राम मंदिर, CAA, तीन तलाक, 370 हो गया, अब कॉमन सिविल कोड की बारी- अमित शाह

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Atul Tiwari
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राम मंदिर, CAA, तीन तलाक, 370 हो गया, अब कॉमन सिविल कोड की बारी- अमित शाह

Bhopal. क्या देश में समान नागरिक संहिता (Common Civil Code) लागू हो सकती है। 22 अप्रैल को मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के दौरे पर आए अमित शाह ने यही संकेत दिए हैं। बीजेपी पार्टी कार्यालय में उन्होंने कोर कमेटी के साथ मीटिंग की। मीटिंग में शाह ने कहा- CAA, राममंदिर, अनुच्छेद 370 और ट्रिपल तलाक जैसे मुद्दों के फैसले हो गए हैं। अब बारी कॉमन सिविल कोड की है।



उन्होंने यह भी बताया कि उत्तराखंड में कॉमन सिविल कोड पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर लागू किया जा रहा है। ड्राफ्ट तैयार किया जा रहा है। जो भी बचा है, सब ठीक कर देंगे। आप लोग कोई भी ऐसा काम मत कीजिए, जिससे पार्टी को नुकसान हो।



क्या है कॉमन सिविल कोड?



इसके लागू होने से देश में शादी, तलाक, उत्तराधिकार, गोद लेने जैसे सामाजिक मुद्दे एक समान कानून के अंतर्गत आ जाएंगे। इसमें धर्म के आधार पर कोई कोर्ट या अलग व्यवस्था नहीं होगी। संविधान का अनुच्छेद 44 इसे बनाने की शक्ति देता है। इसे केवल केंद्र सरकार संसद के जरिए ही लागू कर सकती है।



ऐसे शुरू हुई समान नागरिक संहिता की मांग?



आजादी से पहले हिंदुओं और मुस्लिमों के लिए अलग-अलग कानून लागू किए गए थे। सबसे पहले महिलाएं इसके खिलाफ खड़ी हुईं। फिर बीजेपी ने इसे अपने 3 मुख्य मुद्दों में शामिल किया। 



इसकी जरूरत क्यों?



2014 और 2019 में बीजेपी पूर्ण बहुमत की सरकार बना चुकी है। मोदी के दूसरी बार सत्ता में आने के बाद सरकार ने कई बड़े फैसले लिए थे। 2024 में लोकसभा चुनाव हैं। ऐसे में फिर बीजेपी कॉमन सिविल कोड के मुद्दे पर खेल सकती है। 



बीजेपी सरकार के बड़े फैसले



ट्रिपल तलाक (मोदी 2.0) : 1 अगस्त 2019 को तीन तलाक कानून लागू हुआ था। इस कानून के तहत अगर कोई मुस्लिम पति अपनी पत्नी को तीन बार तलाक बोलकर छोड़ देता है तो कानूनन उसे 3 साल की सजा का प्रावधान है। पुलिस उसे बिना वॉरंट के गिरफ्तार कर सकती है। इस कानून का विरोध करने वाले कहते हैं कि अगर तीन तलाक बोलने पर तलाक हुआ ही नहीं तो ये गुनाह कैसे हुआ।



राम मंदिर (मोदी 2.0): 9 नवंबर 2019 में सुप्रीम कोर्ट की 5 जजों की बेंच (चीफ जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस एसए बोबडे, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस अशोक भूषण, जस्टिस अब्दुल नजीर) ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया। अयोध्या में विवादित जमीन पर रामलला विराजमान का हक माना। मुस्लिम पक्ष को अयोध्या में ही 5 एकड़ जमीन देने का आदेश दिया गया। कोर्ट ने कहा कि विवादित जमीन के नीचे ढांचा था और यह इस्लामिक नहीं था। पुरातत्व विभाग के दावे को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।



अनुच्छेद 370 (मोदी 2.0): 5 अगस्त 2019 को केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर के स्पेशल स्टेटस यानी अनुच्छेद 370 को हटा दिया। इसके तहत जम्मू और कश्मीर को केंद्र शासित प्रदेश बना दिया गया। कश्मीर में चुनाव होंगे। विधायक होंगे, मुख्यमंत्री होगा, लेकिन पुलिस, सुरक्षा-व्यवस्था आदि पर केंद्र का अधिकार होगा। वहां की सरकार को हर निर्णय, हर प्रश्न पर उपराज्यपाल से राय लेनी होगी। यानी हर तरह से जम्मू-कश्मीर केंद्र के अधीन ही होगा। इस फैसले से पहले कश्मीर के तमाम बड़े नेताओं महबूबा मुफ्ती, फारूक अब्दुल्ला और उमर अब्दुल्ला को हिरासत में ले लिया गया था।



