बीकानेर की करणी माता में भक्तों को मिलता है चूहों का जूठा प्रसाद, पूजा के वक्त चूहे अपने आप बिलों से बाहर आ जाते हैं

author-image
Atul Tiwari
एडिट
New Update
बीकानेर की करणी माता में भक्तों को मिलता है चूहों का जूठा प्रसाद, पूजा के वक्त चूहे अपने आप बिलों से बाहर आ जाते हैं

BIKANER. राजस्थान के बीकानेर में करणी माता का मंदिर प्रसिद्ध मंदिर है। ये मंदिर राजस्थान के बीकानेर शहर से करीब 30 किलोमीटर दूर है। करणी माता का जन्म चारण कुल में हुआ था। इस मंदिर को चूहों का मंदिर भी कहा गया है। मंदिर में लगभग 25 हजार से ज्यादा चूहे रहते हैं। कहा जाता है कि माता करणी करीब 151 साल तक जीवित थीं। 



मंदिर में छुपे हैं कई रहस्य



मान्यता है कि इस मंदिर में कई रहस्यों को समेटे है, लेकिन इन रहस्यों के बारे में आज तक कोई नहीं जान पाया। मंदिर में मौजूद चूहों को अलग-अलग तरह के पकवानों का भोग लगाया जाता है। माना जाता है कि इस मंदिर में देश और विदेश के भी कई लोग मां के दर्शन करने आते हैं। करणी माता सभी की मनोकामनाएं पूरी करती हैं। करणी माता मंदिर का निर्माण 20वीं शताब्दी की शुरुआत में बीकानेर रियासत के महाराजा गंगा सिंह ने करवाया था। 



मंदिर में 25 हजार से ज्यादा चूहे



करणी माता के मंदिर में काले चूहों के साथ कुछ सफेद चूहे भी हैं। यहां करीब 25 हजार से ज्यादा चूहे मौजूद हैं। ये चूहे माता करणी के वंशज हैं। इन्हें अलग-अलग तरह का भोग लगाया जाता है, फिर उनके द्वारा जूठे किए गए गए भोग को लोगों को बांटा जाता है। बताया जाता है कि सुबह-शाम जब मंदिर में जब करणी माता की आरती होती है, तब मंदिर में मौजूद ये सभी चूहे अपने बिलों से बाहर आ जाते हैं। हालांकि, मंदिर में मौजूद इन चूहों से कभी भी किसी को कोई बीमारी नहीं हुई।



पैर उठाने की बजाय घसीटकर चलते हैं यहां लोग



बताया जाता है कि इस मंदिर में गलती से भी चूहे को चोट पहुंचाना या मारना पाप माना जाता है। जो भी व्यक्ति ऐसा करता है, उसे कड़ी सजा दी जाती है। ऐसे लोगों को प्रायश्चित के तौर पर मरे हुए चूहे को सोने से बने चूहे से बदलना होता है। मंदिर में ज्यादातर लोग पैर उठाकर चलने की बजाय घसीटकर चलते हैं, ताकि गलती से भी कोई चूहा पैरों के नीचे ना आ जाए। 



151 साल तक जिंदा रहीं थीं माता



करणी माता को जगदंबा का अवतार माना जाता है। इनका जन्म 1387 में एक चारण परिवार में हुआ था और इनका बचपन का नाम रिघुबाई था। इनकी शादी साठिका गांव के किपोजी चारण से हुई थी, लेकिन सांसारिक जीवन में मन ऊबने के बाद उन्होंने किपोजी की शादी अपनी छोटी बहन गुलाब से करवा दी थी। इसके बाद वे माता की भक्ति और लोगों की सेवा करने लगी। वे 151 साल तक जिंदा रही थीं। 



माता के सौतेले बेटे की कहानी



बताया जाता है कि मां के सौतेले बेटे लक्ष्मण कोलायत तहसील में कपिल सरोवर से पानी पीने की कोशिश करते समय उसमें डूब जाते हैं। इस बात से मां काफी दुखी हो जाती हैं और वे देवता यम से उनके बेटे को वापस करने की काफी प्रार्थना करती हैं। यमराज को विवश होकर उसे चूहे के रूप में पुनजीर्वित करना पड़ता है।


Navratri नवरात्रि Karni Mata Rajasthan Karni Mata Story करणी माता राजस्थान करणी माता की कहानी