BHOPAL. इस साल 15 अगस्त को भारत की आजादी की 75वीं सालगिरह (75th Independence Day) है। इस अमृत महोत्सव (Azadi ka Amrit Mahotsav) के दौरान हर घर तिरंगा कार्यक्रम का ऐलान किया गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने सभी देशवासियों से अपील की है कि भारतीय ध्वज (National Flag) के सम्मान में 15 अगस्त तक अपने-अपने घरों में भारतीय झंडा फहराएं। इसके साथ ही सभी सरकारी कार्यालयों, रेसीडेंशियल वेलफेयर एसोसिएशन और व्यापारी वर्ग से भी अपने क्षेत्र और ऑफिसों में झंडा फहराने की अपील की गई है। अनुमान है कि करीब 3 लाख स्थानों पर राष्ट्रीय ध्वज फहराया जाएगा।
राष्ट्रीय ध्वज फहराना कोई आम ध्वज फहराने जैसा नहीं है। इसकी बाकायदा एक ध्वज संहिता है। इसकी जानकारी हर नागरिक को होनी चाहिए, ताकि ध्वज का किसी भी तरह से कोई अपमान नहीं हो। यहां यह बात भी गौर करने वाली है कि हर घर तिरंगा अभियान के साथ ही गृह मंत्रालय ने भारतीय ध्वज संहिता, 2002 में संशोधन किया है, ताकि रात में भी राष्ट्रीय ध्वज को फहराया जा सके। इसके साथ ही सरकार इससे पहले मशीन से बने और पॉलिएस्टर के झंडे के इस्तेमाल की इजाजत देने के लिए ध्वज संहिता में संशोधन कर चुकी है।
ये है भारतीय ध्वज संहिता
ध्वज संहिता भारतीय ध्वज को फहराने और प्रयोग करने के बारे में निर्देश हैं। इस संहिता को 2002 में लाया गया था। भारत का राष्ट्रीय ध्वज, भारत के लोगों की आशाओं और आकांक्षाओं का प्रतिरूप है। यह राष्ट्रीय गौरव का प्रतीक है। ध्वज संहिता, भारत के स्थान पर भारतीय ध्वज संहिता-2002 को 26 जनवरी 2002 से लागू किया गया।
- जब भी ध्वज फहराया जाए तो उसे सम्मानपूर्ण स्थान दिया जाए। उसे ऐसी जगह लगाया जाए, जहां से वह स्पष्ट दिखाई दे।
भारतीय ध्वज संहिता में केंद्र ने किया संशोधन
30 दिसंबर 2021 के आदेश के जरिए भारत ध्वज संहिता 2002 को संशोधित किया गया और राष्ट्रीय ध्वज हाथ से काते, हाथ से बुने हुए या मशीन से बने कपास/पॉलिएस्टर/ऊन/रेशम/खादी से बनाया जाएगा। यानी संशोधन करके पॉलिएस्टर और मशीन से बने झंडे को भी अनुमति दी गई। इसके बाद 20 जुलाई 2022 को एक अन्य संशोधन के तहत केंद्र ने राष्ट्रीय ध्वज को दिन के साथ-साथ रात में भी फहराने की अनुमति दी।
इंडस्ट्रियलिस्ट नवीन जिंदल ने रखा था प्रस्ताव
भारतीय नागरिक अब रात में भी राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा फहरा सकते हैं। इसके लिए शर्त है कि ध्वज का पोल वास्तव में लंबा हो और झंडा खुद भी चमके। गृह मंत्रालय ने इंडस्ट्रियलिस्ट सांसद नवीन जिंदल के प्रस्ताव के बाद यह फैसला लिया था। इससे पहले जिंदल ने हर नागरिक के मूलभूत अधिकार के तौर पर तिरंगा फहराने के लिहाज से अदालती लड़ाई जीती थी। जिंदल की 1995 की याचिका पर फैसला सुनाते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने निजी परिसरों में राष्ट्रीय ध्वज फहराने की अनुमति दी थी।
जिंदल ने जून 2009 में गृह मंत्रालय को दिये गए प्रस्ताव में बड़े आकार के राष्ट्रीय ध्वज को स्मारकों के पोलों पर रात में भी फहराए जाने की अनुमति मांगी थी। जिंदल ने कहा था कि भारत की ध्वज संहिता के आधार पर राष्ट्रीय ध्वज, जहां तक संभव है सूर्योदय से सूर्यास्त के बीच फहराया जाना चाहिए, लेकिन दुनियाभर में यह सामान्य है कि बड़े राष्ट्रीय ध्वज 100 फुट या इससे ऊंचे पोल पर स्मारकों पर दिन और रात में फहराए गए होते हैं।