कॉमन सिविल कोड यानी समान नागरिक संहिता की शुरुआत और बीजेपी




  • आजादी से पहले हिंदू और मुसलमानों के लिए अलग-अलग कानून लागू किए गए थे।


  • सबसे पहले महिलाएं इसके खिलाफ खड़ी हुईं, फिर बीजेपी ने इसे चुनावी मुद्दा बना लिया।

  • सुप्रीम कोर्ट ने 1985 के शाह बानो केस को राष्ट्रीय एकीकरण के लिए मजबूत बताया था।

  • 1998 के लोकसभा चुनाव में अटल बिहारी वाजपेयी ने ये मुद्दा उठाया था।

  • जॉन वल्ला मट्टा केस (2003) में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था- संविधान के अनुच्छेद 44 (मौलिक कर्तव्य) में जो लक्ष्य तय किए गए हैं, उन्हें पूरा किया जाना चाहिए। 

  • 2014 में बीजेपी की चुनावी मैनिफेस्टो में भी ये मुद्दा शामिल था और पार्टी प्रचंड बहुमत के साथ सत्ता में आई।

  • 2019 के लोकसभा चुनाव में भी बीजेपी ने मुद्दे को प्रमुखता से उठाया, वहीं उत्तराखंड की पुष्कर धामी सरकार ने इसे लागू करने को कहा। 

  • अब बीजेपी कह रही है कि CAA, राम मंदिर, अनुच्छेद 370 और ट्रिपल तलाक के बाद अब कॉमन सिविल कोड की बारी है। 



  • MP में इन मुद्दों पर बोले शाह



    जातिवाद पर: जातिवाद अब देश की सच्चाई है। इसलिए अब इस हिसाब से ही कैलकुलेशन करके हर जाति के नेता को पद और महत्व देना होगा।



    2018 के विधानसभा चुनाव में हार पर: विधानसभा चुनाव में बीजेपी हारी, लेकिन वोट प्रतिशत ज्यादा था। गलतियां हुईं, जिसकी समीक्षा की गई। अब मुख्यमंत्री के प्रयासों से जनमत बढ़ रहा है। इस कवायद में संगठन की भूमिका जरूरी है। सिर्फ सरकारों के काम से चुनाव नहीं जीते जाते। संगठन की मजबूती चुनाव जिताएगी।



    नेताओं के रवैये पर दिल्ली का उदाहरण: दिल्ली में बड़े नेताओं की कार्यकर्ताओं से दूरी बढ़ी। सम्मान घटा। अनुशासन की कमी आती गई। यह स्थिति मध्य प्रदेश में नहीं होनी चाहिए। संगठन के मामले में मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, गुजरात, छत्तीसगढ़ और राजस्थान उदाहरण हैं। इससे बरकरार रखें।



    सत्ता के लाभार्थी नेताओं पर: बैठक में जितने लोग हैं, ये सत्ता के लाभार्थी (बैनेफिशरी) हैं। फिर CM की तरफ देखकर कहा कि सबसे बड़े लाभार्थी तो ये हैं। अब जरूरत है कि वे बूथों तक जाएं। हर नेता को 10 बूथ की मजबूती का लक्ष्य लेना चाहिए।



    ‘राहुल गांधी अध्यक्ष हो जाएंगे’



    शाह ने मध्य प्रदेश के सीनियर नेताओं से पूछा कि क्या देश में सब ठीक हो गया? इसके बाद उन्होंने कॉमन सिविल कोड के मुद्दे की चर्चा की। गृह मंत्री ने यह भी खुलासा किया कि अगले चुनाव से पहले राहुल गांधी कांग्रेस के अध्यक्ष हो जाएंगे, लेकिन इससे चिंता करने की जरूरत नहीं। अभी कांग्रेस और नीचे जाएगी। कोई चुनौती नहीं है। बैठक में प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के साथ तमाम बड़े नेता मौजूद रहे। 



    पार्टी में सभी बड़े नेताओं, मंत्रियों, विधायकों के साथ बैठक से पहले शाह ने प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा के कक्ष में मुख्यमंत्री, प्रदेश प्रभारी मुरलीधर राव, पंकजा मुंडे, हितानंद शर्मा, कैलाश विजयवर्गीय, ज्योतिरादित्य सिंधिया, प्रहलाद पटेल आदि के साथ अहम मुद्दों पर बात की।


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