चारा घोटाले के 5वें केस में भी झारखंड HC से लालू को जमानत, CBI ने किया था विरोध

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Atul Tiwari
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चारा घोटाले के 5वें केस में भी झारखंड HC से लालू को जमानत, CBI ने किया था विरोध

Ranchi. राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव को 22 अप्रैल को चारा घोटाले से जुड़े डोरंडा कोषागार मामले में जमानत मिल गई है। यह चारा घोटाले से जुड़ा 5वां मामला है। इस मामले में भी झारखंड हाईकोर्ट ने जमानत दे दी। हालांकि, सीबीआई ने जमानत देने का कड़ा विरोध किया था। 





राजद प्रमुख के वकील ने बताया कि उन्हें आधी सजा काट लेने और खराब स्वास्थ्य के आधार पर जमानत दी गई है। उन्हें जल्द रिहा किया जाएगा। लालू यादव को एक लाख रुपए का बॉन्ड और जुर्माने के 10 लाख रुपए देने होंगे। लालू को चारा घोटाले से जुड़े 4 मामलों में पहले सजा मिल चुकी है और उनमें जमानत भी मिल गई है।





डोरंडा कोषागार मामला





यह मामला डोरंडा कोषागार से 139 करोड़ की अवैध निकासी का है। 27 साल बाद कोर्ट ने फरवरी में डोरंडा कोषागार मामले में फैसला सुनाया था। इसमें लालू यादव को दोषी पाया था। उन्हें 5 साल की कैद और जुर्माने की सजा सुनाई गई थी। 





सीबीआई ने 1996 में अलग-अलग कोषागारों से गलत ढंग से अलग-अलग रकम की निकासी को लेकर 53 केस दर्ज किए थे। इनमें से डोरंडा कोषागार का मामला सबसे बड़ा था। इसमें सर्वाधिक 170 आरोपी शामिल थे। 55 आरोपियों की मौत हो चुकी है। 





चारा घोटाले से जुड़े लालू के अन्य मामले







  • चाईबासा कोषागार से 37.7 करोड़ के अवैध निकासी में लालू जमानत पर हैं। इसमें उन्हें 5 साल की सजा हुई थी। 



  • देवघर कोषागार से 79 लाख के अवैध निकासी के घोटले के दूसरे मामले में भी वे जमानत पर हैं। इस मामले में उन्हे साढ़े 3 साल की सजा सुनाई गई थी। 


  • लालू को 33.13 करोड़ के चाईबासा कोषागार से अवैध निकासी के तीसरे मामले में भी जमानत मिली थी। इस मामले में उन्हें 5 साल की सजा हुई थी। 


  • दुमका कोषागार से 3.13 करोड़ की अवैध निकासी के चौथे मामले में उन्हें दो अलग-अलग धाराओं में 7-7 साल की सजा सुनाई गई थी, लेकिन इसमें भी वे जमानत पर हैं।






  • ये था डोरंडा ट्रेजरी घोटाला 





    यहां से 139.35 करोड़ रुपए की अवैध निकासी के मामले में पशुओं को फर्जी तरीके से स्कूटर पर ढोने की कहानी है। यह उस वक्त का देश का पहला मामला माना गया, जब बाइक और स्कूटर पर पशुओं को ढोया गया हो। मामला 1990-92 के बीच का है। CBI ने जांच में पाया कि अफसरों और नेताओं ने मिलकर फर्जीवाड़े का अनोखा फॉर्मूला तैयार किया। 





    400 सांड़ों को हरियाणा और दिल्ली से कथित तौर पर स्कूटर और मोटरसाइकिल पर रांची तक ढोया गया, ताकि बिहार में अच्छी नस्ल की गाय और भैंसें पैदा की जा सकें। पशुपालन विभाग ने 1990-92 के दौरान 2,35, 250 रुपए में 50 सांड़, 14 लाख 04 हजार 825 रुपए में 163 सांड़ और 65 बछिया खरीदीं। इतना ही नहीं, विभाग ने इस दौरान क्रॉस ब्रीड बछिया और भैंस की खरीद पर 84 लाख 93 हजार 900 रुपए का भुगतान मुर्रा लाइव स्टॉक दिल्ली के दिवंगत प्रोपराइटर विजय मलिक को की थी। इसके अलावा भेड़ और बकरी की खरीद पर भी 27 लाख 48 हजार रुपए खर्च किए थे।





    जिस गाड़ी नंबर को विभाग ने पशुओं को लाने के लिए रजिस्टर में दर्शाया था वह सभी स्कूटर और मोपेड के थे। CBI ने जांच में पाया है कि लाखों टन पशुचारा, भूसा, पुआल, पीली मकई, बादाम, खली, नमक आदि स्कूटर, मोटरसाइकिल और मोपेड पर ढोए गए। देश के सभी राज्यों के करीब 150 DTO और RTO से गाड़ी नंबर की जांच कराकर जांच टीम ने सबूत जुटाए।





    बयान दर्ज कराने में लगे 15 साल 





    इस मामले में 575 गवाहों का बयान दर्ज कराने में CBI को 15 साल लग गए। 99 आरोपियों में 53 आरोपी आपूर्तिकर्ता हैं, जबकि 33 आरोपी पशुपालन विभाग के तत्कालीन अधिकारी और कर्मचारी हैं। वहीं, 6 आरोपी तत्कालीन कोषागार पदाधिकारी हैं, जबकि मामले के 6 आरोपी ऐसे हैं, जिन्हें CBI आज तक नहीं खोज पाई। 



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