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नई दिल्ली. तीनों कृषि कानूनों (Farm Laws) की वापसी के प्रस्ताव को केंद्रीय कैबिनेट (Central Cabinet Decision) ने मंजूरी दे दी है। साथ ही गरीबों को मुफ्त राशन (Free Ration) चार महीने और मिलता रहेगा। कैबिनेट ने मार्च 2022 तक पीएम गरीब कल्याण अन्न योजना का विस्तार करने का निर्णय लिया है। 24 नवंबर को मोदी कैबिनेट ने इन दोनों बड़े फैसलों की हरी झंडी दी। पीएम नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने 19 नवंबर को राष्ट्र के नाम संबोधन में कृषि कानूनों को रद्द करने का ऐलान किया था। कैबिनेट से मंजूरी मिलने के बाद अब ये संसद के दोनों सदनों में पारित किया जाएगा।
दोनों सदनों से बिल पारित करवाया जाएगा
संसद का शीतकालीन सत्र 29 नवंबर से शुरू हो रहा है। संसदीय नियमों के मुताबिक किसी भी पुराने कानून को वापस लेने की भी वही प्रक्रिया है जो किसी नए कानून को बनाने की है। कानून को रद्द करने के लिए दोनों सदनों में बिल पारित होगा। संसद सत्र में लोकसभा या राज्यसभा में तीन कानूनों के लिए या तो तीन अलग-अलग या फिर तीनों के लिए एक ही बिल पेश किया जाएगा।
ये है गरीब कल्याण अन्न योजना
प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (PMGKAY) के तहत, सरकार नेशनल फूड सिक्योरिटी एक्ट (NFSA) के तहत पहचान किए गए 80 करोड़ राशन कार्डधारकों को मुफ्त राशन देती है। मुफ्त राशन कार्डधारकों को राशन की दुकानों के जरिए मिलने वाले सब्सिडी वाले अनाज के अलावा और ऊपर होता है।
राशनकार्ड धारकों को प्रति महीना, प्रति सदस्य 5 किलो अधिक अनाज (गेहूं-चावल) दिया जाता है। आपको बता दें कि देश के जिस नागरिक के पास भी राशन कार्ड उपलब्ध है, उसे अपने कोटे के राशन के साथ-साथ इस योजना के तहत हर महीने 5 किलो अतिरिक्त राशन मिल रहा है। इस योजना के तहत मुफ्त अनाज उसी राशन की दुकान पर मिलेगा, जहां से राशन कार्ड पर मिलता है।
किसानों के लिए कमेटी का गठन करेंगे
केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने बताया कि 'जीरो बजट खेती यानि प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए, देश की बदलती आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर क्रॉप पैटर्न को वैज्ञानिक तरीके से बदलने के लिए, MSP को और अधिक प्रभावी और पारदर्शी बनाने के लिए, ऐसे सभी विषयों पर, भविष्य को ध्यान में रखते हुए, निर्णय लेने के लिए, एक कमेटी का गठन किया जाएगा। इस कमेटी में केंद्र सरकार, राज्य सरकारों के प्रतिनिधि होंगे, किसान होंगे, कृषि वैज्ञानिक होंगे, कृषि अर्थशास्त्री होंगे।'
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