रायपुर. स्वास्थ्य और पंचायत मंत्री टी एस सिंहदेव आगामी 21 मार्च से बजट सत्र में शामिल होंगे। वे 16 मार्च तक विधानसभा अध्यक्ष चरणदास महंत की अनुमति से संगठन और पारिवारिक कारणों से बाहर थे। उनकी लगातार गैर-मौजूदगी होने को लेकर कयासों का बाजार गर्म हो गया था।
पारिवारिक कारणों से बाहर थे: सिंहदेव मणिपुर चुनाव नतीजों के संदर्भ में पर्यवेक्षक बनाए गए थे, इसके बाद वै दिल्ली चले गए। पारिवारिक कारणों से दिल्ली में ही थे। जब वे मणिपुर गए थे, तब ही उन्होंने 16 मार्च तक मौजूद ना रहने का सूचना पत्र विधानसभा को दे दिया था।
ढाई-ढाई साल विवाद: छत्तीसगढ़ की सियासत में कांग्रेस के भीतरखाने ढाई-ढाई साल मुख्यमंत्री का विषय हमेशा से रहा है। कांग्रेस को बहुमत मिला तो कथित तौर पर यह फॉर्मूला तय किया गया था कि ढाई साल भूपेश बघेल और ढाई साल सिंहदेव मुख्यमंत्री रहेंगे। बीते साल इस मसले को लेकर प्याली में तूफान ऐसा आया कि मुख्यमंत्री बघेल के समर्थन में विधायक बसों में दिल्ली में नुमाया हुए थे।
सिंहदेव का मौन: शालीन और बेहद सहज व्यवहार की वजह से सत्ता पक्ष-विपक्ष में समान रूप से लोकप्रिय सिंहदेव का मौन इस मसले पर अब तक टूटा नहीं है। लेकिन जब भी यह समझ पाने की जरा सी गुंजाइश होती है कि इसे असहज व्यवहार माना जाए, सियासत में तूफान मचाने की असफल कोशिश होती है। यही वजह है कि सिंहदेव के दिल्ली प्रवास और बजट सत्र में सोलह मार्च तक अनुपस्थिति को लेकर भी गुंजाइश की तलाश हुई। लेकिन यह मसला भी कोशिशों के बावजूद सिंहदेव को बगैर नुकसान किए खारिज हो गया।