NEW DELHI. दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया के पंजाब नेशनल बैंक (PNB) में लॉकर की 30 अगस्त को सीबीआई ने जांच की। सीबीआई टीम के पहुंचने से पहले ही सिसोदिया अपनी पत्नी के साथ लॉकर की चाबी लेकर दिल्ली के वसुंधरा स्थित पीएनबी की शाखा में पहुंच गए थे।
सीबीआई की जांच में कुछ नहीं मिला- सिसोदिया
बैंक ने सिसोदिया से कुछ डॉक्यूमेंट्स पर दस्तखत कराए, जिसके बाद वे बाहर आए। बाहर मीडिया से बात करते हुए बताया कि सीबीआई की जांच में कुछ नहीं मिला। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर आरोप लगाते हुए कहा कि यह सिर्फ उनके प्रेशर में किया जा रहा है, ताकि मुझे 2 या 3 महीने तक जेल में डाला जा सके।
अधिकारी मानते हैं मैंने गलत नहीं किया- सिसोदिया
सिसोदिया के मुताबिक, सीबीआई ने घर के अलावा अन्य जगहों पर भी जांच की थी, लेकिन कुछ नहीं मिला। सत्य की हमेशा जीत होती है। सीबीआई जांच में शामिल अधिकारी भी मानते हैं कि मनीष सिसोदिया ने कुछ भी गलत नहीं किया। दिल्ली में शराब नीति में गड़बड़ी के मामले में सीबीआई जांच कर रही है। सीबीआई ने इससे पहले अगस्त में ही सिसोदिया के आवास पर छापामारी की थी।
दिल्ली के उपराज्यपाल विनय सक्सेना ने शराब नीति में गड़बड़ी के मामले को लेकर सीबीआई जांच की सिफारिश की थी। एलजी सक्सेना ने मुख्य सचिव की रिपोर्ट के बाद सीबीआई जांच की सिफारिश की थी। मुख्य सचिव की रिपोर्ट में सिसोदिया की भूमिका पर सवाल उठाए गए थे। दिल्ली में एक्साइज विभाग मनीष सिसोदिया के पास है।
अन्ना बोले- केजरीवाल की कथनी-करनी में अंतर
दिल्ली की शराब नीति में घोटालों की खबरों के बीच मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को चिट्ठी लिखी। इसमें अन्ना ने कहा कि आपकी सरकार ने लोगों के जीवन को बर्बाद करनेवाली, महिलाओं को प्रभावित करने वाली शराब नीति बनाई है। आपकी कथनी और करनी में फर्क है।
अन्ना ने लिखा कि जब 10 साल पहले 18 सितंबर 2012 को दिल्ली में टीम अन्ना के सदस्यों की मीटिंग हुई थी, उस वक्त आप ने राजनीतिक रास्ता अपनाने की बात रखी थी, लेकिन आप भूल गए कि राजनीतिक पार्टी बनाना हमारे आंदोलन का उद्देश्य नहीं था। उस वक्त टीम अन्ना के बारे में जनता के मन में विश्वास पैदा हुआ था। इसलिए उस वक्त मेरी सोच थी कि टीम अन्ना देशभर में घूमकर लोकशिक्षण, लोकजागृति का काम करना जरूरी था। अगर इस दिशा में काम होता तो कही पर भी शराब की ऐसी गलत नीति नहीं बनती।
AAP भी दूसरी पार्टियों की तरह- अन्ना
अन्ना हजारे ने कहा- सरकार किसी भी पार्टी की हो, सरकार को जनहित मे काम करने पर मजबूर करने के लिए समान विचारधारा वाले लोगों का एक प्रेशर ग्रुप होना जरूरी था। अगर ऐसा होता तो देश में अलग स्थिति होती और गरीबों को फायदा होता, लेकिन दुर्भाग्य से ऐसा नहीं हो पाया। उसके बाद आप (अरविंद केजरीवाल), मनीष सिसोदिया और आपके अन्य साथियों ने मिलकर पार्टी बनाई। एक ऐतिहासिक आंदोलन को नुकसान करके जो पार्टी बन गई, वह भी बाकी पार्टियों के रास्ते पर चलने लगी। यह दुख की बात है।