सुप्रीम कोर्ट ने कहा- बेरियम युक्त पटाखों पर प्रतिबंध दिल्ली-NCR तक सीमित नहीं, यह हर राज्य में लागू

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Vikram Jain
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सुप्रीम कोर्ट ने कहा- बेरियम युक्त पटाखों पर प्रतिबंध दिल्ली-NCR तक सीमित नहीं, यह हर राज्य में लागू

NEW DELHI. दीपावली पर रोशनी के साथ खुशी देने वाले पटाखे और आतिशबाजी स्वास्थ्य के साथ पर्यावरण को नुकसान होता है। दिल्ली एनसीआर, मुंबई जैसे शहरों में बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए कुछ पटाखों को जलाने पर प्रतिबंध लगाया गया है। पटाखों पर पाबंदी का जिक्र सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले में आया है।

प्रतिबंध दिल्ली-एनसीआर तक सीमित नहीं

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि बेरियम युक्त पटाखों पर प्रतिबंध का आदेश सिर्फ दिल्ली-एनसीआर तक सीमित नहीं है, यह हर राज्य के लिए बाध्यकारी है। कोर्ट के इस स्पष्टीकरण का असर पूरे देश पर होगा जिसने वायु एवं ध्वनि प्रदूषण रोकने के लिए 2018 में पारंपरिक पटाखों पर प्रतिबंध लगा दिया था। अदालत को जब बताया गया कि दिल्ली से लगे राज्यों में पराली जलने से राष्ट्रीय राजधानी की वायु गुणवत्ता प्रभावित हो रही है तो कोर्ट ने मौसम विभाग को पराली जलने पर जवाब दाखिल करने का निर्देश भी दिया।

शीर्ष अदालत पटाखों पर प्रतिबंध लगाने की मांग वाली एक लंबित याचिका में दायर हस्तक्षेप आवेदन पर सुनवाई कर रही थी। इस आवेदन में राजस्थान सरकार को वायु और ध्वनि प्रदूषण की जांच के लिए कदम उठाने और दिवाली और शादियों के दौरान उदयपुर शहर में पटाखों पर प्रतिबंध लगाने का निर्देश देने की मांग की गई थी। इस पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति एएस बोपन्ना और न्यायमूर्ति एमएम सुंदरेश की पीठ ने राजस्थान सरकार से दिवाली के दौरान पटाखे फोड़ने पर अपने पहले के निर्देशों का पालन करने को कहा।

प्रदूषण का प्रबंधन हर किसी का दायित्व

पीठ ने राजस्थान सरकार से कहा कि वह दीपावली पर पटाखे चलाने से संबंधित उसके पूर्व के निर्देशों का अनुपालन करे। कोर्ट ने कहा कि पटाखों के हानिकारक प्रभावों के बारे में जनता को जागरूक करना महत्वपूर्ण है। आजकल बच्चे ज्यादा पटाखे नहीं फोड़ते हैं, लेकिन बुजुर्ग ऐसा करते हैं। यह गलत धारणा है कि जब प्रदूषण और पर्यावरण संरक्षण की बात आती है तो यह केवल अदालत का कर्तव्य है। इसके लिए लोगों को आगे आना होगा। वायु एवं ध्वनि प्रदूषण का प्रबंधन हर किसी का दायित्व है।

यह आदेश हर राज्य पर लागू होगा है

पीठ ने याचिका को लंबित रखते हुए कहा, ‘याचिका पर कोई विशिष्ट आदेश जारी करने की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि अदालत ने वायु और ध्वनि प्रदूषकों की जांच के लिए कई आदेश पारित किए हैं। ये आदेश राजस्थान सहित हर राज्य पर लागू होते हैं। सरकार को न केवल त्योहारी सीजन बल्कि उसके बाद भी इस पर ध्यान देना चाहिए।

राजस्थान सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता मनीष सिंघवी ने कहा कि राज्य ने याचिका पर जवाब दाखिल कर दिया है और माना कि दीपावली के दौरान वायु एवं ध्वनि प्रदूषण में मामूली वृद्धि हुई थी। हस्तक्षेपकर्ता के वकील ने कहा कि वे केवल राज्य सरकार को यह निर्देश देने की मांग कर रहे हैं कि इस अदालत द्वारा पटाखे फोड़ने पर लगाया गया प्रतिबंध दिल्ली- एनसीआर तक ही सीमित नहीं है, बल्कि राजस्थान पर भी लागू है। वकील मनीष सिंघवी ने कहा कि राज्य ने आवेदन पर अपना जवाब दाखिल कर दिया है। राज्य सभी अदालती आदेशों का पालन करेगा, लेकिन कार्यान्वयन समाज की सामूहिक चेतना पर निर्भर करता है।

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