था कि 50 साल से जल रही अमर जवान ज्योति को बुझाया जा रहा है। वहीं, केंद्र सरकार ने सफाई दी कि ज्योति की लौ को बुझाया नहीं जा रहा, बल्कि नेशनल वॉर मेमोरियल की लौ के साथ मर्ज किया जा रहा है। आइए जानते हैं इंडिया गेट और अमर जवान ज्योति का इतिहास...
इंडिया गेट: इसका निर्माण अंग्रेजों ने करवाया था। इसे ब्रिटिश सरकार ने 1914 (प्रथम विश्व युद्ध की शुरुआत) से 1921 के बीच जान गंवाने वाले ब्रिटिश भारतीय सेना के सैनिकों की याद में बनाया गया था। 1914 से 1918 तक प्रथम विश्व युद्ध और 1919 में तीसरे एंग्लो-अफगान युद्ध में 80 हजार से ज्यादा भारतीय सैनिक शहीद हुए थे। इन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए इंडिया गेट बनाया गया था।
इंडिया गेट को एडविन लुटियन ने डिजाइन किया था। इसकी आधारशिला 10 फरवरी 1921 को रखी गई थी। ये 10 साल में 12 फरवरी 1931 को बनकर तैयार हुआ। तब वायसराय रहे लॉर्ड इर्विन ने इसका उद्घाटन किया था।
अमर जवान ज्योति का इतिहास
- दिसंबर 1971 में भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध हुआ था। ये युद्ध 3 से 16 दिसंबर तक चला था। इस युद्ध में पाकिस्तान को घुटने टेकने पड़े थे। इसी जंग के बाद बांग्लादेश का गठन हुआ।
सरकार के फैसले पर सेनानायक: मोदी सरकार के इस फैसले पर पूर्व सैनिकों की मिली-जुली राय है। पूर्व एयर वाइस मार्शल मनमोहन बहादुर ने ट्विटर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को टैग करते हुए ये फैसला वापस लेने की अपील की। उन्होंने लिखा कि इंडिया गेट पर जल रही लौ भारत के मानस का हिस्सा है। आप, मैं और हमारी पीढ़ी वहां हमारे बहादुर जवानों को सलाम करते हुए बड़े हुए हैं। राष्ट्रीय युद्ध स्मारक महान है, वहीं अमर जवान ज्योति अमिट है।
. @PMOIndia @narendramodi
Sir, the eternal flame at #IndiaGate is part of India's psyche. You, I & r generation grew up saluting our brave jawans there. While NationalWarMemorial is great, the memories of #AmarJawanJyoti are indelible.
Request rescind decision.
RT if u agree
— Manmohan Bahadur (@BahadurManmohan) January 21, 2022
वहीं, लेफ्टिनेंट जनरल (रिटायर्ड) विनोद भाटिया ने कहा कि अमर जवान ज्योति को नेशनल वॉर मेमोरियल के साथ मर्ज कर दिया गया है। ये एक अच्छा फैसला है। आर्मी के पूर्व डिप्टी चीफ लेफ्टिनेंट जनरल (रिटायर्ड) जेबीएस यादव ने कहा कि अमर जवान ज्योति और नेशनल वॉर मेमोरियल के मर्जर पर राजनीति नहीं होनी चाहिए। आजकल केंद्र जो भी कर रहा है, उसे पॉलिटिकल एंगल देने का ट्रेंड चल रहा है।