रायपुर. खैरागढ़ में विधानसभा उपचुनाव को लेकर बीजेपी ने ताकत झोंक दी है। 2013 में सत्ता परिवर्तन के बाद लोकसभा चुनाव को छोड़ दें तो ऐसा कोई चुनाव नहीं है जहां बीजेपी को सफलता मिल गई हो। नगरीय निकाय चुनाव हों या फिर उपचुनाव, बीजेपी के खाते में केवल हार दर्ज हुई। इसके पहले के उपचुनाव में चाहे फिर वो दंतेवाड़ा हो या मरवाही, बीजेपी ने एक प्रकार से वॉकओवर दे दिया। 15 सत्ता में रहने वाली बीजेपी के कार्यकर्ताओं को आर्थिक संकट से जूझते देखा गया। यही नहीं, बीजेपी के भीतर भी “संघर्ष” भी वक्त-बेवक्त नुमायां होता रहा है। खैरागढ़ उपचुनाव में हालात कुछ बदले दिख रहे हैं। हालांकि, पार्टी में आपसी संघर्ष भले ही धरातल पर ना दिखे और मुद्रा संकट भी ना हो तो भी भितरघात के पंक्चर से नही बचे तो पहिए विजय द्वार तक नहीं पहुंचेंगे।
बीजेपी ने पूरी ताकत झोंकी
बीजेपी ने खैरागढ़ को लेकर जो व्यूह रचना की है और जिस अंदाज में ताकत झोंकी है, ये अंदाज पहले किसी उपचुनाव में नजर नहीं आया। 283 मतदान केंद्र वाले खैरागढ़ विधानसभा को 60 शक्ति केंद्रों बांटा गया है। इन 60 शक्ति केंद्रों में मतदान केंद्रों को समाहित किया गया है। इन मतदान केंद्रों को भौगोलिक सामाजिक आधार पर शक्ति केंद्रों में समाहित किया गया है।
इन शक्ति केंद्रों में ही संगठन ने पूरी ताकत झोंक दी है। इस ताकत में केवल सांसद और सभी चौदह विधायक ही शामिल नहीं है। प्रदेश की सभी 90 विधानसभाओं से संगठन ने चेहरों को छांटा और यहां नियुक्त कर दिया है।
खैरागढ़ में बीजेपी के कई पूर्व मंत्री उतरे
बीजेपी का संगठन ढांचा खैरागढ़ में 5 मंडलों में बंटा है। इनमें बृजमोहन अग्रवाल को खैरागढ़ शहर, राजेश मूणत को खैरागढ़ ग्रामीण, शिवरतन शर्मा को गंडई, धरमलाल कौशिक के पास छुई खदान की जवाबदेही है। हर मंडल में कार्यकर्ताओं तक पहुंचकर उन्हें मतदाताओं के बीच भेज मानस बनाने की कवायद के लिए 90 विधानसभा क्षेत्रों से आए वरिष्ठ कार्यकर्ता हैं। बीजेपी ने खैरागढ़ विधानसभा के अपने हर कार्यकर्ता तक सीधा संवाद स्थापित किया है और मेन-टू-मेन मार्किंग की तर्ज पर कार्यक्रम चल रहा है।
उपचुनाव का नतीजा दिशा-दशा तय करेगा
हर बैठक में मतदाताओं तक जाते कार्यकर्ताओं से फीडबैक लेकर बीजेपी अपनी रणनीति और पैनी करने की कवायद कर रही है। खैरागढ़ राजपरिवार के प्रमुख और खैरागढ़ विधायक रहे देवव्रत सिंह के निधन की वजह से हो रहा यह उपचुनाव, विधानसभा चुनाव के ठीक पहले का चुनाव है। इसे बीजेपी कैसे लड़ रही है और जो नतीजा होगा, इसे लेकर बीजेपी 2023 की रणनीति तय करेगी।
खैरागढ़ इसलिए खास
संगठन प्रभारी डी पुरंदेश्वरी और सह प्रभारी नितिन नबीन की नजर लगातार इस चुनाव पर है। खैरागढ़ उस राजनांदगांव का हिस्सा है, जहां से डॉ. रमन सिंह विधायक हैं और उस कवर्धा से महज 60 किमी है, जो रमन सिंह का घर है।
वोटरों को रिझाने का पूरा प्लान
बीजेपी ने लोधी बाहुल्य इस खैरागढ़ विधानसभा में केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद पटेल का दो दिवसीय कार्यक्रम रखा है। खबरें हैं कि मध्य प्रदेश मुख्यमंत्री शिवराज सिंह की भी ड्यूटी लगाई गई है। उमा भारती और ज्योतिरादित्य सिंधिया को भी खैरागढ़ में प्रचार के लिए बुलाया जा सकता है।
अंदरखाने से आई खबरें बताती हैं कि प्रदेश संगठन से जुडे शीर्षस्थ नेताओं ने खैरागढ़ चुनाव के लिए प्रदेश के नेताओं को दो टूक शब्दों में कहा है- टेक पार्ट ऑर रन अवे (या तो हिस्सा लो या निकल जाओ।
चुनाव बीजेपी की नाक का सवाल
2018 विधानसभा चुनाव के ठीक बाद लोकसभा चुनाव हुए। बीजेपी ने ये चुनाव मोदी के चेहरे को आगे कर लड़ा। मोदी नाम के तूफान के बावजूद बीजेपी ने सभी जगहों पर नए चेहरे उतारे और 11 में से 9 लोकसभा क्षेत्र में बीजेपी के सांसद बन गए।
प्रदेश के विधानसभा चुनाव में अब केवल 15 महीने का वक्त है। इसे लेकर केंद्रीय संगठन किसी तरह की चूक करने के मूड में नहीं दिखता। खैरागढ़ के नतीजे इस आशंका को पूरी संभावना में बदल सकते हैं कि छत्तीसगढ़ बीजेपी के बतौर विधायक चेहरे वही चिर परिचित रहेंगे या बदल दिए जाएंगे।