अमर जवान ज्योति का इतिहास: 71 की लड़ाई से है नाता, अब कहां जलेगी मशाल

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अमर जवान ज्योति का इतिहास: 71 की लड़ाई से है नाता, अब कहां जलेगी मशाल

नई दिल्ली. इंडिया गेट पर स्थापित अमर जवान ज्योति मशाल (Amar Jawan Jyoti Torch) की लौ नेशनल वॉर मेमोरियल की लौ में मिला दी जाएगी। कांग्रेस समेत विपक्ष (Opposition) का आरोप था कि 50 साल से जल रही अमर जवान ज्योति को बुझाया जा रहा है। वहीं, केंद्र सरकार ने सफाई दी कि ज्योति की लौ को बुझाया नहीं जा रहा, बल्कि नेशनल वॉर मेमोरियल की लौ के साथ मर्ज किया जा रहा है। आइए जानते हैं इंडिया गेट और अमर जवान ज्योति का इतिहास...





इंडिया गेट: इसका निर्माण अंग्रेजों ने करवाया था। इसे ब्रिटिश सरकार ने 1914 (प्रथम विश्व युद्ध की शुरुआत) से 1921 के बीच जान गंवाने वाले ब्रिटिश भारतीय सेना के सैनिकों की याद में बनाया गया था। 1914 से 1918 तक प्रथम विश्व युद्ध और 1919 में तीसरे एंग्लो-अफगान युद्ध में 80 हजार से ज्यादा भारतीय सैनिक शहीद हुए थे। इन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए इंडिया गेट बनाया गया था।





इंडिया गेट को एडविन लुटियन ने डिजाइन किया था। इसकी आधारशिला 10 फरवरी 1921 को रखी गई थी। ये 10 साल में 12 फरवरी 1931 को बनकर तैयार हुआ। तब वायसराय रहे लॉर्ड इर्विन ने इसका उद्घाटन किया था।





अमर जवान ज्योति का इतिहास 







  • दिसंबर 1971 में भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध हुआ था। ये युद्ध 3 से 16 दिसंबर तक चला था। इस युद्ध में पाकिस्तान को घुटने टेकने पड़े थे। इसी जंग के बाद बांग्लादेश का गठन हुआ। 



  • एक रिपोर्ट के मुताबिक, 1971 के युद्ध में भारतीय सेना के 3,843 जवान शहीद हुए थे। इन्हीं शहीदों की याद में अमर जवान ज्योति जलाने का फैसला हुआ। 


  • इसके बाद इंडिया गेट के नीचे एक काले रंग का स्मारक बनाया गया, जिस पर अमर जवान लिखा है। इस पर L1A1 सेल्फ लोडिंग राइफल भी रखी हुई है। इसी राइफल पर एक सैनिक हेलमेट भी लगा है।


  • इस स्मारक का उद्घाटन 26 जनवरी 1972 को तब प्रधानमंत्री रहीं इंदिरा गांधी ने किया था। स्मारक में एक ज्योति भी जल रही है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, 2006 तक इस ज्योति को जलाने के लिए एलपीजी का इस्तेमाल होता था, लेकिन बाद में इसमें CNG का इस्तेमाल होने लगा।


  • अमर जवान ज्योति कहां जलेगी: अब ये ज्योति नेशनल वॉर मेमोरियल में जलाई जाएगी। नेशनल वॉर मेमोरियल इंडिया गेट से 400 मीटर की दूरी पर ही बना है। यहां भी ज्योति जल रही है। अमर जवान ज्योति अब वॉर मेमोरियल ज्योति के साथ मर्ज होगी। ये मेमोरियल 40 एकड़ में बना है। इसकी दीवारों पर शहीद जवानों के नाम लिखे हैं।






  • सरकार के फैसले पर सेनानायक: मोदी सरकार के इस फैसले पर पूर्व सैनिकों की मिली-जुली राय है। पूर्व एयर वाइस मार्शल मनमोहन बहादुर ने ट्विटर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को टैग करते हुए ये फैसला वापस लेने की अपील की। उन्होंने लिखा कि इंडिया गेट पर जल रही लौ भारत के मानस का हिस्सा है। आप, मैं और हमारी पीढ़ी वहां हमारे बहादुर जवानों को सलाम करते हुए बड़े हुए हैं। राष्ट्रीय युद्ध स्मारक महान है, वहीं अमर जवान ज्योति अमिट है।







    — Manmohan Bahadur (@BahadurManmohan) January 21, 2022





    वहीं, लेफ्टिनेंट जनरल (रिटायर्ड) विनोद भाटिया ने कहा कि अमर जवान ज्योति को नेशनल वॉर मेमोरियल के साथ मर्ज कर दिया गया है। ये एक अच्छा फैसला है। आर्मी के पूर्व डिप्टी चीफ लेफ्टिनेंट जनरल (रिटायर्ड) जेबीएस यादव ने कहा कि अमर जवान ज्योति और नेशनल वॉर मेमोरियल के मर्जर पर राजनीति नहीं होनी चाहिए। आजकल केंद्र जो भी कर रहा है, उसे पॉलिटिकल एंगल देने का ट्रेंड चल रहा है।



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